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पहले शक्ति परीक्षण में तकड़ी का पलड़ा भारी

06:59 AM Oct 29, 2024 IST
अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में सोमवार को हरजिंदर सिंह धामी अन्य पदाधिकारियों के साथ। -विशाल कुमार

अमृतसर, 28 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के उम्मीदवार एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी सोमवार को लगातार चौथी बार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष चुने गए। धामी ने अपनी प्रतिद्वंद्वी एवं एसजीपीसी की पूर्व प्रमुख बीबी जगीर कौर को हराया। जगीर कौर शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर की तरफ से मैदान में थीं, जो शिअद का बागी गुट है।
एसजीपीसी का यह चुनाव एक तरह से सियासी शक्ति परीक्षण भी था, जिसमें पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व वाले अकाली दल गुट का पलड़ा भारी रहा।
तेजा सिंह समुंदरी हॉल में आयोजित वार्षिक चुनाव में कुल 142 मत डाले गये। धामी को 107 और जगीर कौर को 33 वोट मिले। दो वोट अमान्य घोषित कर दिए गये। रघुजीत सिंह विर्क को निर्विरोध वरिष्ठ उपाध्यक्ष, बलदेव सिंह कल्याण को कनिष्ठ उपाध्यक्ष और शेर सिंह को महासचिव चुना गया। इसके अलावा, 11 सदस्यीय कार्यकारी समिति को भी निर्विरोध चुना गया। वहीं, तीन साल बाद मानद मुख्य सचिव के तौर पर कुलवंत सिंह मनण को नियुक्त किया गया है। इस दौरान श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुलतान सिंह और अन्य ग्रंथी साहिबान पांच सिंह साहिबान के तौर पर मौजूद रहे, लेकिन तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह गैर हाजिर रहे।

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सदस्यों ने मिसाल कायम की : धामी

एडवोकेट धामी ने प्रधान चुने जाने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि सिख कौम की यह बड़ी सेवा गुरु साहिब के अाशीर्वाद से प्राप्त हुई है, जिसे वह विनम्रता और पंथक भावनाओं के अनुसार निभाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने दावा किया कि इस साल के चुनाव में पंजाब की ‘आप’ सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार, भाजपा, आरएसएस, कांग्रेस ने पूरा जोर लगाया, लेकिन शिरोमणि कमेटी के सदस्यों ने दृढ़ता से शिअद के साथ खड़े होकर मिसाल कायम की है।

सदस्यों का जमीर न जागने का दुख : जगीर कौर

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चुनाव में हार के बाद मीडिया से बातचीत में बीबी जगीर कौर ने गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने शिरोमणि कमेटी के सदस्यों को लाशें करार देते हुए कहा कि इनके अंदर जमीर मर चुका है। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि आज शिरोमणि कमेटी सदस्यों द्वारा दिया गया फतवा उन्हें स्वीकार है, लेकिन उन्हें दुख है कि इन सदस्याें का जमीर नहीं जागा। उन्होंने कहा कि वह खालसा पंथ के हित और सिखी प्रचार के लिए अपनी मुहिम जारी रखेंगी।

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