Israel-Hamas ceasefire: समझौते पर नेतान्याहू का बड़ा बयान, हमास को लेकर की टिप्पणी
तेल अवीव/यरूशलम, 16 जनवरी (एजेंसी)
Israel-Hamas ceasefire: इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि उनकी कैबिनेट संघर्ष विराम समझौते पर मुहर लगाने के लिए तब तक बैठक नहीं करेगी जब तक हमास ‘आखिरी समय में पैदा किए गए संकट' की स्थिति को समाप्त नहीं कर देता।
नेतन्याहू के कार्यालय ने हमास पर अंतिम समय में छूट पाने की कोशिश करते हुए समझौते के कुछ हिस्सों पर मुकरने का आरोप लगाया। हालांकि उसने इन छूटों के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा। इस्राइल सरकार के मंत्रिमंडल को बृहस्पतिवार को समझौते पर मुहर लगानी है।
भारत ने गाजा में संघर्ष विराम और बंधकों की रिहाई के लिए हुए समझौते का स्वागत किया
भारत ने गाजा में संघर्ष विराम और बंधकों की रिहाई के लिए इस्राइल और हमास के बीच हुए समझौते का बृहस्पतिवार को स्वागत किया। गाजा में 15 महीने तक हुए संघर्ष के बाद समझौते की घोषणा की गई है।
भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में उम्मीद जताई कि इस समझौते से गाजा के लोगों तक मानवीय सहायता की सतत आपूर्ति सुरक्षित तरीके से हो सकेगी।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम बंधकों की रिहाई और गाजा में संघर्ष विराम के लिए समझौते की घोषणा का स्वागत करते हैं।'' उसने कहा, ‘‘हमने सभी बंधकों की रिहाई, संघर्ष विराम और संवाद के मार्ग पर लौटने तथा कूटनीति का लगातार आह्वान किया।''
गाजा पर संघर्ष विराम समझौते के साथ वास्तविक स्वरूप ले सकता है आईएमईसी गलियारा: बाइडेन
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को कहा कि गाजा पट्टी में इस्राइल और हमास के बीच संघर्ष विराम समझौते की घोषणा के साथ ही भारत से पश्चिम एशिया के रास्ते यूरोप तक जाने के लिए प्रस्तावित आईएमईसी कॉरिडोर अब वास्तविक रूप ले सकता है।
बाइडेन ने गाजा और बंधकों को लेकर इस्राइल तथा हमास के बीच समझौते की घोषणा करते हुए व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘‘23 सितंबर को दिल्ली में जी20 सम्मेलन में, मैंने भारत से पश्चिम एशिया होते हुए यूरोप तक एक आर्थिक गलियारे के दृष्टिकोण के लिए प्रमुख देशों को एकजुट किया था। वह दृष्टिकोण अब वास्तविक स्वरूप ले सकता है।''
भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप कॉरिडोर (आईएमईसी) को चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड' पहल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। नौ सितंबर, 2023 को नयी दिल्ली में आठ देशों - भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और इटली द्वारा हस्ताक्षरित इस पहल का उद्देश्य रेल और पोत परिवहन नेटवर्क के माध्यम से यूरोप और एशिया के बीच परिवहन तथा संचार संपर्कों को मजबूत करना है।
अक्टूबर 2023 में इस्राइल पर हमास के हमले के बाद आईएमईसी गलियारे की परियोजना में रुकावट आ गई थी। हडसन इंस्टीट्यूट नामक थिंक-टैंक की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, आईएमईसी इस बात का एक और उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे नयी दिल्ली अपने विस्तार लेते रणनीतिक और आर्थिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए ‘मिनीलेटरल' पहल का उपयोग कर रहा है।
ट्रंप और बाइडेन दोनों ने लिया गाजा युद्ध विराम समझौते का श्रेय
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही इस्राइल तथा हमास के बीच गाजा में बुधवार को हुए संघर्ष विराम समझौते पर सहमति बनने का श्रेय ले रहे हैं। व्हाइट हाउस (अमेरिका के राष्ट्रपति का आवास सह कार्यालय) ने ट्रंप के पश्चिम एशिया दूत को महीनों से जारी वार्ता में शामिल किया था।
इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय के अनुसार, ट्रंप ने बिना समय गवाए यह दावा किया कि वह इस समझौते के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं, जिसका अंतिम विवरण अभी तय ही किया जा रहा है। इस बीच, बाइडेन ने जोर देकर कहा कि यह सौदा मई के अंत में उनके द्वारा निर्धारित योजना की स्पष्ट रूपरेखा के तहत किया गया।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘यह युद्ध विराम समझौता नवंबर में हमारी ऐतिहासिक जीत के परिणामस्वरूप ही संभव हो पाया, क्योंकि हमारी जीत ने पूरी दुनिया को संकेत दिया कि मेरा प्रशासन शांति चाहेगा और सभी अमेरिकियों एवं हमारे सहयोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समझौतों पर बातचीत करेगा।''
उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं कि अमेरिकी और इस्राइली बंधक लौटकर अपने परिवारों और प्रियजनों से मिलेंगे।'' ट्रंप ने कहा कि दोहा, कतर में वार्ता में हिस्सा लेने वाले उनके नवनिर्वाचित पश्चिम एशिया दूत स्टीव विटकॉफ ‘‘इस्राइल और हमारे सहयोगियों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे।''
वहीं, बाइडेन ने कहा कि ‘‘इस कार्य को पूरा करने के प्रयासों में मेरे कूटनीतिक प्रयास कभी नहीं रुके।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह न सिर्फ हमास पर पड़ रहे अत्यधिक दबाव और लेबनान में युद्ध विराम तथा ईरान के कमजोर होने के बाद बदले क्षेत्रीय समीकरण का परिणाम है, बल्कि यह दृढ़ एवं मेहनत वाली अमेरिकी कूटनीति का भी फल है।''