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इनेलो ने कालांवाली से मास्टर गुरतेज सिंह को चुनाव मैदान में उतारा, भाजपा व कांग्रेस ने नहीं खोले पत्ते

08:10 AM Sep 04, 2024 IST
इनेलो ने कालांवाली से मास्टर गुरतेज सिंह को चुनाव मैदान में उतारा  भाजपा व कांग्रेस ने नहीं खोले पत्ते
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रोहित जैन/ निस
कालांवाली, 3 सितंबर
कालांवाली विधानसभा से इनेलो ने नये चेहरे के रूप में बुध सिंह के बेटे मास्टर गुरतेज सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया है। राजनीति परिवार के अलावा ईमानदार और साफ-छवि के उम्मीदवार के मैदान में उतरने से कालांवाली विधानसभा से मुकाबला त्रिकोणीय होने की उम्मीद है। साथ में इनेलो ने कांग्रेस व भाजपा के लिए सही टिकट वितरण की टेंशन बढ़ा दी है। पुराने चेहरों, विधायक शीशपाल केहरवाला, पूर्व विधायक बलकौर सिंह ,राजेंद्र सिंह देसूजोधा, निर्मल मलड़ी के नाम भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं लेकिन यह साफ है कि कोई शिक्षित, ईमानदार और साफ-छवि का नया चेहरा ही भाजपा व कांग्रेस की नैया पार लगा सकता है।

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कौन हैं मास्टर गुरतेज सिंह

मास्टर गुरतेज सिंह इनेलो के वरिष्ठ नेता बुध सिंह सुखचैन के बेटे हैं। उनके पिता बुध सिंह का भी कालांवाली में राजनीति में बड़ा नाम है। इनेलो ने वर्ष 2014 में बुध सिंह को टिकट की घोषणा कर दी थी। लेकिन अकाली दल से गठबंधन के चलते वह चुनाव नहीं लड़ पाए थे। सिंह कालांवाली के गांवों सुबाखेड़ा, सुखचैन और झोरड़रोही में जेबीटी टीचर थे, 13 माह पूर्व ही वीआरएस ले चुके हैं।
कांग्रेस की तरफ से टिकट के प्रबल दावेदार मौजूदा विधायक शीशपाल केहरवाला माने जा रहे हैं। विधायक केहरवाला पर आरोप है कि वो हलके में कुछ खास विकास कार्य नहीं करवा पाए हैं। जिसके चलते भी आमजन में उनके प्रति नाराजगी है। पूर्व विधायक बलकौर सिंह के बार-बार पार्टी बदलने के चलते जनता में नाराजगी है। अकाली दल से विधायक रहने के बाद बलकौर सिंह बाद में जजपा में शामिल हो गए। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। कहा जा रहा है कि यदि भाजपा बलकौर सिंह को टिकट नहीं देती तो वह पार्टी से दूर हो सकते हैं। राजेंद्र सिंह देसूजोधा भी बार-बार पार्टी बदलने और नशा तस्करों की मदद करने के आरोप के चलते जनता की नाराजगी झेल रहे हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल ने 2019 के विधानसभा चुनावों में उनकी जगह कालांवाली से बलकौर सिंह को टिकट दिया था। उस समय पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राजेंद्र देसूजोधा पर नशा तस्करों की मदद का आरोप लगाया था। टिकट न मिलने से नाराज़ देसुजोधा अकाली दल में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली थी।

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