सियासत से इतर आत्मीय अहसास
केवल तिवारी
सियासी जगत में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही अबूझ पहेली की तरह समझे जाते हों, लेकिन उनके अंतरंग दोस्तों के मुताबिक वह बेहद सरल-सहज व्यक्ति हैं। जिन्होंने कभी अपनों के लिए कोई लालच या सत्ता का उपयोग, दुरुपयोग नहीं किया, बल्कि अपनों से तो उनकी दूरी बढ़ती ही गयी जैसे-जैसे वह सत्ता के करीब आए। उनके करीबी मित्र उदय कांत द्वारा रचित यह जीवनचरित नीतीश के मुन्ना बाबू से लेकर माननीय बनने तक के सफर के तमाम उठा-पटक को तो दर्शाता ही है, नीतीश के निजी जीवन के पन्नों पर भी प्रकाश डालता है।
किताब में उन प्रसंगों का भी रोचक वर्णन है जब नीतीश का युवामन कुछ गुनगुनाता था। उस दौर का भी जब उन्होंने कठिन डगर को पार करने के लिए सबकुछ गंवाया। नीतीश के जीवन के विविध पहलुओं पर लिखी इस किताब की चंद पंक्तियां उनके बारे में साफ-साफ कह देती हैं। इनमें लिखा गया है, ‘यह समय ही बताएगा कि नीतीश के आज बन गए विरोधी कल मिट्टी या फिर सोने का घड़ा साबित होंगे। नीतीश इसकी परवाह नहीं करता। उसकी तरफ से मित्रता के लिए रिश्तों की ईमानदारी के अलावा कोई शर्त नहीं है।’ चूंकि किताब लिखने वाले और इसमें सहयोग करने वाले सभी नीतीश के बेहद करीबी हैं, इसलिए कहीं भी लाग-लपेट नहीं। दोस्त जैसे दोस्त को संबोधित करते हैं, उसी अंदाज में लिखा गया है, नीतीश यह कहता है या नीतीश तब ऐसा था। किताब में नीतीश और उनके परिवार के दुर्लभ चित्र भी हैं। फ्लैशबैक अंदाज में लिखी किताब बोर नहीं करती। सरल भाषा और प्रवाहमय शैली में लिखी किताब को पढ़ने की उत्सुकता अंत तक बनी रहती है।
पुस्तक : नीतीश कुमार : अंतरंग दोस्तों की नजर से लेखक : उदय कांत प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 760 मूल्य : रु. 699.