कनाडा की गलियों में भारतीय संवेदना
सुभाष रस्तोगी
पुस्तक : टूटी पेंसिल कहानीकार : हंसा दीप प्रकाशक : शिवना प्रकाशन, सीहोर, म.प्र. पृष्ठ : 142 मूल्य : रु. 300.
एक भारतीय कथाकार और उपन्यासकार, डॉ. हंसा दीप की जन्मभूमि भारत है, जबकि उनकी कर्मभूमि टोरेंटो (कनाडा) है। वे वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ टोरेंटो में लेक्चरर के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले, उन्होंने न्यूयार्क में हिन्दी शिक्षण किया और यार्क विश्वविद्यालय में हिन्दी कोर्स डायरेक्टर का कार्य भी संभाला है।
हंसा दीप के लेखन में चार उपन्यास और सात कहानी-संग्रह शामिल हैं, जिनमें से कुछ विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुके हैं। उन्होंने ‘कनाडा की चयनित रचनाएं’ और ‘शब्द घोष’ त्रैमासिक पत्रिका के प्रवासी विशेषांक जैसे महत्वपूर्ण संपादन कार्य भी किए हैं। समकालीन हिन्दी साहित्य में प्रवासी लेखन की एक विशिष्ट परंपरा रही है, जिसमें परिवेश लेखक की कर्मभूमि का होता है, लेकिन पात्रों की संवेदनाएं और मनोदशाएं उनकी जन्मभूमि (भारत) से जुड़ी होती हैं।
हाल ही में प्रकाशित उनके कहानी-संग्रह ‘टूटी पेंसिल’ में 18 कहानियां शामिल हैं, जो इस प्रवासी लेखन की विशेषता को उजागर करती हैं। संग्रह की शीर्षक कहानी ‘टूटी पेंसिल’ एक नाटकीय चिकित्सा स्थिति को दर्शाती है, जिसमें डॉक्टरों की तत्परता के बीच एक मरीज के लिए अंततः सकारात्मक रिपोर्ट मिलती है, जिससे नायिका अपने अस्तित्व के संघर्ष से जूझते हुए पुनर्जीवित होती है।
इस संग्रह में अन्य महत्वपूर्ण कहानियों में ‘घास’, ‘उत्सर्जन’, ‘अमर्त्य’, ‘श्वान’, ‘जिंदा इतिहास’, ‘आसमान’, ‘हाईवे 401’, ‘आईना’, ‘पहिए’ और ‘पेड़’ शामिल हैं। ‘घास’ कहानी कनाडा की बदलती प्रकृति और जीवन के संघर्ष को प्रदर्शित करती है, जिसमें एक श्रमिक की मेहनत का चित्रण है। ‘उत्सर्जन’ दांपत्य संबंधों की गहरी जटिलताओं को दर्शाती है, जिसमें पिता और बेटे के बीच के संवाद में जीवन की वास्तविकता को छूने की कोशिश की गई है।
‘पेड़’ कहानी पिता के त्याग और बच्चों की उड़ान को बखूबी चित्रित करती है। यह कहानी पिता के अकेलेपन और उनके प्यार को दर्शाती है, जो उन्हें अपने बच्चों के लिए बलिदान करने पर मजबूर करती है। हंसा दीप के संग्रह की कहानियां उनकी आंखोंदेखी का परिणाम हैं, जो पाठकों को गहराई से छूती हैं।
इन कहानियों की भाषा बहते नीर की तरह सरल और प्रवाही है, जो पाठकों के साथ आत्मीय संबंध स्थापित करती है। ‘टूटी पेंसिल’ न केवल कहानियों का संग्रह है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और प्रवासी जीवन के बीच के जटिल रिश्तों को भी उजागर करता है। इस संग्रह के माध्यम से हंसा दीप ने प्रवासी जीवन की चुनौतियों और उसके अनुभवों को साहित्य में एक नई दिशा दी है, जो समकालीन हिन्दी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।