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पानी की निकासी के नाम पर करोड़ों की ग्रांट सीवरेज एवं नालों में बहाई

08:41 AM Jul 11, 2024 IST
पानी की निकासी के नाम पर करोड़ों की ग्रांट सीवरेज एवं नालों में बहाई
बरवाला में ट्रैक्टर चालित पंपसेट से निकासी का चल रहा कार्य। -निस
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राजेश चुघ/निस
बरवाला, 10 जुलाई
राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर बरवाला में विकास कार्यों विशेषकर गंदे पानी की निकासी व जलभराव की समस्या के समाधान के लिए करोड़ों की ग्रांट देने के बाद भी शहर की हालत बद से बदतर है। शहर के 19 वार्डों में से एक भी वार्ड ऐसा नहीं जहां पर सीवरेज सही ढंग से काम कर रहा हो या फिर यहा गंदे पानी की निकासी व सफाई व्यवस्था सुचारु हो। <
शहर से गंदे व बरसाती पानी की निकासी की समस्या काफी पुरानी है। गंदा व बरसाती पानी पहले तालाबों में गिरता था। तालाबों पर नाजायज रूप से कब्जे हो गए।
अब यहां पर उपरोक्त समस्या गंभीर रूप धारण कर गई। लगभग 18 वर्ष पूर्व डाली गई सीवरेज की लाइनें कभी भी नहीं चली और कामयाब नहीं हुई। उसके स्थान पर अब नयी लाइनें डाली गई। यह लाइनें भी कम व्यास की हैं व सुचारु काम नहीं कर रही और चलने से पहले ही ठप हो गई है। स्टॉर्म वाटर सिस्टम का कार्य भी अधर में लटका है। जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी हाल ही में मुख्य इंटरनल मार्ग व सरकारी अस्पताल मार्ग पर डाली गई सीवरेज लाइनों में रुकावट है।
यहां पानी निकासी के लिए भी ट्रैक्टर चालित पंप सेटों का सहारा लिया जा रहा है। इनके माध्यम से सीवरेज के मैनहोल से सीवरेज का पानी गंदे नाले में डाला जा रहा है। करोड़ों की लागत से यह सीवरेज की लाइनें कुछ समय पहले ही डाली गई थीं। लोगों को इस कारण काफी असुविधा का सामना भी करना पड़ा था। लोगों ने इस असुविधा को भी यह सोचकर सह लिया कि आने वाले समय में उनके अच्छे दिन आएंगे, परंतु परिणाम वही ढाक के तीन पात रहा। सीवरेज के अलावा इस मेन इंटरनल सड़क पर दोनों और नगरपालिका द्वारा नालों का निर्माण भी किया गया। परन्तु इसका लेवल सही नहीं है। दूसरा इसकी सफाई भी नहीं की गई। हालांकि नगर पालिका ने इसकी सफाई के लिए एक अन्य विभाग के मांगे जाने पर उसे नौ लाख रुपए जारी कर दिए, परंतु सफाई का काम नहीं हुआ।
जन स्वास्थ्य विभाग ने हिसार रोड पर भी कुछ समय पूर्व बड़ी जैटिंग मशीनों को मंगा कर सीवरेज लाइन की खुदाई की। इसी प्रकार दौलतपुर रोड पर पानी निकासी के लिए एक पाइप लाइन नहर तक बिछाई।
योजना यह बनाई गई कि गंदा पानी नहर में डाला जाएगा। यह योजना भी फेल साबित हुई। पुरानी आबादी तो इस बार-बार किए जाने वाले प्रयोगों से तंग थी ही। अब शहर की नयी आबादी में भी इस प्रकार की काफी समस्याएं हैं।

ग्रांट का सदुपयोग कम दुरुपयोग ज्यादा हुआ

प्रदेश में चाहे किसी भी दल या किसी भी मुख्यमंत्री की सरकार रही हो, सभी ने यहां समय-समय पर बड़े पैमाने पर करोड़ों रुपए की ग्रांट दी। परंतु इस ग्रांट का सदुपयोग कम दुरुपयोग ज्यादा हुआ। यही कारण रहा कि सरकारी विभागों की गलत कार्य प्रणाली के कारण बरसों से इसका खमियाजा यहां के नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। मेन इंटरनल सड़क को ऊंचा उठाए जाने के बाद अब दोनों तरफ की जो नीचे की गलियां हैं, उनमें जलभराव की समस्या बढ़ गई है। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के एसडीओ कुलदीप कोहाड़ के अनुसार बरसाती पानी निकासी के लिए तीन पंपसेट व दो ट्रैक्टर चालित पंपसेट चल रहे हैं। सीवरेज की लाइनें चल रही हैं। एसटीपी तक पानी जा रहा है। इन लाइनों पर कितनी लागत आई उन्हें जानकारी नहीं है।

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पार्षद, लोग सहयोग करें तो होगा समाधान : सिहाग


विधायक जोगीराम सिहाग ने कहा कि पार्षद व लोग सहयोग करें तो जिस प्रकार मुख्य इंटरनल सड़क का निर्माण होने पर रास्ते की समस्या का समाधान हुआ है। उसी प्रकार शहर के अंदरूनी भाग में भी सुधार किया जा सकता है। जनता के सहयोग के बिना कुछ भी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि सरकार से जन स्वास्थ्य विभाग को उन्होंने करोड़ों रुपए की सरकारी ग्रांट दिलाई है। काफी काम हुआ है, आगे भी यह कार्य जारी रहेगा। सरकारी कामों चाहे वह सीवरेज, स्टॉर्म वॉटर या पीने के पानी की पाइपलाइनें किसी भी कार्य में रुकावट न डाली जाए बल्कि सहयोग किया जाए। यहां जो भी कार्य होगा जनहित में होगा और इसका पूरे शहर को लाभ होगा।

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