आजादी के 100वें साल तक भारत ग्लोबल फूड पावर हाउस के तौर पर उभरे : कुलपति
करनाल, 26 मार्च (हप्र)
महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के प्रांगण में अनुसंधान निदेशालय द्वारा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (नयी दिल्ली) द्वारा प्रायोजित हरियाणा के मध्य गंगा मैदान क्षेत्र में मृदा स्वास्थ्य एवं पर्यावरणी संतुलन के सतत उपाय विषय को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला तथा 2 दिवसीय किसान संवाद एवम प्रदर्शनी का मंगलवार को शुभारंभ हुआ।
कार्यशाला में राज्य के विभिन्न जिलों से आए करीब 60 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ एमएचयू के कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने किया। कार्यक्रम में पहुंचने पर अनुसंधान निदेशक डॉ. रमेश गोयल व कार्यशाला संयोजिका डॉ. बिमला ने किया। कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग करने के लिए पर्यावरणीय संतुलन के लिए कई बातों पर ध्यान देने की जरूरत हैं। प्राकृतिक संसाधनों को किस प्रकार सुरक्षित रखें, इन सबके लिए जागरूकता लाने की जरुरत है। किसानों की आय बढ़े, फसलों पर लागत कम करें, प्राकृतिक संसाधनों का समुचति प्रयोग हो, गुणवत्ता में सुधार आए। कम पानी की जरुरत वाली फसलों का प्रयोग करें। इन सबके लिए केंद्र व प्रदेश सरकार किसानों की हरसंभव मदद में जुटी है। कुलपति ने बताया कि मिट्टी जांच का मॉडल हरियाणा से शरू हुआ, जिसे दूसरे कई राज्यों ने अपनाया।
2015 में प्रधानमंत्री ने मिट्टी जांच के लिए मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड की शुरुआत की, जिससे किसानों को अपने खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में हर जानकारी हो। उन्होंने कहा कि जांच के आधार पर ही किसान भूमि की उपजाऊ शक्ति को कैसे बनाए रखे, उपाय कर सकता है। उन्होंने कहा कि 2047 यानि आजादी के 100 साल बाद भारत कैसा होगा, इसी परिकल्पना की पीछे का उद्देश्य है कि ग्लोबल फूड पावर हाउस के तौर पर उभरे अर्थात भारत अपने साथ-साथ विश्व की भोजन की जरूरतों को पूरा करे ओर पूरी दूनिया भारत की ओर देखे। अनुसंधान निदेशक व कार्यशाला संयोजिका डॉ. बिमला ने कुलपति का कार्यक्रम में आने के लिए स्वागत किया और किसानों का आभार जताया।