हरियाणा के नये डीजीपी पैनल से बाहर रह सकता है आईपीएस मनोज यादव का नाम
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 19 जुलाई
हरियाणा के नये डीजीपी के लिए चल रही चयन प्रक्रिया में नया मोड़ आ गया है। यूपीएससी ने 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी मनोज यादव का नाम भी डीजीपी के लिए भेजी गई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की सूची में भेजने के निर्देश हरियाणा सरकार को दिए थे। इस बीच, मंगलवार की रात केंद्र ने मनोज यादव को रेल मंत्रालय में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) का महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) नियुक्त करने के आदेश जारी कर दिए।
हरियाणा सरकार शुरू से ही नहीं चाहती थी कि मनोज यादव का नाम हरियाणा के डीजीपी के लिए पैनल में आए। इसीलिए सरकार की ओर से यूपीएससी को भेजी गई लिस्ट में यादव का नाम शामिल नहीं था। अलबत्ता खुद मनोज यादव भी लिखकर दे चुके हैं कि वे हरियाणा के डीजीपी लगने के इच्छुक नहीं हैं। यहां बता दें कि मौजूदा डीजीपी पीके अग्रवाल से पहले मनोज यादव लगातार दो वर्षों तक हरियाणा के डीजीपी रह चुके हैं।
डीजीपी पीके अग्रवाल का कार्यकाल 15 अगस्त को पूरा हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के तहत हरियाणा सरकार ने नये डीजीपी के लिए चयन प्रक्रिया शुरू की थी। इसके लिए हरियाणा सरकार की ओर से डीजीपी रैंक के चार और एडीजीपी रैंक के 5 सहित कुल 9 आईपीएस अधिकारियों के नाम यूपीएससी को भेजे थे। नियमों के तहत यूपीएससी इन अधिकारियों में से तीन वरिष्ठतम अधिकारियों के नाम का पैनल बनाकर राज्य सरकार को भेजेगी।
हरियाणा की ओर से भेजे गए अधिकारियों के नामों में कुछ दस्तावेजों की कमी के अलावा आयोग ने इसमें मनोज यादव का नाम नहीं होने पर सवाल उठाए। यूपीएससी ने हरियाणा को निर्देश दिए कि वह मनोज यादव का नाम इसमें जोड़कर भेजे। सूत्रों का कहना है कि मनोज यादव की नियुक्ति रेलवे में होने के बाद अब हरियाणा सरकार को बड़ा मौका मिल गया है। हालांकि अगर स्थिति हूबहू भी रहती है तो भी यूपीएससी के पैनल में मनोज यादव का नाम आना तय है।
इसके लिए अब जरूरी हो गया है कि प्रदेश सरकार को मनोज यादव का नाम पैनल में नहीं शामिल करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से आग्रह करना होगा। साथ ही, रेलवे मंत्रालय से भी रिक्वेस्ट करनी होगी। बहुत संभव है कि हरियाणा सरकार के आग्रह पर रेलवे मंत्रालय द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को मनोज यादव की सेवाओं को लेकर पत्र लिखा जाए। ऐसे में एमएचए यूपीएससी को पत्र लिख सकता है कि मनोज यादव को केंद्र की सेवाओं से रिलीव नहीं किया जा सकता है।
अगर इस तरह का पत्र गृह मंत्रालय की ओर से केंद्रीय लोकसेवा आयोग को लिखा जाता है तो उस स्थिति में यूपीएससी मनोज यादव के नाम को छोड़कर बाकी वरिष्ठ अधिकारियों के नामों का पैनल बनाकर राज्य सरकार को भेज सकता है। इस स्थिति में डीजीपी रैंक के तीन अधिकारियों के नाम पैनल में शामिल हो सकते हैं। इनमें 1989 बैच के आईपीएस मोहम्मद अकील और आरसी मिश्रा तथा 1990 बैच के शत्रुजीत कपूर के नाम पैनल में हो सकते हैं।
कपूर सरकार की पहली च्वाइस
सूत्रों का कहना है कि शत्रुजीत कपूर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पहली पसंद हो सकते हैं। शत्रुजीत कपूर वर्तमान में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक हैं। वे मनोहर पार्ट-। में सीआईडी चीफ भी रह चुके हैं। सीआईडी चीफ के बाद सरकार ने उन्हें बिजली कंपनियों का चेयरमैन-कम-एमडी नियुक्त किया था। उनकी गिनती मुख्यमंत्री के नजदीकी अधिकारियों में होती है।
यह है नये डीजीपी का फार्मूला
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर हिदायतें जारी की हुई हैं। इसके तहत नये डीजीपी के लिए राज्य सरकारों को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम की सूची तमाम दस्तावेजों के साथ यूपीएससी को भेजनी होगी। यूपीएससी के चेयरमैन की अध्यक्षता में बनी कमेटी इन अधिकारियों के नामों पर मंथन करती है। कमेटी द्वारा तीन अधिकारियों के नाम का पैनल सरकार को भेजा जाता है। इन तीन अधिकारियों में से सरकार की पसंद होती है कि वह किसी को भी प्रदेश का पुलिस प्रमुख नियुक्त कर सकती है। डीजीपी का कार्यकाल दो साल तय किया हुआ है।