For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

सुस्त है जांच प्रक्रिया, SEBI को बहुत कुछ का देना है जवाब: कांग्रेस

03:05 PM Sep 08, 2024 IST
सुस्त है जांच प्रक्रिया  sebi को बहुत कुछ का देना है जवाब  कांग्रेस
जयराम रमेश। पीटीआई फाइल फोटो
Advertisement

नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा)

Advertisement

कांग्रेस ने रविवार को कहा कि नियमों को दरकिनार करने के 'अदाणी समूह (Adani Group) के निर्लज्ज प्रयास' की SEBI द्वारा की जा रही जांच अब भी धीमी है और SEBI को इस बारे में बहुत कुछ का जवाब देना है।

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने मीडिया में आई एक खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) पर निशाना साधा, जिसमें दावा किया गया है कि जनवरी 2023 में निवेश और शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी समूह (Adani Group) के बारे में अपनी रिपोर्ट में मॉरीशस में स्थित जिन दो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) का उल्लेख किया था उन्होंने SEBI के नए विदेशी निवेशक मानदंडों के अनुपालन से तत्काल राहत की मांग करते हुए प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण में याचिका दायर की है।

Advertisement

रमेश ने कहा, 'मोदानी महाघोटाले में हो रहे खुलासे में उल्लेखित मॉरीशस स्थित दो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अब प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण में याचिका दायर कर आगामी नौ सितंबर की समयसीमा से पहले SEBI के नए विदेशी निवेशक नियमों का पालन करने से तत्काल राहत की मांग की है।'

उन्होंने कहा कि दोनों FPI पर उन नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है जिनके तहत निवेशकों के एक ही स्टॉक में अधिक निवेश नहीं होने चाहिए। रमेश ने कहा कि ये नियम यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि मॉरीशस जैसी कर चोरी करने वालों की पनाहगाह के माध्यम से भेजा गया काला धन भारतीय पूंजी बाजारों में वापस न आ सके। उन्हें हर हाल में बरकरार रखा जाना चाहिए।

कांग्रेस नेता ने ‘एक्स' पर लिखा, 'ये वही FPI हैं जिन पर SEBI के नियमों का उल्लंघन करने और अपनी ही कंपनियों में बेनामी हिस्सेदारी हासिल करने के अडानी समूह के बेशर्मी से भरे प्रयासों में शामिल होने का आरोप है। ये वही कंपनियां हैं जिन्हें SEBI द्वारा ऑफशोर फंड्स के 'अंतिम लाभकारी या कहें की वास्तविक मालिक' की पहचान सामने रखने की आवश्यकता को हटाने से लाभ हुआ था। यह एक ऐसा निर्णय था जिसे जनता के दबाव में जून 2023 में अपने अपराध की मौन स्वीकृति में वापस लेने के लिए मजबूर किया गया था।'

रमेश ने कहा, 'मूल तथ्य यह है कि इन उल्लंघनों की SEBI जांच, जिसे दो महीने में पूरा किया जाना था और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया जाना था, 18 महीने बाद भी सुस्त पड़ी हुई है।' उन्होंने कहा कि SEBI को अपने अध्यक्ष के हितों के कई टकरावों के अलावा कई और मुद्दों पर स्पष्टीकरण देना है जो लगातार सामने आ रहे हैं।

Advertisement
Tags :
Advertisement