क्यूसीएम के फरमान के खिलाफ उद्योगपतियों ने खोला मोर्चा
सोनीपत, 9 अगस्त (हप्र)
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (क्यूसीएम) द्वारा एनसीआर में 30 सितंबर के बाद डीजल से चलने वाले जेनरेटरों का इस्तेमाल प्रतिबंधित करने के आदेश के खिलाफ उद्योगपतियों ने मोर्चा खोल दिया है। कुंडली में प्रदेशभर की 35 से अधिक एसोसिएशन ने बैठक कर इसका पुरजोर विरोध करने का निर्णय लिया है। उद्योगपतियों ने साफ कहा कि सरकार को प्रदूषण रोकने को कदम उठाने चाहिए। उद्योग धंधे बंद करने को नहीं। उद्योगपतियों ने कहा कि सुनवाई न होने पर सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेंगे।
बुधवार को कुंडली एचएसआईआईडीसी के सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कुंडली एसोसिएशन के प्रधान सुभाष गुप्ता ने की। कॉन्फेडरेशन ऑफ हरियाणा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के तत्वाधान में आयोजित बैठक में प्रदेशभर की 35 से अधिक एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस दौरान उद्योगपतियों का आरोप था कि डीजल जेनरेटर पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्णय गलत है। सरकार और क्यूसीएम को इसे लेकर फिर से विचार करना चाहिए।
उद्योगपतियों का आरोप था कि जब सरकार उन्हें पूरी बिजली उपलब्ध नहीं करा रही है तो ऐसे में जेनरेटर के बिना तो उत्पादन ठप हो जाएगा और उद्योग बंद हो जाएंगे। अगर उद्योगपतियों को 24 घंटे बिजली मिले तो वह स्वयं ही डीजल जेनरेटर नहीं चलाएंगे। डीजल चलाने से माल तैयार करने का खर्च तीन गुना तक बढ़ जाता है। ऐसे में वह तो खुद ही मजबूरी में ही जेनरेटर चला रहे हैं।
इस दौरान उद्योगपतियों ने कहा कि इसे लेकर क्यूसीएम आयोग के अधिकारियों से मिलेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और प्रदेश के बिजली मंत्री को पत्र लिखकर जेनरेटर की सुविधा जारी रखने की मांग की जाएगी। फिर भी सुनवाई नहीं होने पर वह
सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को विवश होंगे। उन्होंने कहा कि पत्र लिखने के बाद सुनवाई नहीं होने पर फिर से बैठक की जाएगी। जिसमें वह आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर सड़क पर उतरेंगे।
''सरकार जब कोई नया फरमान लेकर आती है तो उसमें सबसे पहले उद्योगों पर तलवार लटकाई जाती है। यह किसी सूरत में जायज नहीं है। जब सरकार उद्योगों को पूरी बिजली उपलब्ध करा दे तो वह स्वयं ही डीजल जेनरेटर बंद कर देंगे। सरकार को उद्योगों को बढ़ाना देने की तरफ ध्यान देना चाहिए। यहां उसके उलट हो रहा है। बिजली दे नहीं रहे और जेनरेटर पर पाबंदी के आदेश देते हो, ऐसे में उद्योगों पर ही मार पड़ेगी। अगर सरकार ने सुनवाई नहीं की तो वह आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।''
-उद्योगपति श्रीपाल शर्मा, कादीपुर, गुरुग्राम
''उद्योगों को चलाने के लिए बिजली सबसे आवश्यक है। ऐसे में उद्योगपति बिजली जाने पर जेनरेटर सेट चलाकर अपना काम चला लेते हैं। अब जेनरेटर बंद करने के आदेश दिए गए हैं। जिससे उद्योगपतियों में बौखलाहट है। यह निर्णय किसी सूरत में सही नहीं है। प्रतिबंध को कोई मानने का कोई विकल्प भी नहीं दिख रहा है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि दिल्ली की तर्ज पर हरियाणा में भी उद्योगों को बिजली उपलब्ध करा दें। डीजल जेनरेटर को बैकअप के रूप में प्रयोग करने की अनुमति मिलनी चाहिए। इसके लिए पीएम, सीएम, डिप्टी सीएम व बिजली मंत्री को पत्र लिखा है। फिर भी सुनवाई नहीं हुई तो बिजली समस्या से जूझ रहे सभी लोगों को एकत्रित कर आंदोलन का विकल्प अपनाया जाएगा।''
-उद्योगपति कर्नल राज सिंह सिंगला, उद्योग विहार गुरुग्राम