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भारत सतर्क रहे मास्को में हुए हमले से

08:03 AM Mar 27, 2024 IST
भारत सतर्क रहे मास्को में हुए हमले से
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पुष्परंजन

मास्को के क्राॅकस सिटी हाल पर 22 मार्च को भयावह आतंकी हमले के सिलसिले में जिन चार ताजिकों पर कोर्ट ट्रायल चल रहा है, उनकी नागरिकता की ज़िम्मेदारी लेने से ताजिक राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने पल्ला झाड़ लिया है। ताजिक राष्ट्रपति ने पुतिन को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकियों की कोई राष्ट्रीयता नहीं होती। करीब 137 लोगों की हत्या करने वालों के साथ आपको जैसा सुलूक करना हो, करें। जिन चार ताजिकों की तुड़ाई रशियन जांच एजेंसियों ने की है, उन लोगों की पहचान सैदाक्रम राजाबलीजोडा, दलेरजोन मिर्जोव, मुहम्मद सोबिर फैजोव और फरीदुन शम्सिद्दीन के रूप में की गई है।
अदालत ने कहा कि बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान चार में से तीन लोगों ने अपना दोष स्वीकार कर लिया है। रूसी मीडिया रिपोर्टों में 11 गिरफ्तारियां बताई गई थीं। मगर, चार के बाद वो बाकी लोग कौन हैं? यह सवाल अनुत्तरित है। यूक्रेन बार-बार पल्ला झाड़ रहा है कि इस हमले से हमारा कोई लेना-देना नहीं। पुतिन ने इस कांड का पूर्वाभास देने वाले अमेरिका के विरुद्ध अलग से मोर्चा खोल रखा है। ख़बर यह बन रही है कि यह सब सीआईए का किया-कराया है, जिसके तार यूक्रेन से जुड़े हैं। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है, रूसी इंटेलीजेंस की विफलता। पुतिन इस चूक को मानने से इनकार कर रहे हैं। मगर, पुतिन के विरोधी बोल रहे हैं कि रूसी इंटेलीजेंस के लोगों को केवल सिस्टम की आलोचना करने वालों के पीछे लगा रखा है, इन्हें देश की सुरक्षा से मतलब नहीं।
दूसरी ओर ताजिक राष्ट्रपति इमोमाली रहमान के बयान के बाद उनके देश में ही राजनीति शुरू हो गई है। विपक्षी इस्लामिक रेनेसां पार्टी ऑफ ताजिकिस्तान (आईआरपीटी) के नेता मुहिद्दीन कबीरी ने अपने कुछ नागरिकों को कट्टरपंथी बनाने के लिए इमोमाली रहमान की तानाशाह नीतियों और इस्लाम के विरुद्ध कार्रवाई को जिम्मेदार ठहराया है। ‘आईआरपीटी‘ जो कभी सरकार में सहयोगी थी, अब ताजिकिस्तान में प्रतिबंधित है। रूसी सांसद अलेक्जेंडर खिनशेटिन ने टेलीग्राम पर लिखा कि कार के अंदर ताजिक पासपोर्ट पाए गए थे, जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर संदिग्धों ने मॉस्को से लगभग 340 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में ब्रांस्क क्षेत्र में रूसी पुलिस द्वारा पकड़े जाने से पहले किया था।
राजाबलीजोडा, वह शख्स है, जिसका कोर्ट ट्रायल हो रहा है। एक वीडियो क्लिप में उसे मॉस्को हमले में भाग लेने की बात कबूल करते हुए दिखाया गया है। वीडियो फुटेज में रूसी सुरक्षा अधिकारियों को उस शख्स का कान काटते हुए दिखाया गया है। उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई और चेहरा और टी-शर्ट खून से लथपथ भी दिखाया गया है। उस व्यक्ति का कहना है कि हमले के स्थान से भागते समय उसने और उसके अन्य साथियों ने अपने हथियार सड़क पर कहीं छोड़ दिए थे।
ताजिक लहजे में रूसी बोलते हुए, एक और शख्स फरीदुन शम्सिद्दीन वीडियो फुटेज में कह रहा है कि अंधाधुंध गोलियां बरसाने के लिए उसे एक मिलियन रूबेल देने की पेशकश की गई थी। ऐसे वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि भी एक अलग चुनौती है। संदिग्धों में 19 वर्षीय मुहम्मद सोबिर फैजोव भी शामिल है, जो ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे का रहने वाला है। फैजोव कथित तौर पर गिरफ्तारी से पहले घायल हो गया था, जिसका ब्रांस्क अस्पताल में इलाज किया गया है।
रूसी मीडिया की रिपोर्टों और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो क्लिप्स ने प्रवासी ताजिक नागरिकों पर शामत ला दी है। रूस, सेंट्रल एशियाई देशों के लाखों श्रमिकों के लिए घर जैसा है। रूस में 18 से 20 लाख के लगभग ताजिक मूल के लोग हैं। वहां क्राॅकस सिटी हाल हत्याकांड से लोग इतने आहत और ग़ुस्से में हैं कि ताजिक विरोधी दंगे भी कई जगहों पर देखने को मिल रहे हैं। सुदूर पूर्वी शहर ब्लागोवेशचेंस्क में ताजिक प्रवासियों द्वारा चलाए जा रहे एक कैफेटेरिया में आग लगा दी गई, जबकि पश्चिमी रूसी शहर कलुगा में कथित तौर पर तीन ताजिकों को पीटा गया।
कई रूसी शहरों में ड्राइवर ताजिक होने का पता लगते ही टैक्सी सेवा के ग्राहक कथित तौर पर अपना ऑर्डर रद्द करने लगे। ताजिक के शक में सेंट्रल एशियाइयों के विरुद्ध भी कुछ ऐसी ही प्रतिक्रियाएं देखने को मिलने लगी हैं। गत 23 मार्च को मॉस्को के शेरेमेतयेवो हवाई अड्डे पर दर्जनों किर्गिज पुरुषों को हिरासत में लिया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें लगभग 24 घंटों तक कोई भोजन या पानी नहीं मिला है, और महिलाओं और बच्चों को किर्गिस्तान की उड़ानों में वापस भेज दिया गया है।
सेंट्रल एशिया में अवस्थित ताजिकिस्तान पहले सोवियत संघ का हिस्सा था जिसके विघटन के बाद 1991 में एक स्वतंत्र देश बना। 1992 से 1997 के कालखंड में गृहयुद्धों की मार झेल चुके इस देश की कूटनीतिक-भौगोलिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। यह उजबेकिस्तान, अफगानिस्तान, किर्गिजस्तान तथा चीन के मध्य स्थित है। उत्तरी पाकिस्तान का पतला-सा वाखान गलियारा भी इसे जोड़ता है। ताजिकिस्तान की भाषा ताजिक फारसी का ही एक रूप है। 1 करोड़ 28 लाख की आबादी वाला ताजिकिस्तान पूर्व सोवियत गणराज्यों में सबसे अधिक ग़रीब देश है। भ्रष्टाचार और राजनीतिक दमन के लिए जाना जाने वाला यह देश, 1994 से राष्ट्रपति इमोमाली रहमान के कठोर शासन की गिरफ्त में है।
अनुमान है कि रूस में 18 से 20 लाख से ताजिक मूल के लोग रहते हैं, उनमें से अधिकांश अधोसंरचना, इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन जैसे असंगठित क्षेत्रों में लेबर हैं, या फिर सार्वजनिक शौचालयों की सफाई जैसी नौकरियां करते हैं। रूस की घटती जनसंख्या ने ऐसे श्रमिकों पर निर्भरता बढ़ा दी है। बावजूद इसके, सेंट्रल एशिया और काकेशस क्षेत्र के मूल निवासियों के प्रति रूसियों का रवैया आम तौर पर नकारात्मक है। यह ठीक वैसा ही है, जैसे मैक्सिकन लोगों के बारे में अमेरिकी सोच है। 2015 में डोनाल्ड ट्रम्प ने बोल भी दिया था, “वे मैक्सिको से ड्रग्स ला रहे हैं। अपराध ला रहे हैं।”
खु़रासान एक समय फारसी साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था, जो अब ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई मुल्कों में विभाजित है। इसी खुरासान के हवाले से आइसिस से संबद्ध रहा आतंकी संगठन ‘आईएसआईएस-के’ का जन्म हुआ। सीरिया युद्ध के समय दुनिया को बताया गया कि इनका सफाया कर दिया जा चुका है। मगर, यह एक धोखा था। अब ये एक ऐसे आतंकी हैं, जो पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान, सेंट्रल एशिया और दुनिया के मुख़्तलिफ़ हिस्सों में पसर चुके हैं। इनके हमलों की कहानियां भयानक हैं। विभिन्न सरकारें और एजेंसियां इनका दुरुपयोग करने में लगी हैं। क्या भारत को आइसिस-ख़ुरासान से सतर्क रहने की ज़रूरत नहीं?

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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