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सरोकारों की प्रेरक पहल

12:57 PM Aug 22, 2021 IST

अरुण नैथानी

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अरुण तिवारी के संपादन में ‘प्रेरणा समकालीन लेखन के लिये’ साहित्यिक पत्रिका साहित्य व सामाजिक सरोकारों के लिये प्रतिबद्ध नजर आती है। ऐसे वक्त में जब देश डेढ़ साल से कोरोना संकट के अवसाद से गुजर रहा है, 75 वर्ष से अधिक के सक्रिय लेखकों की रचनाओं का प्रकाशन कर अभिनव पहल की है। निस्संदेह इस आयु वर्ग को कोरोना संकट का सबसे ज्यादा शिकार होना पड़ा। समीक्ष्य अंक में सेहत के सवालों के साथ ही समकालीन साहित्य की विभिन्न विधाओं की पठनीय रचनाएं संकलित हैं।

पत्रिका : प्रेरणा समकालीन लेखन के लिये संपादक : अरुण तिवारी प्रकाशक : प्रेरणा, देशबंधु भवन, भोपाल पृष्ठ : 154 मूल्य : रु. 50.

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रचनाकर्म की महक

साहित्य, कला एवं संस्कृति की त्रैमासिक पत्रिका पुष्पगंधा के ताजा अंक में सुमित सक्सेना लाल की रचनाओं को विशेष स्थान दिया गया है। निरंतर सुधरते कलवेर के बीच पत्रिका के अगस्त-अक्तूबर अंक में सुमित सक्सेना से डॉ. रश्मि खुराना की अतरंग बातचीत के अलावा उनकी कहानी, कविता और उपन्यास अंक में प्रकाशित किये गये हैं। इस अंक में पुष्पगंधा द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार विजेता सुधा जुगरान की कहानी भी प्रकाशित की गई है। साथ सभी स्थायी स्तंभ भी हैं।

पत्रिका : पुष्पगंधा संपादक : विकेश निझावन प्रकाशन : पुष्पगंधा, सिविल लाइन्स, अंबाला शहर पृष्ठ : 114 मूल्य : रु. 30.

उम्मीद जगाते नवांकुर

प्रगतिशील इरावती का कविता विशेषांक ऐसे वक्त में पाठकों तक पहुंचा है जब संपादक राजेन्द्र राजन अपने युवा पुत्र अभिषेक के असमय चले जाने से मर्मांतक पीड़ा से गुजर रहे थे। अंक का संयोजन-संपादन उनकी सृजन सरोकारों की गहरी प्रतिबद्धता को जाहिर करता है। कविता विशेषांक के संपादन का दायित्व उन्होंने अतिथि संपादक गणेश गणी को सौंपा। गणी ने इस अंक के लिये करीब तीन सौ प्रविष्टियों में से सिर्फ 75 नवांकुरों को जगह दी। निस्संदेह ये नये कवियों को मंच देने व प्रोत्साहित करने की सार्थक पहल थी।

पत्रिका : प्रगतिशील इरावती संपादक : राजेंद्र राजन प्रकाशक : गांव बल्ह, मौंहीं, हमीरपुर पृष्ठ : 96 मूल्य : रु. 100.

साहित्य की शीतलता

शीतल वाणी के हालिया संयुक्तांक में संपादक डॉ. वीरेन्द्र ‘आजम’ ने समकालीन साहित्य के सवालों के विवेचन के साथ उन रचनाकारों को याद किया है जो इस कोरोना काल में हमें छोड़ गये। इनमें नरेंद्र कोहली, गीतों के कुंअर- डॉ. कुंअर बेचैन व गीतकार राजेन्द्र राजन शामिल रहे। अंक में उदय प्रकाश की कहानियों में आप्त-लोक की तलाश, नये समय में मीडिया शिक्षा की चुनौतियां व एक नायाब शायर: ओम शंकर ‘असर’ पठनीय रचनाएं हैं। साथ ही स्थायी स्तंभों के साथ व्यंग्य, कहानियां, लघुकथाएं, काव्य लोक, दोहे व समीक्षा आदि विधाओं की रचनाएं संकलित हैं।

पत्रिका : शीतल वाणी संपादक : डॉ. वीरेन्द्र ‘आजम’ प्रकाशक : मीनाक्षी सैनी, प्रद्युमन नगर, सहारनपुर पृष्ठ : 56 मूल्य : रु. 25.

समय के सवालों का मंथन

एक और अंतरीप के ध्येय वाक्य में पत्रिका को मानव मुक्ति को समर्पित बताया गया है, जिसकी बानगी पत्रिका में संकलित रचनाओं में भी नजर आती है। किसान आंदोलन की दयनीय परिणति शीर्षक रचना में प्रधान संपादक प्रेम कृष्ण शर्मा ध्येय वाक्य को पूरा करते नजर आते हैं। पत्रिका में हर वैचारिक आग्रह एक खिड़की है… शीर्षक डॉ. अनामिका से हुई लंबी बातचीत सृजन के सरोकारों से रूबरू कराती है। अंक में व्यंग्य विधा से जुड़ी रचनाएं, यात्रा वृत्तान्त, कहानी-कविता पत्रिका को पूर्णता देती हैं।

पत्रिका : एक और अंतरीप संपादक : डॉ. अजय अनुरागी, डॉ. रजनीश प्रकाशक : अंतरीप, झोटावाड़ा, जयपुर पृष्ठ : 96 मूल्य : रु. 40.

सृजन-कुंज के ज्ञान-पुंज

श्रीगंगानगर में निरंतर साहित्य की गंगा साधने की कोशिश में रत डॉ. कृष्ण कुमार ‘आशु’ के संपादन में शोध, संस्कृति एवं साहित्य की त्रैमासिक ‘सृजन कुंज’ गुणवत्ता बनाये हुए है। शोध खंड में मुक्ति का मार्ग निर्मित करती कविताएं, समय के पार सच की तलाश व स्त्री चेतना और गीताश्री के उपन्यास रचनाएं पठनीय हैं। गीताश्री पर केंद्रित अंक ‘गीतानामा’ अतिथि संपादक डॉ. नवज्योत भनोत के संपादन में आया है। साहित्य खंड में उषा किरण, धीरेन्द्र अस्थाना, अनामिका, मनीषा कुलश्रेष्ठ, प्रभात रंजन, उमा व प्रियदर्शन की गीताश्री केंद्रित रचनाएं संकलित हैं।

पत्रिका : सृजन कुंज संपादक : डॉ. कृष्ण कुमार ‘आशु’ प्रकाशक : शब्दांश, श्रीगंगानगर पृष्ठ : 84 मूल्य : रु. 200. (वार्षिक)

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