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चीन के मंसूबों से सतर्क भी रहे भारत

06:24 AM Mar 12, 2024 IST
चीन के मंसूबों से सतर्क भी रहे भारत
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डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव

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भारत व अमेरिका से लगातार चल रहे तनाव के बीच चीन ने एक बार फिर से अपने रक्षा बजट में भारी-भरकम बढ़ोतरी की है। चीन ने 7.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वर्ष 2024 का रक्षा बजट 1.67 ट्रिलियन युआन अर्थात‍् 232 अरब डॉलर कर दिया है। चीनी रक्षा बजट की यह वृद्धि बीते पांच सालों में सबसे ज्यादा है। दावा है कि अब चीन दुनिया में अमेरिका के बाद रक्षा बजट पर सबसे अधिक खर्च करने वाला दूसरा देश है। चीन की विधायिका की वार्षिक बैठक के उद्घाटन सत्र में 5 मार्च को आधिकारिक रक्षा बजट के आंकड़े की घोषणा की गई। विदेशी विशेषज्ञ मानते हैं कि यह धनराशि सत्तासीन कम्युनिस्ट पार्टी की सैन्य शाखा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए खर्च का केवल एक अंश है।
चीनी रक्षा बजट भारतीय रुपयों में 19.23 लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा है। चीन की तुलना में भारत का 2024-25 के लिए घोषित रक्षा बजट 621541 करोड़ रुपये है। इस तरह चीन का रक्षा बजट भारतीय रक्षा बजट से तीन गुना से भी ज्यादा है। चीन ने वर्ष 2023 में भी अपना रक्षा बजट 7.2 फीसदी तथा वर्ष 2022 में 7.1 फीसद बढ़ाया था। दरअसल, चीन दुनिया की नंबर एक सेना बनने की होड में रक्षा बजट में पिछले नौ वर्षों से लगातार इजाफा कर रहा है।
चीन ने अपना रक्षा बजट ऐसे समय बढ़ाया है जब उसकी अर्थव्यवस्था काफी बुरे दौर से गुजर रही है। पिछले साल चीन की आर्थिक ग्रोथ 5.2 प्रतिशत थी जबकि इस साल इसके 4.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। चीन की तेज अार्थिक ग्रोथ में एक लम्बे समय तक वहां की प्रॉपर्टी सेक्टर की विशेष भूमिका रही है। लेकिन फिलहाल प्रॉपर्टी सेक्टर की कुछ कंपनियां दिवालिया हो गई हैं और सरकार इनको उबारने के मूड में नहीं है। पहले आर्थिक ग्रोथ कम होने पर चीनी सरकार एक्सपोर्ट बढ़ाती थी और सरकारी मदद दी जाती थी पर अब ऐसा नहीं है। फिलहाल चीन सरकार ने इस साल के लिए 5 प्रतिशत ग्रोथ का लक्ष्य रखा है जो उसके मानक के हिसाब से कम है।
दरअसल, शी जिनपिंग ने अपनी सेना को वर्ष 2027 तक विश्वस्तरीय सेना बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। साथ ही चीनी सेना को वर्ष 2035 तक पूरी तरह से अत्याधुनिक बनाने का लक्ष्य भी है। इसी वजह से चीन अपना रक्षा बजट लगातार बढ़ा रहा है। शी जिनपिंग अपनी चीनी सेना को इतनी आधुनिक बनाना चाहते हैं कि उनकी सेना संसार के किसी छोर पर या किसी भी देश के खिलाफ युद्ध में विजय हासिल कर सके।
दरअसल राष्ट्रपति शी जिनपिंग यह नहीं चाहते हैं कि उनके सैनिकों को युद्ध लड़ने को रणक्षेत्र में उतरना पड़े। इसीलिए चीन अत्याधुनिक हथियार, मजबूत थियेटर कमांड, स्टील्थ तकनीक व लड़ाकू तकनीक के क्षेत्र में अधिक पैसा लगा रहा है। इनके विकास के बाद युद्ध में लड़ाकू जेट विमान, ऑटोनॉमस हथियार व अत्याधुनिक मिसाइलें बड़ी भूमिका निभाएंगी। हाल के वर्षों में चीन ने कई बड़े सैन्य सुधार किए हैं। दूसरे देशों में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए नौसेना और वायुसेना को प्राथमिकता के आधार पर विस्तार दिया है। अब चीन नई रोबोट आर्मी तैयार कर चुका है और इसकी तैनाती भी भारतीय सीमा के नजदीक करनी शुरू कर दी है। उसने भारतीय सीमा के नजदीक आर्मी विलेज भी बसा दिए हैं।
चीन अमेरिका को पीछे छोड़ता हुआ दुनिया की सबसे बड़ी नौसैन्य ताकत बन रहा है। विगत दो तीन वर्षों में चीनी नौसेना में जितने युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल की गई हैं उतने शायद अमेरिका की नौसेना में न हों। इतने हथियारों की बढ़ोतरी के बाद भी उसकी भूख कम नहीं हुई है। चीन की रक्षा ताकत बढ़ाने वाली यह नीति आने वाले समय में विश्व को नए युद्ध में धकेलने में देर नहीं लगाएगी। इन योजनाओं का मकसद यही है कि चीन का अमेरिका, ताइवान, जापान व भारत के साथ जारी तनाव और हिन्द महासागर व दक्षिण चीन सागर में मिलने वाली चुनौतियों से निपटने में उसका सैन्य पक्ष कमजोर न पड़े।
चीन के नीति-नियन्ताओं के मुताबिक सेना को अत्याधुनिक बनाये जाने के फोकस को देखते हुए रक्षा बजट बढ़ाया गया है। चीन का ध्यान स्टील्थ लड़ाकू विमान, विमानवाहक पोत, सेटेलाइटरोधी मिसाइल समेत नई सैन्य क्षमता विकसित करने पर है। चीन अपना दबदबा बढ़ाने के लिए नौसेना की पहुंच को समुद्री क्षेत्रों में फैला रहा है। इस साल के रक्षा बजट का मुख्य जोर नौसेना के विकास पर रहेगा क्योंकि दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर पर उसके दावे तथा समुद्री आवागमन के लिहाज से इस क्षेत्र में तनाव बढ़ा हुआ है। इसके अलावा एशिया प्रशांत क्षेत्र में अस्थिर सुरक्षा स्थिति को देखते हुए उसको जवाब के तौर पर तैयार होना है। दरअसल,चीन सैन्य क्षेत्र में दुनिया के शक्तिशाली देशों की तुलना में सबसे ऊपर रहना चाहता है। ऐसी स्थिति में भारत को चीन की रक्षा बढ़ोतरी से सजग रहने की आवश्यकता होगी।

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