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‘स्ट्रोक के मामले में जल्दी इलाज से कम होगा मौत का आंकड़ा’

07:46 AM Dec 15, 2023 IST
‘स्ट्रोक के मामले में जल्दी इलाज से कम होगा मौत का आंकड़ा’
पानीपत में बृहस्पतिवार को स्ट्रोक के मामले में लक्षण व बचाव संबंधी जानकारी देते डॉक्टर अनिल व मनोज खनल। -वाप्र
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पानीपत, 14 दिसंबर (वाप्र)
मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के न्यूरोसर्जरी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर अनिल कुमार कंसल ने स्ट्रोक के इलाज से जुड़ी लेटेस्ट तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने कहा का स्ट्रोक के मामले में जल्दी इलाज से मौत का आंकड़ा कम हो सकता है। डाक्टर अनिल कुमार पत्रकारवार्ता में बोल रहे थे।
उन्होंने बताया कि देश में स्ट्रोक केस का बड़ा बोझ है। यहां स्ट्रोक के 68.6 फीसदी केस हैं, स्ट्रोक से होने वाली मौतों का आंकड़ा 70.9 फीसदी है तथा 77.7 फीसदी मामलों में विकलांगता हो जाती है. स्ट्रोक मौत का दूसरा सबसे आम कारण है। हर साल लगभग 185,000 स्ट्रोक केस सामने आते हैं, जिसमें हर 40 सेकंड में एक स्ट्रोक और हर 4 मिनट में स्ट्रोक से एक मौत होती है। उन्होंने जानकारी दी कि स्ट्रोक के मामले में सर्जरी कैसे की जाए, ये स्ट्रोक के प्रकार, गंभीरता और मरीज की हेल्थ पर निर्भर करता है. इस्केमिक स्ट्रोक के लिए थ्रोम्बेक्टोमी, हेमोरेगिक स्ट्रोक के मामले में ब्लीडिंग को रोका जाता है और टूटे हुए एन्यूरिज्म की रिपेयर की जाती है। ये सर्जरी विकलांगता को कम कर सकती हैं और रिकवरी में इससे सहायता मिलती है। स्मोकिंग के साथ ही अन्य प्रकार के नशा करने से यह बीमारी अधिक हो रही है। इसके साथ ही तनाव भी इससेे में प्रमुख कारक होता है। न्यूरोलॉजी के यूनिट हेड डॉक्टर मनोज खनल ने स्ट्रोक के बाद गोल्डन पीरियड में अस्पताल पहुंचने का महत्व बताया।
उन्होंने कहा कि जैसे ही को स्ट्रोक का केस होता है पास के अस्पताल में जहां कम से कम सीटी स्कैन की की सुविधा हो मरीज को एक घंटे के अंदर-अंदर यदि ले जाया जाता है तो यह उसका गोल्डन पीरियड होगा। उसे इलाज मिल सकेगा।
डॉक्टर खनल ने कहा कि स्ट्रोक के सामान्य लक्षणों में सुन्नता, कमजोरी, कंफ्यूजन, बोलने में परेशानी, विजन की परेशानी, गंभीर सिरदर्द और समन्वय की समस्याएं शामिल हैं।

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