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India US Trade Agreement : रणनीति से व्यापार तक... भारत-अमेरिका के बीच जल्द होगा व्यापार समझौता 25 जून तक मिली डेडलाइन

01:45 PM May 28, 2025 IST
india us trade agreement   रणनीति से व्यापार तक    भारत अमेरिका के बीच जल्द होगा व्यापार समझौता 25 जून तक मिली डेडलाइन
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नई दिल्ली, 28 मई (भाषा)

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India US Trade Agreement : भारत और अमेरिका 25 जून तक अंतरिम व्यापार समझौते पर सहमत हो सकते हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। व्यापार वार्ता के लिए अमेरिकी अधिकारियों का एक दल अगले महीने भारत आने वाला है। सूत्रों ने बताया कि बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है।

भारत के मुख्य वार्ताकार एवं वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल ने पिछले सप्ताह अपनी चार दिवसीय वॉशिंगटन यात्रा पूरी की। उन्होंने प्रस्तावित समझौते पर अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ बातचीत की। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत शुल्क पर नौ जुलाई को खत्म होने वाली रोक से पहले दोनों पक्ष प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर अंतरिम सहमति बनाना चाहते हैं।

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अमेरिका ने दो अप्रैल को भारत पर 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाया था लेकिन इसे नौ जुलाई तक निलंबित कर दिया। हालांकि भारतीय सामान पर अब भी अमेरिका द्वारा लगाया गया 10 प्रतिशत मूल शुल्क लागू है। अंतरिम व्यापार समझौते में, भारत घरेलू वस्तुओं पर 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क से पूरी छूट देने का दबाव बना रहा है।

दोनों देशों ने प्रस्तावित बीटीए के पहले चरण को पूरा करने की इस वर्ष की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक की समय सीमा तय की है। अमेरिका लगातार चौथे वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा। दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 131.84 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।

भारत के कुल वस्तु निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और देश के कुल वस्तु व्यापार में 10.73 प्रतिशत रही। अमेरिका के साथ भारत का 2024-25 में वस्तुओं के मामले में व्यापार अधिशेष (आयात व निर्यात के बीच का अंतर) 41.18 अरब अमेरिकी डॉलर था।

2023-24 में यह 35.32 अरब अमेरिकी डॉलर, 2022-23 में 27.7 अरब अमेरिकी डॉलर, 2021-22 में 32.85 अरब अमेरिकी डॉलर और 2020-21 में 22.73 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। अमेरिका ने इस बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जाहिर की है। दोनों व्यापारिक साझेदारों का 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

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