India Canada Row: टोरंटो में खालिस्तानी हमले के बाद भारत ने स्थगित किए कांसुलर कैंप, सुरक्षा कारणों से लिया फैसला
चंडीगढ़, 7 नवंबर (ट्रिन्यू)
India Canada Row: हाल ही में ब्रैम्पटन स्थित हिंदू सभा मंदिर में खालिस्तानी झंडों के साथ प्रदर्शनकारियों और श्रद्धालुओं के बीच झड़पों के बाद टोरंटो स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने कई कांसुलर कैंप रद्द कर दिए हैं। इन कांसुलर कैंपों का आयोजन भारतीय पेंशनरों को जीवन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए किया गया था, लेकिन हाल के खालिस्तानी उग्रवादियों की हिंसा के चलते सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं किए जाने पर इन्हें स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।
वाणिज्य दूतावास ने अपने एक्स अकाउंट पर की एक पोस्ट में कहा, “सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कैंप आयोजकों को न्यूनतम सुरक्षा नहीं दे पाने की स्थिति में कुछ निर्धारित कांसुलर कैंपों को रद्द करने का निर्णय लिया गया है।”
ब्रैम्पटन में आयोजित यह कांसुलर कार्यक्रम भारतीय वाणिज्य दूतावास और मंदिर प्रबंधन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था, लेकिन खालिस्तानी समर्थकों की हिंसा ने कार्यक्रम को बाधित कर दिया।
भारत ने 4 नवंबर को इस हमले के बाद कनाडा में अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हिंदू सभा मंदिर में हुई हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कनाडा सरकार से पूजा स्थलों की सुरक्षा और हमलावरों पर कार्रवाई की मांग की।
जायसवाल ने कहा, “हम कनाडा में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता में हैं। हमारे कांसुलर अधिकारी भारतीय और कनाडाई नागरिकों को सेवाएं देने में सक्षम बने रहेंगे और किसी भी प्रकार की धमकी, उत्पीड़न और हिंसा से नहीं डरेंगे।”
भारतीय उच्चायोग ने भी ब्रैम्पटन में एक अन्य कांसुलर कैंप में हुए विरोध पर निराशा जताई और इसे "रूटीन कांसुलर कार्यों में अस्वीकार्य व्यवधान" बताया। हालांकि, बाधाओं के बावजूद 1,000 से अधिक आवेदकों को जीवन प्रमाण पत्र जारी किए गए। 2 और 3 नवंबर को वैंकूवर और सरे में भी ऐसे कैंपों में खलल डालने की कोशिशें की गईं।
इन बढ़ते हमलों के मद्देनज़र, कनाडाई नेशनल काउंसिल ऑफ हिंदूज (CNCH), हिंदू फेडरेशन, मंदिरों के नेताओं और अन्य संगठनों ने एक निर्देश जारी करते हुए कहा कि जब तक राजनेता खालिस्तानी उग्रवाद के बढ़ते खतरे का समाधान करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाते, उन्हें मंदिरों में राजनीतिक उद्देश्य से प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।