अक्षम्य लापरवाही
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने वीरवार को एनडीपीएस मामलों में पुलिसकर्मियों के गवाही न देने से क्षुब्ध होकर जो सख्त टिप्पणी की है, उसे पुलिस-तंत्र की आत्मा को झकझोरने वाला कहा जा सकता है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि नशा आग की तरह फैल रहा है। इसे रोकने में पुलिस नाकाम रही है। यह देश से विश्वासघात जैसा है। इसके लिये पुलिस अधिकारियों को माफी मांगनी चाहिए। दरअसल, नशे के कारोबार से जुड़े अपराधियों के खिलाफ एनडीपीएस के तहत दर्ज मामलों में पुलिसकर्मियों के गवाही न देने पर कोर्ट खासा क्षुब्ध था। जिसके चलते अदालत ने गृह सचिव, डीजीपी व एसएसपी को फटकार लगाई। निस्संदेह, आये दिन सीमा पार से तस्करी के जरिये भारी मात्रा में नशा लाया जा रहा है। जाहिर है, यह घातक नशे का कारोबार देश के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले असामाजिक तत्वों की साजिशों से ही हो रहा है। इसके बावजूद पुलिस अपने दायित्वों का निर्वहन न करे तो यह शर्मनाक ही कहा जायेगा। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस नशे के तस्करों व माफियाओं के खिलाफ ईमानदारी से काम नहीं कर रही है। जिसके चलते जनता का पुलिस से भरोसा उठ रहा है। कोर्ट ने एनडीपीएस मामलों में पुलिसकर्मियों के गवाही न देने पर सख्त प्रतिक्रिया जाहिर की। इतना ही नहीं, कोर्ट ने पंजाब के गृह सचिव, डीजीपी व अन्य आला पुलिस अफसरों को फटकार लगाते हुए माफी मांगने को कहा। अदालत का कहना था कि यदि एनडीपीएस मामलों में पुलिस अधिकारी गवाही देने के लिये पेश नहीं हो रहे हैं तो इसका मतलब है कि हमारा तंत्र पूरी तरह विफल है। इसे कोर्ट ने पुलिस व सरकार की विफलता बताया। कोर्ट का मानना था कि ऐसे मामलों में गवाही न होने से निर्दोष लोगों को अधिक समय तक जेल में रहना पड़ता है। कोर्ट ने ड्रग माफिया की जमानत की जिम्मेदारी का भी प्रश्न उठाया।
दरअसल,कोर्ट इस बात से भी नाराज था कि हम दो साल से आदेश दे रहे हैं, लेकिन पालन नहीं हुआ। अदालत के अनुसार पुलिस की कारगुजारियों से उसकी जनता में छवि धूमिल हो रही है। जिसका यह अर्थ भी निकाला जा सकता है कि पुलिस का रवैया अपराधियों के प्रति उदार है। साथ ही यह कि सरकार को आश्वस्त करना चाहिए कि वह इस मामले में ठोस कार्रवाई करने जा रही है। वहीं कोर्ट में शीर्ष पुलिस अधिकारियों का तर्क था कि नशीली दवाओं और अन्य प्रकार के नशे के मामलों के चलते पुलिस पर काम का भारी दबाव है। साथ ही बताया कि हाल के दिनों में राज्य में भारी मात्रा में नशा सामग्री की बरामदगी हुई है। निस्संदेह, इस मामले में कोर्ट की चिंता से सहमत हुआ जा सकता है। पंजाब में नशे से उपजे संकट से जो हालात बन रहे हैं उसे समय रहते नहीं संभाला गया तो बहुत देर हो जाएगी। यही वजह है कि कोर्ट को कहना पड़ा कि हम पुलिस का मनोबल नहीं गिराना चाहते लेकिन हालात बहुत चिंताजनक होते जा रहे हैं। यही कारण है कि कोर्ट को सख्त लहजे में कहना पड़ा कि पिछले दो साल में एनडीपीएस के जिन मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है, उनमें गवाहों को लेकर शीघ्र हलफनामा दाखिल किया जाए। इस हलफनामे में सरकार को स्पष्ट करना होगा कि गवाह क्यों गवाही के लिये नहीं पहुंचे। साथ ही सरकार से कहा गया कि गवाही सुनिश्चित करने के लिये जो कदम उठाये जाएंगे, उनकी समय सीमा निर्धारित करके बतायी जाए। जाहिरा तौर पर इस मुद्दे पर कुछ राजनीतिक बयान भी आने ही थे। विपक्ष द्वारा सरकार की कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े किये जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पुलिस व प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि जिस तरह छह सीमावर्ती जिलों में नशे को रोकने के लिये विलेज डिफेंस कमेटियां बनी हैं, उसी की तर्ज पर राज्य के हर जिले में ऐसी कमेटियां बनायी जाएं। साथ ही उन्होंने सीमा पर सतर्कता के बावजूद अन्य राज्यों से आने वाले नशे पर नजर रखने की बात कही। जिसके लिये अन्य राज्यों से बेहतर तालमेल बनाया जाए।