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भगवान रघुनाथ की पारंपरिक शोभायात्रा के साथ आरंभ हुआ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा

10:16 AM Oct 14, 2024 IST
भगवान रघुनाथ की पारंपरिक शोभायात्रा के साथ आरंभ हुआ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा
कुल्लू दशहरे के शुभारंभ के मौके पर अपने आराध्य भगवान रघुनाथ के दर्शनों के लिये जुटी श्रद्धालुओं की भीड़।-ट्रिन्यू
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शिमला, 13 अक्तूबर (हप्र)
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव आज भगवान रघुनाथ की पारंपरिक शोभा यात्रा के साथ आरंभ हो गया। शोभायात्रा में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए और उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का विधिवत शुभारंभ भी किया। अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव 7 दिनों तक चलेगा और इस दौरान इस उत्सव में आने वाले लोगों को स्थानीय तथा देश की संस्कृति के साथ-साथ विदेशी संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी। दशहरा उत्सव कमेटी ने लगभग डेट दर्जन देशों के सांस्कृतिक दलों को इस बार उत्सव में आमंत्रित किया है। दशहरा उत्सव में 332 देवी देवताओं को आमंत्रित किया गया है।
राज्यपाल हजारों अन्य श्रद्धालुओं के साथ सप्ताह भर चलने वाले उत्सव के मुख्य आकर्षण स्थल पर पहुंचे और भगवान रघुनाथ के दर्शन किए। उन्होंने प्रदेशवासियों को दशहरा की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी मौजूद थे।
राज्यपाल ने इस मौके पर कहा कि यह प्रदेशवासियों का सौभाग्य है कि भगवान रघुनाथ कुल्लू में विराजमान हैं। उनकी कृपा हम पर बनी रहे और हम इसी तरह अपनी देव संस्कृति को आगे बढ़ाते रहें। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें नशा मुक्त महोत्सव के लिए भी प्रयास करने चाहिए। इसके बाद राज्यपाल ने विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और अन्य गैर-सरकारी संगठनों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का उद्घाटन किया। उन्होंने स्टालों का भी दौरा किया और प्रदर्शनियों की सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की संस्कृति बहुत समृद्ध और अनूठी है, जिसकी दुनिया भर में एक अलग पहचान है। शुक्ल ने कहा कि यह बहुत खुशी और गर्व की बात है कि मैं आज कुल्लू की खूबसूरत घाटी में अंतरराष्ट्रीय दशहरा महोत्सव के भव्य अवसर को मनाने के लिए आपके सामने खड़ा हूं।
उन्होंने कहा कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत और धर्म की जीत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सदियों से हमारी सांस्कृतिक ताने-बाने का अभिन्न अंग रहे कुल्लू के अनूठे उत्सव ने न केवल परंपरा के सार को संरक्षित किया है, बल्कि अपनी भव्यता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी हासिल की है।

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