अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मिट्टी का वाटर बर्ड बोलता है पक्षियों की भाषा
कुरुक्षेत्र, 7 दिसंबर (हप्र)
मिट्टी का वाटर बर्ड पक्षियों की भाषा बोलता है। जी हां, मिट्टी से हाथ के खिलौने बनाने वाले शिल्पकार कार्तिक ने बेजान मिट्टी के खिलौने में पानी डालकर पक्षी की आवाज सुनाकर सबको हैरत में डाल दिया। इस प्रकार के खिलौनों को वे पुश्तों से तैयार कर रहे हैं। इस महोत्सव में पहली बार शिल्पकार कार्तिक को एनजैडसीसी की तरफ से आमंत्रित किया गया। इस महोत्सव में केवल बच्चों के लिए ही मिट्टी से बने खिलौने तैयार करके लाए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 के शिल्प मेले में स्टॉल नम्बर 28 पर सजे मिट्टी के खिलौने बच्चों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं। इस महोत्सव के पहले दिन शिल्पकार कार्तिक ने मिट्टी के पक्षी रखे हैं।
उन्होंने बातचीत करते हुए कहा कि मिट्टी के खिलौने बनाने का काम कई पीढ़ियों से किया जा रहा है। इस महोत्सव में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र की तरफ से पहली बार आमंत्रित किया गया है और तमिलनाडु से बच्चों के लिए मिट्टी के खिलौने बनाकर लाए हैं। इन खिलौनो को वाटर बर्ड के नाम से पुकारा जाता है। यह वाटर बर्ड पक्षियों की भाषा बोलता है।
गीता महोत्सव में सिराज बिहार के गांव भागलपुर से महिलाओं के लिए सिल्क की साड़ियां, सूट और दुपट्टे बनाकर लाए हैं। इस महोत्सव में 1500 से लेकर 5 हजार रुपए तक के सूट और साड़ियां लाए हैं। अहम पहलू यह है कि जब से गीता जयंती शुरू हुई है तब से शिल्पकार महोत्सव में पहुंच रहे हैं। जीरी (धान) के एक-एक दाने को टेराकोटा पर चस्पा कर देवी मां की तस्वीरनुमा मूर्ति तैयार की है। इस मूर्ति को तैयार करने में लगभग 6 घंटे का समय लगता है। टेराकोटा से हरे रामा-हरे कृष्णा, राधे-राधे, चैतन्य महाप्रभु और कान्हा का खिलौना विशेष तौर पर तैयार किया गया है। यह शिल्पकला वेस्ट बंगाल से शिल्पकार किशना सिंह लेकर आए हैं। शिल्पकार किशना सिंह का पिछले 15 सालों से भी ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के साथ नाता रहा है।