सफीदों ‘सोने के अंडों’ के सहारे एक ही खाप के दो दिग्गजों के बीच दिलचस्प मुकाबला
रामकुमार तुसीर/निस
सफीदों, 22 सितंबर
सफीदों का विधानसभा चुनाव महंगा भी है और दिलचस्प भी। दो कुक्कुट उद्योगपतियों के बीच इस चुनाव में हुए 36 के आंकड़े ने सफीदों को और चर्चित बना दिया है। यहां की राजनीति पर कुक्कुट उद्योगपतियों के आधिपत्य की वजह से अन्य उम्मीदवारों के लिए मुकाबला मुश्िकल हो चला है। ‘सोने के अंडों’ के बल पर चुनावी दंगल में ‘दंड बैठक’ कर रहे दो दिग्गज देशवाल खाप के जसबीर देशवाल व सुभाष देशवाल (सुभाष गांगोली) हैं। जसबीर देशवाल तो उत्तर भारत की एक नामी कुक्कुट ब्रांड के मालिक हैं। सुभाष गांगोली का भी बड़ा कुक्कुट उद्योग है। सुभाष गांगोली पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो के हलका प्रधान होते हुए रातों रात कांग्रेस पार्टी की टिकट लाने में कामयाब रहे। उस चुनाव में यहां के पूर्व विधायक जसबीर देशवाल के कट्टर विरोधी पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य भाजपा के उम्मीदवार थे। जसबीर देशवाल तब थे तो भाजपा में ही लेकिन तब खुद भाजपा की टिकट लेने में नाकामयाब रहे जसबीर ने अपने कट्टर विरोधी बचन सिंह आर्य को हराने के लिए अपनी खाप के लोगों के अनुरोध पर सुभाष गांगोली को अपना समर्थन देकर चुनाव में ठीक उसी तरह जितवाया था, जिस तरह पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपना त्यागपत्र देकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनवा दिया था। जसबीर इसे ‘डंगवारे’ की तरह मान रहे थे जिन्हें उम्मीद थी कि अगले चुनाव में सुभाष व देसवाल खाप उनका साथ देंगे। लेकिन विधायक चुने जाने के बाद सुभाष गांगोली ने कांग्रेस पार्टी व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ अपनी पकड़ मजबूत कर ली और इस बार भी वह कांग्रेस के उम्मीदवार बन गए। सुभाष गांगोली के तेवर बदलते देख इस बार काफी पहले ही जसबीर देशवाल ने हर हाल में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था और भाजपा में रहते पार्टी टिकट की दावेदारी के साथ वह चुनाव की निरंतर तैयारी कर रहे थे। इस बार जब उन्हें भाजपा की टिकट नहीं मिल पाई तो वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं।