प्रेरणादायक बाल-एकांकी
मनमोहन गुप्ता मोनी
‘गोलू पढ़ेगा’ महाबीर रवांल्टा द्वारा लिखित बाल-एकांकी संग्रह है, जिसमें 6 रचनाएं शामिल हैं। सामाजिक विसंगतियों को लेकर लिखे इन नाटकों की भाषा तो सहज है ही, बाल मनोविज्ञान का भी ध्यान रखा गया है। ‘गोलू पढ़ेगा’ बड़ा ही मार्मिक नाटक है। दिव्यांग बच्चों के प्रति सहयोग और उन्हें प्रेरित करने के उद्देश्य से लिखा एक बढ़िया नाटक है।
‘दीपा की जिद’ में लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया गया है। ‘मुनारबंदी’ एक ऐतिहासिक घटनाक्रम पर आधारित है। उत्तराखंड के इतिहास में इसे काले अक्षरों में लिखा माना जाता है। गांव के लोगों को चरागाह भूमि से बेदखल कर दिया गया जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन पर गोलियां बरसायी गईं। इस गोलीकांड में कई किसान शहीद हो गए। यह एक बहुत ही रोमांचक नाटक है।
‘दर्द’ नाटक में एक संदेश है कि अंधविश्वास जान जोखिम में डाल सकता है। झाड़फूंक के चक्कर में इंसान जिंदगी से हाथ तक धो बैठता है। बाल श्रम के विरोध में लिखा नाटक ‘ननकू नहीं रहा’ प्रभावशाली है। कुल मिलाकर सभी नाटक मंचीय के साथ-साथ पठनीय भी हैं। हर आयु वर्ग के लिए भी उपयोगी हैं।
पुस्तक : गोलू पढ़ेगा लेखक : महाबीर रवांल्टा प्रकाशक : विभोर प्रकाशन, भोपाल पृष्ठ : 112 मूल्य : रु. 200.