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चीन से बेहतर स्थिति में होगा भारत

07:40 AM Nov 07, 2024 IST
चीन से बेहतर स्थिति में होगा भारत
सांकेतिक फाइल फोटो।
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नयी दिल्ली, 6 नवंबर (एजेंसी)
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से भारत के लिए नये अवसर खुलेंगे। हालांकि, आयात और एच1बी वीजा नियमों पर अंकुश लगाने का फैसला हुआ तो फार्मा और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) जैसे कुछ क्षेत्रों में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों ने बुधवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दोस्ती का भारत-अमेरिका संबंधों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
हालांकि, भारत को आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग बनाए रखने के लिए अपनी रणनीतियों को बदलना पड़ सकता है। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, ‘ट्रंप का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए एक नया अवसर हो सकता है। ट्रंप उन देशों पर शुल्क और आयात प्रतिबंध लगाएंगे, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि वे अमेरिका के अनुकूल नहीं हैं। इनमें चीन और यहां तक ​कुछ यूरोपीय देश शामिल हैं। अगर ऐसा हुआ तो इससे भारतीय निर्यात के लिए बाजार खुल सकते हैं।’ बार्कलेज ने बुधवार को एक शोध रिपोर्ट में कहा कि व्यापार नीति के लिहाज से ट्रंप एशिया के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो सकते हैं। बार्कलेज ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि ट्रंप के शुल्क प्रस्ताव चीन के सकल घरेलू उत्पाद में दो प्रतिशत की कमी लाएंगे और क्षेत्र की बाकी अधिक खुली अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव डालेंगे।’ इसमें कहा गया कि भारत, इंडोनेशिया और फिलिपीन सहित ऐसी अर्थव्यवस्थाएं उच्च शुल्क के प्रति कम संवेदनशील होंगी, जो घरेलू बाजार पर अधिक निर्भर हैं।

चिंता भी वाहन, कपड़ा, फार्मा में बढ़ सकता है शुल्क

ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने पर यदि नया अमेरिकी प्रशासन ‘अमेरिका प्रथम’ एजेंडा को आगे बढ़ाने का फैसला करता है तो भारतीय निर्यातकों को वाहन, कपड़ा और फार्मा जैसे सामान के लिए ऊंचे सीमा शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप चीन के बाद अब भारत और अन्य देशों पर भी शुल्क लगा सकते हैं। ट्रंप ने पहले भारत को ‘बड़ा शुल्क दुरुपयोगकर्ता’ कहा था और अक्तूबर, 2020 में भारत को ‘टैरिफ किंग’ करार दिया था।

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एच-1बी वीजा नियमों को भी कर सकते हैं सख्त

विशेषज्ञों ने कहा कि ट्रंप एच-1बी वीजा नियमों को भी सख्त कर सकते हैं, जिससे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों की लागत और वृद्धि पर असर पड़ेगा। भारत में 80 प्रतिशत से अधिक आईटी निर्यात आय अमेरिका से आती है, जिससे वीजा नीतियों में बदलाव के प्रति भारत संवेदनशील हो जाता है।

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