पिछले 2 चुनाव में भाजपा व कांग्रेस को छोड़ जब्त होती रही सबकी जमानत
जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 2 जून
अम्बाला संसदीय क्षेत्र से अपना भाग्य आजमा रहे 14 उम्मीदवारों में से प्रत्येक को कम से कम 2.25 लाख वोट लेने होंगे, तभी उनकी जमानत राशि बच पाएगी।
पिछले 2 चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के अतिरिक्त बाकी सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त होती रही है। 18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए यहां छठे चरण में 25 मई को मतदान हुआ था जिसका परिणाम 4 जून को घोषित होगा। भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा ताजा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अम्बाला लोकसभा सीट पर मतदान का प्रतिशत 67.34 प्रतिशत रहा। अम्बाला लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या हालांकि 20 लाख 3 हजार 510 है।
इनमें सर्विस मतदाता भी शामिल हैं। इनमें से अगर सर्विस मतदाताओं को घटा दिया जाए तो यह संख्या 19 लाख 96 हजाार 708 बनती है। कुल मतदाताओं में से अम्बाला संसदीय क्षेत्र के 13 लाख 44 हजार 503 वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस सीट पर पंजीकृत कुल 6802 सर्विस मतदाताओं में से कितनों ने वोट दिया, यह आंकड़ा चुनाव आयोग द्वारा जारी नहीं किया गया है।
नियमानुसार जमानत बचाने के लिए डाले गए कुल वैध वोटों का छठा भाग अर्थात 16.66 प्रतिशत वोट उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त करना आवश्यक होता है। यह 16.66 प्रतिशत वोट प्राप्त करने की आवश्यकता जीते गए उम्मीदवार पर लागू नहीं होती बल्कि केवल हारने वाले उम्मीदवारों पर ही लागू होती है। लोकसभा चुनाव में जमानत राशि पहले केवल 500 रुपये होती थी जिसे पहले वर्ष 1996 में बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया गया। फिर वर्ष 2010 से इसे 25 हजार रुपये कर दिया गया जो आज तक लागू है।
अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उम्मीदवारों के लिए उक्त राशि का केवल 50 फीसदी अर्थात 12500 रुपये लागू होती है।
चूंकि अम्बाला लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, इसलिए यहां से चुनाव लड़ रहे प्रत्येक प्रत्याशी द्वारा 12500 रुपये की जमानत राशि जमा करवाई गई है। अगर इस बार अम्बाला लोकसभा सीट पर नोटा के वोटों को अधिकतम 10 हजार भी मान लिया जाए और सभी 6802 सर्विस मतदाताओं द्वारा इस बार पोस्टल बैलेट द्वारा भी मतदान किया मान लिया जाए तो मौजूदा आंकड़ों के अनुसार करीब 2.25 लाख वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार की ही अम्बाला लोकसभा सीट पर जमानत राशि बच पाएगी।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 158-4 के अनुसार अगर किसी चुनाव में कोई उम्मीदवार विजयी नहीं होता है, तो उसे अपनी जमानत राशि वापस लेने के लिये उस चुनाव में डाले गए कुल वैध वोटों का छठा भाग या 16.66 प्रतिशत वोट लेने अनिवार्य होते हैं। नोटा के पक्ष में डाले गए वोटों को गिनती के दौरान हारे गए उम्मीदवारों के लिए 16.66 फीसदी वोटों का आकलन करने की लिए वैध नहीं माना जाता एवं इन वोटों को कुल डाले गए वोटों में से घटा दिया जाता है।
-हेमंत, एडवोकेट, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट