स्वीमिंग पूल के निर्माण कार्य में अनियमितताओं की जांच शुरू
सोनीपत, 10 जून (हप्र)
दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी), मुरथल में करोड़ों रुपये की लागत के स्वीमिंग पूल के निर्माण में भारी अनियमितताओं की जांच अब एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) सोनीपत को सौंप दी गई है। एसीबी ने मंगलवार को शिकायतकर्ता के बयान दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। आरटीआई एक्टिविस्ट एवं शिकायतकर्ता पीपी कपूर ने मंगलवार को जिला सचिवालय स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो उपकेंद्र में जांच अधिकारी उप निरीक्षक जगजीत सिंह के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए। पीपी कपूर ने दस्तावेज साक्ष्यों के साथ आरोपी अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज कर उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की।
उन्होंने आरोप लगाया कि स्वीमिंग पूल के निर्माण में महंगे ब्रांड प्रज्ञा मॉडल के वाटर फिल्टर लगाने का दावा किया गया, जिनकी कीमत 10.82 लाख रुपये प्रति यूनिट दर्शाई गई। उसके विपरित मौके पर 3.20 लाख रुपये कीमत के स्थानीय ब्रांड इमौक्स कंपनी के फिल्टर लगाए गए। इसके बावजूद मेजरमेंट बुक में तीनों फिल्टर की लागत 32.86 लाख रुपये चढ़ाकर 23 लाख से अधिक की गड़बड़ी की गई। बाद में मामले की भनक लगने पर ठेकेदार की 40 फीसदी पेमेंट पर रोक लगा दी गई थी।
डीएनआईटी में भी गड़बड़ी
शिकायत में यह भी बताया गया कि प्रोजेक्ट के डिटेल्ड नोटिस इनवाइटिंग टेंडर (डीएनआईटी) में ही दरों में गड़बड़ी कर बाजार दर से 4 गुना तक रेट तय किए गए। पीवीसी पाइप, वॉल्व बैटरी और वॉटर पंप जैसे उपकरणों पर भी यही पैटर्न दोहराया गया, जिससे लाखों का अतिरिक्त भुगतान ठेकेदार को किया गया।
स्वीमिंग पूल अब तक बंद
करीब 6.50 करोड़ रुपये की लागत से बना यह स्वीमिंग पूल करीब 5 वर्ष से बंद पड़ा है और अब उसकी हालत जर्जर हो चुकी है। पीपी कपूर का दावा है कि निर्माण में भारी गोलमाल के डर से कोई भी कुलपति इस पुल को शुरू करने का जोखिम नहीं उठा रहा है।
वहीं, एसीबी अधिकारियों का कहना है कि शिकायतकर्ता के बयान दर्ज किए गए हैं और साक्ष्य मांगे गए हैं। जांच तेज कर दी गई है। जांच के बाद ही कुछ कहा
जा सकेगा।