पंजाब की प्रेरक पहल
भारत दुनिया में सड़क हादसों की दृष्टि से बहुत बुरी स्थिति में माना जाता है। हर साल होने वाले साढ़े चार लाख से अधिक सड़क हादसों में प्रति वर्ष डेढ़ लाख से अधिक लोग मारे जाते हैं। वहीं घायलों का आंकड़ा भी साढ़े चार लाख से अधिक है। उसमें उन लोगों की संख्या भी अच्छी-खासी है जो जीवनपर्यंत अपंगता का शिकार हो जाते हैं। दुर्भाग्य से हादसों में मरने व घायल होने वाले लोगों में कामगार व युवा आबादी की संख्या ज्यादा होती है। ऐसे में परिवार के कमाने वाले सदस्य के जाने के बाद पूरा परिवार गरीबी के दलदल में चला जाता है। इस भयावह संकट के मद्देनजर एक कारगर व रचनात्मक पहल पंजाब सरकार की ओर से हुई है। पंजाब सरकार ने हर साल सड़क हादसों में मरने वाले लगभग चार हजार लोगों की जान बचाने के लिये कदम उठाया है। पंजाब की पांच हजार पांच सौ किमी सड़कों पर हादसों को टालने के लिये 144 अत्याधुनिक वाहन तैनात करने का फैसला किया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने राज्य के बारह जिलों के लिये निगरानी करने वाले 129 हाईटैक वाहनों को हरी झंडी दिखायी। दरअसल, इन वाहनों से उन लोगों पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा, जो नियम-कानून तोड़कर हादसों को अंजाम देते हैं। दरअसल, दुर्घटनाओं के मूल में अनियंत्रित गति और नशे में तेज वाहन चलाना ही होता है। इन तैनात वाहनों में स्पीड गन, अल्कोमीटर, मेडिकल किट,ई-चालान मशीन व एआई आधारित स्मार्ट प्रणाली लगी होगी। जो अनियंत्रित यातायात को नियंत्रित करने में सहायक होंगे। दरअसल, एक फरवरी से तैनात होने वाली सड़क सुरक्षा फोर्स की टीम हर जिले की रोड से जुड़ने वाले राजमार्गों पर इंटरसेप्ट करेगी। दरअसल, हर तीस किलोमीटर पर तैनात इन वाहनों में एक प्रशिक्षित टीम तैनात रहेगी। सबसे अच्छी बात यह है कि किसी भी दुर्घटना होने पर ये अत्याधुनिक वाहन घटना स्थल पर पहुंचेंगे और घायलों को तुरंत प्राथमिक उपचार देने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाएंगे।
निश्चित रूप से सड़क हादसों को रोकने की दिशा में पंजाब की आप सरकार की यह सार्थक पहल है। इस कार्य को संवेदनशील ढंग से संचालित किये जाने के लिये पूर्व ओलंपियन गगन अजीत सिंह को सड़क सुरक्षा फोर्स का एसएसपी नियुक्त किया गया है। निस्संदेह, इस तरह की पहल करने वाला पंजाब देश का अग्रणी राज्य है। यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि कीमती जानें बचाने का यह मेरा सपना साकार हो रहा है। उल्लेखनीय है कि सांसद के रूप में भी मान संसद में सड़क दुर्घटनाओं का मुद्दा अकसर उठाते रहे हैं। इसी सोच के चलते इस अभिनव योजना को अंजाम दिया जा सका। निस्संदेह, हम अकसर सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों को गिनती के रूप में देखते हैं। जिस परिवार का सदस्य बेमौत मारा जाता है उसके दर्द को महसूस नहीं करते। यह विडंबना है कि अकसर लोग दूसरों की लापरवाही से मारे जाते हैं, जिसमें उनका कोई कसूर नहीं होता है। वे न चाहते हुए भी परिवार को जीवन भर का दुख दे जाते हैं। बहरहाल, राज्य शासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सड़क सुरक्षा फोर्स मुस्तैदी से काम करे और उस लीक को तोड़े जिसके लिये अब तक पुलिस की आलोचना सुस्ती के लिये की जाती है। तभी राज्य में हर रोज सड़क दुर्घटना में मरने वाले चौदह लोगों का अनमोल जीवन बचाया जा सकेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि नये भर्ती किये गए करीब तेरह सौ पुलिसकर्मी अपने कैरियर की शुरुआत जिंदगियां बचाकर शानदार ढंग से करेंगे। दरअसल, मौजूदा 432 पुलिसकर्मियों के साथ आठ घंटे की ड्यूटी में ये सुरक्षाकर्मी 24 घंटे अत्याधुनिक वाहनों में तैनात रहेंगे। उल्लेखनीय है कि सड़क सुरक्षा फोर्स के लिये नये भर्ती जवानों को पुलिस प्रशिक्षण अकादमी कपूरथला में विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। उत्साहवर्धक बात यह है कि वाहन चालकों में 90 महिला पुलिसकर्मी हैं। हालांकि, पंजाब सरकार ने एक लंबी तैयारी के बाद इस सड़क सुरक्षा योजना को अंजाम दिया है, लेकिन शासन की ओर से सभी पहलुओं पर नजर रखकर इसे अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास करना चाहिए।