सेवानिवृत्त जज एक महीने में करेंगे जांच
विजय शर्मा/हप्र
करनाल, 11 सितंबर
हरियाणा सरकार के साथ 2 मांगों पर समझौते के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को करनाल में सचिवालय का घेराव समाप्त कर दिया। पिछले 5 दिन से चल रहे आंदोलन को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच लिखित समझौता हुआ है। इसके तहत लाठीचार्ज प्रकरण की पूरी जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज से करवाने पर सहमति बनी है। यह जांच एक माह में पूरी की जाएगी और इस दौरान तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे। मृत किसान के परिवार के 2 सदस्यों को डीसी रेट की सैंक्शन पोस्ट पर एक सप्ताह के अंदर नौकरी दी जाएगी।
इस समझौते की घोषणा अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेन्द्र सिंह, उपायुक्त निशांत कुमार यादव, पुलिस अधीक्षक गंगाराम पूनिया और किसान संगठनों की ओर से भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी व टिकैत भाकियू गुट के प्रदेश अध्यक्ष रतन सिंह मान सहित अन्य नेताओं की उपस्थिति में की गयी। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि किसान हमारे भाई हैं और यह समझौता बड़े सम्मानजनक तरीके से हुआ है। उन्होंने कहा, किसान संगठनों की मांग थी कि बसताड़ा टोल पर 28 अगस्त को पुलिस लाठीचार्ज की जांच की जाये और मृतक किसान सुशील काजल को उचित मुआवजा दिया जाए। इन मांगों पर प्रशासन व किसान नेताओं के बीच शुक्रवार देर शाम 4 दौर की बातचीत में सहमति बनी।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि लघु सचिवालय के सामने चल रहा धरना समाप्त कर दिया गया है, लेकिन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर करनाल के बसताड़ा टोल पर किसानों का धरना चलता रहेगा और प्रदेश में भाजपा, जजपा का विरोध भी जारी रहेगा।
मिल सकती है आर्थिक सहायता : जानकारी के अनुसार किसान सुशील काजल के परिवार को सीधे मुआवजा देने में सरकार ने तकनीकी कारणों से असमर्थता व्यक्त की है, लेकिन कुछ आर्थिक सहायता देने पर विचार किया जा सकता है। भाकियू के करीबी सूत्रों ने बताया कि सुशील काजल के परिवार ने अंतिम संस्कार से पहले उनका पोस्टमार्टम नहीं करवाया और न ही लाठीचार्ज के बाद मेडिकल हुआ था, ऐसे में सरकार मुआवजे की सीधी घोषणा न करके परिवार को आर्थिक सहायता देने पर विचार का प्रस्ताव मान गयी है।
दोनों पक्षों पर था दबाव
आंदोलन के कारण सरकार करनाल में पुलिस और सुरक्षा बलों की 40 कंपनियां रखने को मजबूर थी। इधर, इंटरनेट सेवा बंद रहने और व्यापार प्रभावित होने से करनाल के लोगों में भी सरकार के प्रति रोष बढ़ रहा था। यह परेशानी भी थी कि आंदोलन लंबा खिंचा तो मुख्यमंत्री अपने करनाल विधानसभा क्षेत्र में कैसे आएंगे। वहीं, किसान नेता पहले 2 दिन इस बात पर अड़े रहे कि करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा व लाठीचार्ज के दोषी अन्य अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की जाये और सिन्हा को निलंबित किया जाये। आखिर किसानों ने अपना रुख नर्म किया और सरकार भी कुछ आगे बढ़ी। भाकियू अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि हमने वकीलों के पैनल से राय ली है। अगर सरकार से एफआईआर दर्ज करवाते तो अधिकारी जांच में केस कमजोर कर सकते हैं और आरोपी कोर्ट जाकर एफआईआर रद्द करवा सकता है। लेकिन, होईकोर्ट के जज से जांच के बाद एफआईआर दर्ज होगी, तो उसे रद्द करवाना आसान नहीं होगा। इसके अलावा, बड़े किसान नेताओं द्वारा यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि सरकार किसानों को करनाल में उलझाकर दिल्ली का आंदोलन विफल करने की कोशिश कर रही है।
5 जजों के दिये नाम : भारतीय किसान मजदूर नौजवान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र आर्य ने बताया कि किसानों ने अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेन्द्र सिंह को 5 रिटायर्ड जजों के नाम सौंपे हैं। इस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि इन 5 जजों में से किसी एक के नाम पर सहमति की कोशिश करेंगे, लेकिन इसकी गारंटी नहीं दे सकते।