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Indian Tourist Place : रहस्यों से भरा भारत का अनोखा विट्ठल मंदिर, जिसके खंभों से निकलता है म्यूजिक

08:28 PM Apr 16, 2025 IST
indian tourist place   रहस्यों से भरा भारत का अनोखा विट्ठल मंदिर  जिसके खंभों से निकलता है म्यूजिक
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चंडीगढ़, 16 अप्रैल (ट्रिन्यू)

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Indian Tourist Place : हम्पी का विट्ठल मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह विजयनगर साम्राज्य की स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। इस मंदिर को भगवान विष्णु के रूप विट्ठल या विटोबा को समर्पित किया गया है। विट्ठल मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक ऐसा रहस्यमय कोना है जो इतिहास, विज्ञान और कला का संगम है।

इसकी गूंजती दीवारें और संगीत बजाते खंभे आज भी वैज्ञानिकों व इतिहासकारों के लिए शोध का विषय हैं। यह मंदिर न केवल भूतकाल की भव्यता को दर्शाता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देता है कि कैसे एक शिल्प, संगीत और अध्यात्म का ऐसा संगम रचा जा सकता है। यह मंदिर जहां खूबसूरती और वास्तुकला के बेजोड़ नमूना है लेकिन ये कई रहस्यों से भी भरा है।

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अद्भुत रथ- पत्थर का चलायमान रथ

विट्ठल मंदिर परिसर में सबसे प्रसिद्ध और रहस्यमय संरचना है- पत्थर का रथ। यह रथ एक विशाल मोनोलिथ (एक ही पत्थर से बनी) प्रतीत होता है। ध्यान से देखने पर पता चलता है कि यह कई हिस्सों को जोड़कर बनाया गया है।

इसमें इतनी बारीकी से नक्काशी की गई है कि यह असली लकड़ी के रथ जैसा प्रतीत होता है। कहा जाता है कि पहले इसके पहिए घूमते थे, लेकिन संरक्षण के लिए अब उन्हें स्थिर कर दिया गया है।

संगीत बजाते खंभे- 'सारेगामा' पिलर्स

मंदिर का सबसे रहस्यमयी पहलू है ‘संगीत स्तंभ’ (Musical Pillars)। मुख्य मंडप में कुल 56 खंभे हैं, जिन्हें 'सारेगामा पिलर्स' कहा जाता है। इन स्तंभों को जब हल्के से थपथपाया जाता है तो वे अलग-अलग संगीत स्वर उत्पन्न करते हैं। जैसे कि वाद्य यंत्रों से ध्वनि निकल रही हो। यह आज भी एक रहस्य है कि पत्थरों से बनी इन संरचनाओं में ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है। इनमें किसी भी तरह की कोई तकनीकी उपकरण प्रयोग में नहीं आया।

क्यों नहीं पूरा हुआ मंदिर का निर्माण?

15वीं शताब्दी में बना यह मंदिर देखने में बेहद भव्य व सुंदर लगता है, लेकिन ये आज भी अधूरा है। इतिहासकारों का मानना है कि मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में शुरू हुआ था। 1565 में तालीकोटा की लड़ाई के बाद विजयनगर साम्राज्य के पतन के कारण इसका निर्माण रुक गया। यह सवाल आज भी बना हुआ है कि अगर यह मंदिर पूरा हो जाता तो इसकी भव्यता और रहस्य कितने बढ़ जाते।

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