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ऐसे तो किसी भी आरोपी के वकील को जज नहीं बनना चाहिए

07:21 AM Nov 25, 2023 IST
ऐसे तो किसी भी आरोपी के वकील को जज नहीं बनना चाहिए
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सत्य प्रकाश/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 24 नवंबर
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मद्देनजर कथित नियामक विफलता की जांच के लिए शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ पैनल के सदस्य वकील सोमशेखर सुंदरेसन को बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने पर आपत्ति जताने वाले याचिकाकर्ताओं पर कड़ी आपत्ति जताई। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील प्रशांत भूषण से कहा, ‘हमें इन निराधार आरोपों को क्यों लेना चाहिए? इस तर्क के आधार पर तो किसी आरोपी की ओर से पेश वकील को कभी भी हाईकोर्ट का जज नहीं बनना चाहिए... यह 2006 का मामला है, आप 2023 में उसे उठा रहे हैं।’ असल में भूषण ने सुंदरेसन की नियुक्ति पर इस आधार पर आपत्ति जताई थी कि वह अडाणी के वकील थे।
सीजेआई ने कहा, ‘मिस्टर भूषण, आपकी आपत्ति अनुचित है। हम चाहते तो हाईकोर्ट के पूर्व जज को भी ले सकते थे, लेकिन हम डोमेन विशेषज्ञ चाहते थे... हम अधिक मजबूत विश्लेषण चाहते थे... आइए इस पर निष्पक्ष रहें।’ इसके साथ ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर भी संदेह जताया, कहा, ‘हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से सही मानने की ज़रूरत नहीं है। इसीलिए हमने पूछा कि क्या सेबी जांच करेगी।’
बेंच ने कहा, ‘हमें अपनी जांच एजेंसियों पर निर्भर रहना होगा... इसलिए, हमें अपनी जांच एजेंसियों से आरोपों की जांच करने के लिए कहना होगा।’ शीर्ष अदालत की टिप्पणी तब आई जब याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कई तथ्यात्मक खुलासे हुए हैं। कोर्ट ने एसबीआई और जीवन बीमा निगम के खिलाफ जांच की मांग को भी खारिज कर दिया और कहा, ‘क्या यह कॉलेज की बहस है?’ सुंदरेसन की नियुक्ति पर भूषण की आपत्तियों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘वह पिछली सरकार की वित्तीय क्षेत्र कानून सुधार समिति में थे…तो क्या वे अयोग्य हो जाते हैं।’ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं से अदालत द्वारा पैनल में चुने गए लोगों के खिलाफ ऐसे आरोपों को रोकने का अनुरोध किया। गौर हो कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडाणी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति गठित की थी, लेकिन समिति के सदस्यों पर हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए एक याचिकाकर्ता ने सितंबर में एक नया विशेषज्ञ पैनल गठित करने का आग्रह किया था।

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