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India Canada Row: विदेश सचिव मिस्री भारत-कनाडा संबंधों पर 6 नवंबर को संसदीय समिति को देंगे जानकारी

09:25 AM Nov 03, 2024 IST
india canada row  विदेश सचिव मिस्री भारत कनाडा संबंधों पर 6 नवंबर को संसदीय समिति को देंगे जानकारी
विक्रम मिस्री की फाइल फोटो।
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नयी दिल्ली, 3 नवंबर (भाषा)

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India Canada Row: विदेश सचिव विक्रम मिस्री विदेश मामलों की संसदीय समिति को भारत-कनाडा संबंधों के बारे में बुधवार 6 नवंबर को संभवत: जानकारी देंगे। कनाडा के अधिकारियों द्वारा भारत सरकार के अधिकारियों पर खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरजीत सिंह निज्जर की हत्या का आदेश देने का आरोप लगाए जाने के बाद से भारत और कनाडा के संबंध प्रभावित हुए हैं।

मिस्री पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर फिर से गश्त शुरू करने संबंधी समझौते के बाद चीन के साथ भारत के संबंधों में हाल में आए सुधार के बारे में भी संसदीय समिति को संभवत: जानकारी देंगे।

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा निज्जर की हत्या में शीर्ष भारतीय अधिकारियों की संलिप्तता के आरोप लगाए जाने के बाद से भारत और कनाडा के संबंधों में खटास पैदा हो गई है। भारत ने इन आरोपों को खारिज किया है।

कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि गृह मंत्री अमित शाह ने कनाडा के अंदर सिख अलगाववादियों को निशाना बनाकर हिंसा, धमकी और खुफिया जानकारी जुटाने का अभियान चलाने का आदेश दिया था। भारत ने इन आरोपों को ‘‘बेतुका और निराधार'' करार दिया है।

भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा खालिस्तान समर्थक तत्वों को बिना किसी रोक-टोक के उसकी धरती से गतिविधियों को अंजाम देने की अनुमति दे रहा है। भारत ने पिछले माह कनाडा के आरोपों को खारिज करते हुए छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और अपने उच्चायुक्त संजय वर्मा एवं कुछ अन्य राजनयिकों को कनाडा से वापस बुला लिया था।

मिस्री ने 25 अक्टूबर को इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष संबंधी संसदीय समिति से कहा था कि भारत इस मुद्दे के लिए द्वि-राष्ट्र समाधान का पक्षधर है। भारत ने सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक ऐसे संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना के लिए वार्ता के माध्यम से द्वि-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया है, जो इस्राइल के साथ शांति से रह सके। पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों से संबंधित संसदीय समिति विदेश मंत्रालय की अनुदान मांगों की समीक्षा कर रही है।

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