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राज्यों के सुरक्षा अंगों का एकीकरण और सैन्य-नागरिक संबंधों में मजबूती जरूरी

07:33 AM Dec 03, 2023 IST
चंडीगढ़ में शनिवार को मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में विशेष कवर के विमोचन के मौके पर अन्य सैन्य अधिकारियों के साथ ले. जनरल मनोज कुमार (बाएं से चौथे)। - विक्की

केवल तिवारी/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 2 दिसंबर
चंडीगढ़ में आयोजित मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि राज्यों के सुरक्षा अंगों का एकीकरण होना चाहिए। साथ ही रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि बदली हुई परिस्थितियों में सैन्य-नागरिक संबंधों में मजबूती बेहद जरूरी है। इस साहित्य उत्सव में तीन सत्रों के दौरान सेना के वरिष्ठ अफसरों, सिविल अधिकारियों एवं विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। द ट्रिब्यून इस आयोजन का मीडिया पार्टनर है। दो दिवसीय यह फेस्टिवल रविवार को भी चलेगा।

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चंडीगढ़ में शनिवार को मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में विशेष कवर के विमोचन के मौके पर अन्य सैन्य अधिकारियों के साथ ले. जनरल मनोज कुमार (बाएं से चौथे)। - विक्की

‘यूक्रेन में संघर्ष से भारत द्वारा सीखे जाने वाले सैन्य, रणनीतिक और राजनयिक सबक’ विषय पर नेशनल डिफेंस कॉलेज के पूर्व कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश मेनन ने कहा, ‘आज का युद्ध केवल सेना के बारे में नहीं है, बल्कि इसमें सरकार के कई अलग-अलग अंग शामिल हैं, जिन्हें एक सामान्य उद्देश्य के लिए एकीकृत करना होगा।’ उन्होंने कहा कि ऐसा केवल राजनीतिक नेतृत्व ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उनके सैन्य नेताओं ने यह विश्वास दिलाने के लिए गुमराह किया है कि युद्ध रूस के लिए आसान होगा। लेफ्टिनेंट जनरल मेनन ने कहा कि भारत को अपने विरोधियों के साथ विवादों को सुलझाने के लिए यथासंभव बल प्रयोग नहीं करने का प्रयास करना चाहिए और बातचीत मुद्दों को सुलझाने का अधिक सभ्य तरीका है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि सेना तैयार नहीं है, बल्कि जरूरत पड़ने पर राजनीतिक नेतृत्व के लिए आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए।
पश्चिमी क्षेत्र में तैनात ब्रिगेडियर दीपक चौबे ने कहा कि अब युद्ध का स्वरूप बदल गया है। उन्होंने कहा कि भारत को बहुआयामी युद्ध का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे युद्ध में न केवल वर्दीधारी लोग शामिल होंगे, बल्कि घर में बैठे आम नागरिक तक शामिल होंगे। ब्रिगेडियर दीपक चौबे ने गीता के संदेश ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन...’ से अपनी बात की शुरुआत करते हुए कहा कि अब वह दौर गया जब युद्ध आमने-सामने होता था। आज आधुनिकतम तकनीक के इस्तेमाल से युद्ध खतरनाक दौर में पहुंच गया है। युद्ध के विस्तार पर एक कविता, ‘द्वंद्व कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए, तू वंशज है राणा का, फेंक जहां तक भाला जाए’ को कोट करते हुए उन्होंने कहा कि भाला का संदर्भ यहां रॉकेट से है। रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज सैन्य और नागरिक हर कोई युद्ध क्षेत्र से जुड़ा है।

मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के एक सत्र के दौरान सवाल का जवाब देते ले. जनरल प्रकाश मेनन (बीच में) साथ हैं ब्रिगेडियर दीपक चौबे (दाएं) एवं मेजर जनरल हरविजय सिंह। - विक्की

कार्यक्रम में लेखक और टिप्पणीकार मेजर जनरल हरविजय सिंह ने कहा कि रूस को भारत के 1971 के बेहद सफल बांग्लादेश मुक्ति अभियान से सबक सीखना चाहिए था, जहां भारतीय सेना ने ढाका तक पहुंचने का लक्ष्य रखा था। तालिबानी विस्तार और पाकिस्तान की स्थिति पर आयोजित दूसरे सत्र का मंच संचालन आईएएस अधिकारी आरके कौशिक ने किया। उन्होंने संक्षेप में पाकिस्तान के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि वहां के ज्यादातर सियासी नेता सेना और खुफिया इकाई आईएसआई द्वारा बनाए गए, जिसका परिणाम आज सबके सामने है। इस सत्र में ब्रिगेडियर हर्षवर्धन एवं आईएएस अधिकारी राखी गुप्ता भंडारी ने भी अपने विचार रखे। सुश्री भंडारी ने पर्यटन के क्षेत्र को बढ़ावा देने पर जोर दिया। अंतिम सत्र में चीन की स्थिति पर चर्चा हुई।

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सैन्य खर्च बढ़ाने की जरूरत : मनीष तिवारी

सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि भारत को चीन के साथ अपने शून्य संबंध से अलग होने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘हमें सीमा मुद्दे पर बातचीत करनी चाहिए।’ तिवारी ने कहा, ‘देश को इस बात से अवगत कराने की जरूरत है कि बातचीत में देना और लेना शामिल होगा। आर्थिक मसले होंगे।’ सांसद ने कहा, ‘हमें अतिरिक्त क्षेत्र और सुरक्षा के बीच अंतर करने के लिए अपनी सोच में बुनियादी बदलाव करने की जरूरत है।’ मनमोहन सिंह कैबिनेट में मंत्री रह चुके तिवारी ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि सेना पर खर्च बढ़ाना होगा।
ई-बुक की गयी लॉन्च कार्यक्रम की शुरुआत में पश्चिमी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने भारत और दुनिया भर में लिट-फेस्ट, सैन्य चुनौतियों का विवरण देने वाली ई-बुक लॉन्च की। इस वर्ष के उत्सव का विषय ‘वर्ल्ड इन टरमॉयल एंड लेसन लर्न्ट फ्रॉम हिस्ट्री’ है। सेना कमांडर ने लेफ्टिनेंट जनरल जेएस चीमा (सेवानिवृत्त) और डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ में राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाली प्रोफेसर कंवलप्रीत कौर द्वारा लिखित पुस्तक ‘ब्रेवहार्ट्स ऑफ पंजाब’ का भी विमोचन किया। पुस्तक में पंजाब के उन सभी 121 सैनिकों का विवरण है जिन्हें परमवीर चक्र, महावीर चक्र और अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है।

पड़ोसी देशों के साथ बातचीत बंद नहीं होनी चाहिए : मणिशंकर अय्यर

पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि बातचीत और कूटनीतिक प्रयास कभी खत्म नहीं होने चाहिए। गलवान मसले पर यदि हम चीन के साथ बातचीत जारी रख सकते हैं तो पाकिस्तान के साथ बातचीत का रास्ता क्यों बंद हो। अय्यर ने जोहानिसबर्ग से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये अपनी बात रखी। अय्यर ने कहा, ‘पाकिस्तान हो या चीन, दोनों देशों के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्ते खत्म नहीं होने चाहिए।’ अय्यर ने कहा कि 1988 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी बीजिंग की यात्रा पर गए थे। उस वक्त कई संधियां दोनों देशों के बीच हुई थीं। इस मौके पर अजय बिसारिया ने पाकिस्तान के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2016 से पहले लगातार वार्ता होती रही, लेकिन बाद में पुलवामा, बालाकोट और फिर धारा 370 खत्म किए जाने के बाद बातचीत बिल्कुल बंद हो गयी है।

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