हिंदी दोहा साहित्य में अभिनव प्रयोग
सत्यवीर नाहड़िया
पुस्तक : वर्ण-वेणी रचनाकार : सरोज दहिया प्रकाशक : सरोज प्रकाशन, सोनीपत पृष्ठ : 371 मूल्य : रु. 700.
वर्ण-वेणी एक ऐसा हिंदी दोहा ग्रंथ है, जिसमें रचनाकार सरोज दहिया ने हिंदी वर्णमाला की बारहखड़ी के प्रत्येक वर्ण पर क्रमानुसार दस-दस दोहे रचे हैं। इस ग्रंथ में शामिल किए गए 3476 दोहों में विषयों की विविधता देखते ही बनती है।
कृति के दोहों में जीव-जगत के तमाम विषयों को शामिल किया गया है। इनमें सामाजिक विसंगतियों और विद्रूपताओं पर चोट की गई है, तो जीवन दर्शन के उज्ज्वल पक्षों को भी चित्रित किया गया है। इतना ही नहीं, इस रचनाधर्मिता में सूक्ष्म मानवीय संवेदनाओं को कलात्मकता से रेखांकित किया गया है, और सामाजिक दोगलेपन पर केंद्रित अनेक प्रसंगों के प्रति यक्ष प्रश्न उठाकर लेखकीय दायित्व को बखूबी निभाया गया है।
सामाजिक सरोकारों से जुड़ी रचनाधर्मिता में दोहाकार ने सैकड़ों दोहों में कबीर की भांति प्रासंगिक प्रेरक शाब्दिक लताड़ लगाई है।
ग्रंथ में व्यंग्यात्मक शैली में लिखे दोहे धारदार बन पड़े हैं। इस श्रमसाध्य सृजनशीलता में रचनाकार ने बारहखड़ी के उन वर्णों से भी दोहे लिखने का प्रयास किया है, जिनमें शब्द न के बराबर हैं। ष वर्ग की बारहखड़ी, झै आदि वर्णों से प्रारंभ होने वाले शब्द न मिलने पर संबंधित दोहों में रचनाकार इन वर्णों का मानवीकरण करके कहीं हंसी-मजाक में इन्हें कोसती हैं, तो कहीं शब्दशिल्पियों को इन्हें मान देने के लिए प्रेरित करती हैं।
ग्रंथ की भाषा बेहद सरल, सहज और बोधगम्य है। इस रचनाधर्मिता में मुहावरों, लोकोक्तियों और सूक्तियों का प्रयोग, सुंदर छपाई और कलात्मक स्वरूप ग्रंथ की खूबियां हैं।