Ind vs Pak Match: पाकिस्तान को वेस्टइंडीज की राह पर जाते देखना क्रिकेट के लिए शुभ संकेत नहीं
प्रदीप मैगजीन
Ind vs Pak Match: जब स्क्रिप्ट पूर्वानुमानित राह पर चलती है। यानी बिना किसी मोड़ या रोमांच के तो वांछित परिणाम भी फीका लगने लगता है। भारत ने हाल के वर्षों में एक बार फिर वही किया, पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी, ऐसे प्रहार किए जिन्होंने उसके शरीर, मन, आत्मा और यहां तक कि अस्तित्व को भी झकझोर दिया।
यह कोई अप्रत्याशित अंत नहीं था, खासकर उस प्रतिद्वंद्विता का जो आज भी एक अरब से अधिक दर्शकों को आकर्षित करती है। विज्ञापनदाता और टीवी चैनल इस मुकाबले के इर्द-गिर्द सनसनीखेज माहौल बनाते हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य होता है – मुनाफा कमाना, लेकिन आखिर कब तक क्रिकेट बाजार और राष्ट्रवादी भावनाओं से भरे प्रचार अभियान दर्शकों को भ्रमित करते रहेंगे?
पाकिस्तान की क्रिकेट में गिरावट भले ही कुछ भारतीय उत्साही प्रशंसकों को संतोष दे, लेकिन यह खेल को कमजोर बनाता है और इससे जुड़े हितधारकों की चिंता बढ़ाता है। यह कल्पना करना कठिन है कि कभी यह वही देश था जिसने इमरान खान, जावेद मियांदाद, वसीम अकरम, वकार यूनुस, इंजमाम उल हक जैसे दिग्गज क्रिकेटर दिए थे। पाकिस्तान क्रिकेट की इस दुर्दशा के कारणों की जांच और समाधान करना भारत का कार्य नहीं, लेकिन चिंता जताने से हमें कोई रोक नहीं सकता। पाकिस्तान को वेस्टइंडीज की राह पर जाते देखना क्रिकेट के लिए शुभ संकेत नहीं होगा।
इसके ठीक उलट, भारतीय टीम आत्मविश्वास, दृढ़ निश्चय और आक्रामकता की मिसाल बनी रही। क्या क्रिकेट इतिहास में विराट कोहली से ज्यादा फिट, मजबूत और दृढ़ इच्छाशक्ति वाला कोई और खिलाड़ी हुआ है? इसमें संदेह है। 36 वर्षीय कोहली, महज 5 फीट 9 इंच के मजबूत और सधे हुए शरीर के साथ मैदान पर बिजली की तरह दौड़ते हैं। वह अपना ध्यान एक तपस्वी की तरह केंद्रित रखते हैं और उनकी आत्मविश्वास की गहराई पहाड़ों को भी हिला सकती है। खराब फॉर्म से जूझने के बावजूद उन्होंने अनुशासन से भरी ऐसी पारी खेली जिसने पाकिस्तान के गेंदबाजों को हतप्रभ कर दिया।
अगर कोहली ऊर्जावान हैं तो शुभमन गिल क्रिकेट की सुंदरता और नजाकत के प्रतीक हैं। उनकी बल्लेबाजी में एक अनोखी लय है, जैसे कोई बैले नृत्य करता हो, जिससे दर्शकों की आंखें झपकना भूल जाती हैं। वहीं, श्रेयस अय्यर की बल्लेबाजी कोहली-गिल की जोड़ी से कहीं अधिक ताकतवर और दमदार नजर आई, जिससे पाकिस्तान के लिए कोई रास्ता ही नहीं बचा। यह मायने नहीं रखता कि रोहित शर्मा इस बार नहीं चल सके।
भारत की ताकत न केवल उसकी बल्लेबाजी में है, बल्कि दुबई की पिच भी उसके पक्ष में रही। धीमी और नीची उछाल वाली इस पिच पर तीनों स्पिनर एक मजबूत हथियार बनकर उभरे। कुलदीप यादव की कलाइयों का जादू बल्लेबाजों को भ्रमित करता रहा, जबकि रवींद्र जडेजा की सटीकता और रफ्तार में विविधता ने उन्हें जकड़े रखा। वहीं, अक्षर पटेल ने भी पिच से पर्याप्त सहारा लेकर भारतीय स्पिन तिकड़ी को और घातक बना दिया।
आने वाले मुकाबलों में भारत की असली परीक्षा होगी, लेकिन घरेलू जैसी परिस्थितियां उसे बढ़त देंगी, खासकर उन टीमों के खिलाफ, जो अब तक लाहौर और कराची की बल्लेबाजी के अनुकूल पिचों पर खेलती आ रही हैं। भारत के पास यहां एक बड़ा अवसर है, जिसे भुनाने की पूरी क्षमता इस टीम में है।