Indian Tourist Place : भारत का सबसे डरावना किला... जहां शाम होते ही मंडराने लगती है मौत, यहां रात बिताने की नहीं है इजाजत
चंडीगढ़, 27 अप्रैल (ट्रिन्यू)
भारत के पश्चिमी घाटों की गोद में बसा महाराष्ट्र राज्य अपने ऐतिहासिक किलों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक है कलावंती किला, जिसे "कलावंती दुर्ग" भी कहा जाता है। यह किला पुणे जिले के पास पनवेल क्षेत्र में स्थित है। किले की खासियत है इसकी खड़ी, बिना रेलिंग वाली चट्टानों को काटकर बनाई गई सीढ़ियां और वहां से दिखाई देने वाला अद्भुत नजारा।
भारत का सबसे खतरनाक किला
अपनी खास बनावट के कारण पूरे विश्व में मशहूर इस किले को देखने के लिए दिन में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। वहीं सूरज ढलने के बाद यहां कोई नहीं आता। 2300 फीट ऊंची खड़ी पहाड़ी पर स्थित इस किले को हॉन्टेड माना जाता है। पानी व बिजली की व्यवस्था ना होने की वजह से पर्यटक सूरज ढलने से पहले ही नीचे लौट आते हैं। रात के समय यहां सन्नाटा फैल जाता है, इसलिए ये जगह काफी डरावनी हो जाती है। कहा जाता है कि किले से गिरने के कारण कई लोग अपनी जान भी गवां चुके हैं।
रहस्यमय है किले का इतिहास
कलावंती किला का इतिहास आज भी रहस्यमय बना हुआ है। पहले इस किले का नाम मुरंजन था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसका नाम बदलकर रानी कलावंती के नाम पर रख दिया गया। हालांकि इस किले को प्रभलगढ़ किले के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यह किला कभी पास में स्थित प्रबलगढ़ किले का हिस्सा हुआ करता था। इसे रानी कलावंती देवी की याद में नामित किया गया था। हालांकि, इसके इतिहास को लेकर स्थानीय जनश्रुतियों और किवंदंतियों में ही जानकारी मिलती है।
कैसे पहुंचे?
कलावंती किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के पनवेल तालुका में स्थित है। यह मुंबई से 60 किलोमीटर और पुणे से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर है। इस किले की चढ़ाई की शुरुआत थाकुरवाड़ी गांव से होती है, जोकि ट्रेकिंग के लिए एक प्रसिद्ध प्रारंभिक बिंदु है। यहां पहले पनवेल तक ट्रेन या बस द्वारा पहुंचा जा सकता है। फिर टैक्सी या जीप द्वारा थाकुरवाड़ी तक जाया जाता है। उसके बाद लगभग 2-3 घंटे की ट्रेकिंग कर के किले तक पहुंचा जाता है।
ट्रेकिंग के लिए मशहूर
कलावंती किला एक रोमांचकारी ट्रेकिंग स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह किला समुद्र तल से करीब 2,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तक पहुंचने का रास्ता जंगलों और चट्टानी पगडंडियों से होकर जाता है। ट्रेकिंग के दौरान यात्रियों को बादलों के बीच से गुजरने, घाटियों के मनोरम दृश्य देखने और पर्वतीय हवाओं को महसूस करने का अवसर मिलता है। मानसून के दौरान यहां की हरियाली और नजारे अत्यंत खूबसूरत होते हैं। रास्ता काफी फिसलन भरा हो जाता है, इसलिए सावधानी जरूरी होती है।
बिना रेलिंग की सीढ़ियां
कलावंती किले की सबसे रोमांचक विशेषता है, इसकी सीधी चढ़ाई वाली सीढ़ियां। ये सीढ़ियां चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। इनमें रेलिंग या सहारे के लिए कोई रस्सी नहीं है। रॉक-कट की पहाड़ियों और नुकीली सीढ़ियों वाली इस किले की चढ़ाई काफी खतरनाक मानी जाती है। साहसिक यात्रियों को ही इसे पार करने की सलाह दी जाती है। ऊपर पहुंचने पर चारों तरफ का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है- सह्याद्रि की पहाड़ियों, बादलों और घाटियों का दृश्य मंत्रमुग्ध कर देता है।
कलावंती किला सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि रोमांच और प्रकृति के प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग से कम नहीं। इसकी रहस्यमय बनावट, चुनौतीपूर्ण चढ़ाई और ऊपर से दिखने वाला प्राकृतिक नजारे हर यात्री को एक अविस्मरणीय अनुभव देता है। अगर आप रोमांचक ट्रेकिंग, प्रकृति के सौंदर्य और इतिहास में रुचि रखते हैं, तो कलावंती किला आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है।