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जल सहेजने को जागरूकता की प्रेरक पहल

06:44 AM Oct 31, 2023 IST

पंकज चतुर्वेदी

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कैथन पुरवा, उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले का एक गांव। यहां से खबर आई कि गांव वालों ने रेडियो जल क्लब का गठन किया है। इस संस्था के लोग गांव में घर-घर जाकर बता रहे कि सभी को बूंद-बूंद पानी बचाना होगा, तभी भविष्य के लिए पेयजल संरक्षित रह पाएगा। महिलाएं समझ रही हैं कि पेयजल के साथ स्वच्छता सभी के लिए जरूरी है। बच्चे के हाथ भोजन करने के पूर्व तथा शौच के बाद साबुन से धुलें। सभी को शिक्षा के साथ स्वच्छता एवं पेयजल संरक्षित करने में सहयोग देना होगा। इसी तरह लखीमपुर जिले के ग्राम डकिया जोगी की महिलाओं ने ‘जल क्लब’ बना लिया। क्लब से जुड़ी महिलाएं शपथ ले चुकी हैं कि जल की हर बूंद को सहेजने के लिए काम करेंगे। उत्तर प्रदेश के कई गांव-कस्बों से अब लोग पानी सहेजने के लिए आगे आ रहे हैं। यह असर संचार के एकतरफा संवाद का माध्यम कहे जाने वाले रेडियो पर प्रसारित एक कार्यक्रम ‘बूंदों की न टूटे लड़ी ’ का है।
पानी बचाना जरूरी है। बेपानी हो गए तो देश के प्रगति चक्र की गति मंथर हो जाएगी। यह बात समाज भी समझता है और सरकार भी। प्रयास भी हो रहे हैं लेकिन लोगों तक इस विषय में जागरूकता की किरणें नहीं पहुंची। भले ही सूचना और मनोरंजन के कई आधुनिक साधन उपलब्ध हैं लेकिन आज भी आम आदमी का, दूरदराज आंचलिक आबादी का सहज-सुलभ संचार साधन रेडियो ही है। जब से मोबाइल में इंटरनेट के जरिये रेडियो मिलने लगा है, लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है।
इन दिनों आकाशवाणी, लखनऊ पानी की हर बूंद बचाने के लिए 100 दिन की शृंखला चलाये हुए है। इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं। श्रोता जल बचाने के लिए अपने स्तर पर एकजुट होकर प्रयास कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर लिखा- मुझे आकाशवाणी लखनऊ द्वारा जल संरक्षण की अनूठी पहल पर संचालित रेडियो कार्यक्रम ‘बूंदों की न टूटे लड़ी’ में सम्मिलित होने का सौभाग्य मिला। जल है तभी जीवन है। पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, जीव-जंतु, मानव समुदाय सभी जल पर निर्भर हैं।
आकाशवाणी के लखनऊ केंद्र द्वारा जी-20 में भारत की अध्यक्षता के उत्सव स्वरूप विश्वविद्यालयों के युवाओं के साथ यूथ कॉनक्लेव्स का आयोजन किया था जिसमें पर्यावरण और समेकित विकास के विशेष कार्यक्रम हुए। इसी क्रम में आकाशवाणी लखनऊ ने अपने एफएम चैनल पर एक अभिनव प्रयोग किया— जल के लिए चल। इसके तहत एक दौड़ का आयोजन किया गया जिसमें अपेक्षा से कई सैकड़ों गुना लोग आए।
लोगों के उत्साह को देखते हुए आकाशवाणी की कार्यक्रम अधिकारी मीनू खरे ने एक और अनूठा प्रयोग शुरू कर दिया– ‘जल संरक्षण के लिए रेडियो तरंगों पर मानव शृंखला का निर्माण।’ यह अनवरत शृंखला 100 दिन तक चल रही है। यह देश की प्रथम ह्यूमन चेन है जो रेडियो तरंगों पर निर्मित हो रही है। इसके अंतर्गत हर दिन किसी ऐसे जल योद्धा से बातचीत की जाती है जिसने जल संरक्षण में क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया हो। इसमें समाज के हर वर्ग के जल योद्धा शामिल हैं-पद्म अलंकारों से विभूषित जल योद्धा, ब्यूरोक्रेट्स, वैज्ञानिक, शिक्षाविद, गीतकार, गायक, अभिनेता, कम्युनिटी लीडर्स, पत्रकार और सामान्य जन आदि। इसमें पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, पद्मश्री उमाशंकर पांडेय, प्रशासनिक अधिकारी हीरा लाल, मैग्सेसे अवार्डी राजेंद्र सिंह, पुलिस सेवा के महेंद्र मोदी आदि शामिल हो चुके हैं। यह कार्यक्रम सुबह नौ बजे आता है, जिसमें दस मिनट के विमर्श में ‘पानी बचाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?’ पर सवाल-जवाब होते हैं।
इस कार्यक्रम से कई ऐसे लोग सामने आये जो असाधारण काम कर रहे हैं। मडियाओन की एच़ फातिमा ने एलएमसी द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले नल के पानी की गुणवत्ता के मुद्दों की खोज के बाद स्वच्छ पानी के लिए रैली की थी। इसके बाद न केवल समुदाय को साफ पानी उपलब्ध हुआ, बल्कि पाइपलाइन लीक मरम्मत कर पानी की बर्बादी भी रोकी गई।
यह सुखद है कि आवाज़ की दुनिया चेहरे को नहीं, बल्कि कार्य को प्रस्तुत कर रही है और इससे जल को लेकर आम लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है। लोग जान रहे हैं कि जल का स्रोत केवल बरसात है या फिर ग्लेशियर। नदी, समुद्र, तालाब, कुआं-बावड़ी जल के स्रोत नहीं बल्कि प्रकृति से मिले जल को सहेजने के खजाने हैं।
यह रेडियो विमर्श लोगों को याद दिला रहा है कि प्रकृति पानी हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है और इस चक्र को गतिमान रखना हमारी जिम्मेदारी है। प्रकृति के खजाने से हम जितना पानी लेते हैं उसे वापस भी हमें ही लौटाना होता है। जरूरी है कि विरासत में हमें जल को सहेजने के जो साधन मिले हैं उनको जीवंत रखें। आकाशवाणी की यह मुहिम और इसे मिल रहा सकारात्मक प्रतिसाद अन्य एफएम रेडियो और टीवी चैनलों के लिए प्रेरणा है।

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