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Indus Waters Treaty सिंधु जल संधि फिर बहाल हो? एक महीने में पाकिस्तान ने भेजे तीन पत्र, भारत अब भी अडिग

09:52 AM Jun 07, 2025 IST
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे, जिस पर विश्व बैंक भी हस्ताक्षरकर्ता है। यह संधि दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल के बंटवारे को नियंत्रित करती है।

नयी दिल्ली, 7 जून (ट्रिन्यू)
पाकिस्तान ने भारत को सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty - IWT) को फिर से बहाल करने और पानी के प्रवाह का डेटा साझा करने के लिए बीते एक महीने में तीन पत्र भेजे हैं। ये सभी पत्र 10 मई के बाद भेजे गए, जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच का तनाव कुछ कम हुआ। भारत ने 22 अप्रैल को हुए उस भीषण आतंकी हमले के बाद संधि को 'निलंबित' कर दिया था, जिसमें 25 पर्यटकों और एक टट्टू मालिक की जान गई थी।

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पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा भेजे गए ये पत्र भारत के जलशक्ति मंत्रालय को प्राप्त हुए हैं, जिसे अब विदेश मंत्रालय को कार्रवाई के लिए भेजा गया है। हालांकि, भारत की ओर से फिलहाल कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

सूत्रों के अनुसार, 1960 में बनी सिंधु जल संधि की धारा 12 यह अनुमति देती है कि दोनों सरकारों की सहमति से इसे समय-समय पर संशोधित किया जा सकता है। भारत पहले से ही संधि के आधुनिक तकनीकी परिप्रेक्ष्य में पुनरावलोकन की मांग करता रहा है।

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'पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते महीने राष्ट्र को संबोधित करते हुए स्पष्ट संदेश दिया था कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। इसके बाद ही भारत ने सुरक्षा कैबिनेट समिति की बैठक में यह निर्णय लिया कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और स्थायी रूप से नहीं रोकता, तब तक संधि को निलंबित रखा जाएगा।

पाक की अर्थव्यवस्था और खेती पर गहराता संकट

संधि के निलंबन से पाकिस्तान की रबी फसलों पर सीधा असर पड़ सकता है, क्योंकि उसकी 80% सिंचाई पश्चिमी नदियों—सिंधु, झेलम और चिनाब—से होती है। यही नहीं, इन नदियों का पानी देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 21% योगदान देता है। ऐसे में जल प्रवाह पर अनिश्चितता पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था—दोनों के लिए खतरे की घंटी है।

भारत की दीर्घकालिक रणनीति : भंडारण और नियंत्रण

भारत के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, संधि को ‘निलंबित’ करना भारत को दीर्घकालिक रणनीति बनाने का अवसर देता है। वर्तमान में भारत के पास इन नदियों का पानी रोकने या संग्रह करने की सीमित क्षमता है। “भविष्य में भारत सिंधु और चिनाब जैसी नदियों पर बड़े जलाशय बना सकता है, ताकि मानसून के दौरान पानी छोड़ा जा सके और गर्मियों में रोककर रखा जा सके,” उन्होंने कहा।

विश्व बैंक की भूमिका से इनकार

1950 के दशक में संधि का मध्यस्थ रहा विश्व बैंक, पाकिस्तान की अपील के बावजूद इस बार हस्तक्षेप करने से इंकार कर चुका है। इससे पाकिस्तान के कूटनीतिक प्रयासों को एक और झटका लगा है।
भारत ने अभी तक संधि बहाली पर कोई ठोस बयान नहीं दिया है। पाकिस्तान लगातार दबाव बना रहा है, लेकिन भारत का रुख यह दिखा रहा है कि जब तक सीमा पार आतंकवाद की धारा बंद नहीं होती, तब तक सिंधु जल की धारा भी पूरी तरह नहीं खुलेगी।

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