कांटे के मुकाबले में इंडिया गठबंधन ने जीती चंडीगढ़ सीट
एस. अग्निहोत्री/ हप्र
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 4 जून
चंडीगढ़ लोकसभा चुनाव के मंगलवार को आए नतीजे में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार मनीष तिवारी, भाजपा उम्मीदवार संजय टंडन पर भारी पड़े और उन्होंने कांटेदार मुकाबले में 2580 वोट से जीत हासिल करते हुए भाजपा के हैट्रिक लगाने के मंसूबों पर पानी फेर दिया। तिवारी की जीत से इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओ में जबरदस्त उत्साह पाया जा रहा है और उन्होंने शहरभर में विजयी जलूस निकाले। मनीष तिवारी को 216350 और संजय टंडन को 213770 वोट मिले। चंडीगढ़ में तीसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी की उम्मीदवार डॉ. रितु सिंह रहीं। उन्हें 6366 वोट ही मिले जबकि चौथे स्थान पर अखिल भारतीय परिवार पार्टी के दीपांशु शर्मा रहे। उन्हें 1023 वोट मिले। चंडीगढ़ से 2900 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया था। मनीष तिवारी की 15 राउंड में एक बार भी भाजपा से लीड नहीं टूटी। तिवारी ने शुरू के राउंड्स में तो 10 हजार मतों की बढ़त बना ली थी, लेकिन बाद के राउंड्स में बढ़त कम होती गई। चंडीगढ़ से 19 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था जिनमें से दो महिलाएं थीं। चंडीगढ़ में इस बार कुल 67.98 प्रतिशत मतदान हुआ था। चंडीगढ़ में एक जून को हुए मतदान में कुल 659805 मतदाताओं में से 448547 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। जबकि बैलेट पेपर से करीब 800 वोट पड़े थे।
मंगलवार को सुबह 8 बजे सेक्टर-26 स्थित चंडीगढ़ कालेज आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी में शुरू हुई मतगणना के दौरान मनीष तिवारी ने पहले राउंड से ही जीत की राह पकड़ ली थी। मतों की गिनती के कुल 15 राउंड हुए। भाजपा चंडीगढ़ लोकसभा सीट को अपने लिए बेहद सुरक्षित सीट मानकर चल रहा थी लेकिन मनीष तिवारी ने बेहद योजनाबद्ध तरीके से चुनाव लड़कर अंतिम पड़ाव तक अपने चुनाव प्रचार अभियान को न केवल विरोधियों से आगे पहुंचाया बल्कि जीत भी दर्ज की। चंडीगढ़ के चुनावी रण में उतरे भाजपा के प्रत्याशी के मुकाबले मनीष तिवारी को अंत में कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया था। जबकि भाजपा पहले ही चुनावी ताल ठोक चुकी थी। इसके बावजूद उन्होंने जिस मेहनत के साथ चुनाव अभियान को आगे बढ़ाया वह उनकी जीत का आधार बना है।
1999 का इतिहास दोहराया, 10 साल बाद मिली कांग्रेस को सीट
चंडीगढ़ से तिवारी ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और दस सालों बाद भाजपा से चंडीगढ़ की सीट वापस लेने में कामयाब रहे। इससे पहले लगातार 15 सालों तक चंडीगढ़ सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। चंडीगढ़ के इतिहास में ऐसा बहुत कम हुआ है जब जीत का अंतर इतना कम रहा हो। चंडीगढ़ में इससे पहले 1999 में इतना कड़ा मुकाबला हुआ था, जब कांग्रेस के पवन कुमार बंसल ने भाजपा के केएल शर्मा को 5449 वोटों से पराजित किया था। जिस तरह इस बार आप ने कांग्रेस उम्मीदवार को समर्थन दिया था, वैसे ही 1999 में दिग्गज नेता हरमोहन धवन ने बंसल को अपना समर्थन दिया था। ऐसे में 1999 लोकसभा चुनाव का इतिहास 2024 में दोहराया गया।
आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं का जादू रंग लाया
शहर में कांग्रेस से ज्यादा आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और पार्षद गठबंधन के उम्मीदवार मनीष तिवारी की जीत की राह को शुरू से ही आसान बनाते चले गए। मनीष ने आप को हमेशा अपने साथ रखा। आप के शहर में पार्षद, मेयर और सह संयोजक के अलावा आप के दिगगज चंद्रमुखी शर्मा मनीष तिवारी की जीत की राह को आगे तक ले गए। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने भारतीय जनता पार्टी के संजय टंडन को हराकर चंडीगढ़ लोकसभा सीट जीत ली है। तिवारी ने कहा कि वे प्रतिद्वंद्वी संजय टंडन को साथ लेकर चलेंगे व मिलकर शहर को और खूबसूरत बनायेंगे। निर्वाचन आयोग के पोर्टल के अनुसार पूर्व केंद्रीय मंत्री तिवारी 2,580 मतों के अंतर से जीते। कांग्रेस ने चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था। चंडीगढ़ की एकमात्र सीट के लिए मतगणना कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह आठ बजे शुरू हुई थी।
कांग्रेसियों की बगावत पर जनता पड़ी भारी
हालांकि कई कांग्रेेसियों ने मनीष तिवारी को टिकट मिलने के बाद बगावत करते हुए पार्टी को अलविदा कह दिया। कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शमिल हो गए लेकिन बावजूद इसके शहर की जनता ने मनीष तिवारी पर भरोसा दिखाया और उन्हें जीत दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल भी मात्र प्रियंका गांधी की रैली के अलावा मनीष तिवारी के प्रचार में कहीं नहीं दिखे। इसके अलावा कांग्रेस के कई दिग्गज पार्टी को छोड़ कर भाजपा के खेमे में जा मिले।
साढ़े चार घंटे बाद मिला सर्टीफिकेट
कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी मनीष तिवारी के चुनाव जीतने के बाद उन्हें सर्टीफिकेट करीब साढ़े चार घंटे लेट सायं साढ़े सात बजे मिला। गठबंधन समर्थकों यादवेंद्र मेहता, चितरंजन चंचल, मलकीत सिंह, अशोक डैनी, अतवार सिंह, मतलूब खान, हरभजन सिंह मौली ने आरोप लगाया कि चुनाव में जीत के बाद मतगणना केंद्र में भाजपा के कथित दबाव के चलते विजयी सर्टीफिकेट देने में आनाकानी होती रही और भाजपाई परेशानी पैदा करते रहे। इस दौरान मतगणना केंद्र के बाहर गठबंधन समर्थकों ने खूब नारेबाजी की। दोनों पार्टियों के समर्थकों में काफी हो हल्ले के बाद कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी मनीष तिवारी को विजेता का सर्टीफिकेट दिया गया।