एक दिन में एक ही फाइल नंबर पर 158 करोड़ के 33 वर्क आॅर्डर कर दिए जारी
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 5 जुलाई
फरीदाबाद नगर निगम में हुए करीब 200 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में अधिकारी पूरी तरह से दरियादिल दिखे। सतबीर सिंह नामक ठेकेदार पर तो पूरा निगम मेहरबान रहा। सबसे बड़ी बात यह है कि एक ही दिन में एक ही फाइल नंबर पर 158 करोड़ रुपये से अधिक के 33 वर्क आॅर्डर भी जारी कर दिए गए। शायद, स्टेट विजिलेंस ब्यूरो अभी तक इस पूरे मामले की गहराई तक नहीं पहुंची है। यह साफ है कि इस मामले की जांच में और भी कई रोचक पहलू उभर कर सामने आएंगे।
प्रदेश में यह अपनी तरह का पहला ही उदाहरण होगा कि कोई नगर निगम 158 करोड़ 69 लाख 11 हजार 575 रुपये के विकास कार्यों के वर्क आॅर्डर एक ही दिन में जारी करे। हरियाणा जैसे छोटे राज्य और उसमें भी एक नगर निगम में विकास कार्यों के लिए इतना बड़ा बजट दिया जाना किसी भी सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि माना जाएगा। इतना पैसा खर्च होने के बाद शहर की सूरत पूरी तरह से बदल सकती है। लेकिन फरीदाबाद में ऐसा कुछ नहीं हुआ।
बेशक, एक यो दो बड़े प्रोजेक्ट 158 करोड़ या इससे भी कहीं अधिक लागत के एक ही दिन में जारी हो सकते हैं। लेकिन गलियों में इंटर-लॉकिंग टाइल, पानी निकासी जैसे कार्यों के लिए इतना पैसा एक बार में पहले कभी जारी हुआ नहीं दिखता। निगम के अलग-अलग वार्डों में गलियों व निकासी आदि के लिए 3 दिसंबर, 2018 को लेटर नंबर – एमसीएफ/पीए/2018/1134 के तहत 158 करोड़ 69 लाख रुपये से अधिक के विकास कार्यों के लिए वर्क आॅर्डर जारी किए गए।
इन 33 विकास कार्यों के वर्क आॅर्डर में से 15 अलग-अलग ठेकेदारों को दिए गए हैं। वहीं 18 कार्यों का ठेका उसी सतबीर सिंह नामक ठेकेदार को दिया गया, जिसके माध्यम से निगम ने और भी करोड़ों रुपये के कार्य करवाए। यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि एक ही दिन जारी हुए 33 कार्यों के वर्क आॅर्डर में से 14 कार्यों के वर्क आॅर्डर को चंद दिनों में ही रिवाइज और रि-रिवाइज भी कर दिया गया। यानी इन्हांसमेंट के तौर पर 25 करोड़ रुपये अधिक दिए गए।
रिवाइज और रि-रिवाइज करने में भी निगम अधिकारियों ने नियमों का पूरी तरह से उल्लंघन किया। आमतौर पर इन्हांसमेंट उसी सूरत में दी जाती है, जब एकाएक महंगाई बढ़ जाए। विकास कार्यों से संबंधित सामग्री महंगी हो जाए। ऐसी स्थिति आमतौर पर दो से दस दिनों में नहीं आती, लेकिन फरीदाबाद नगर निगम में इस तरह की महंगाई चंद दिनों में ही बढ़ी। इन्हांसमेंट भी अधिकतम 10 प्रतिशत तक ही दी जा सकती है, लेकिन निगम अधिकारियों ने बजट को कई गुणा तक बढ़ाया।
10 प्रतिशत से अधिक और एक करोड़ से अधिक की राशि होने पर मामला मेयर की अध्यक्षता वाली फाइनेंस कमेटी के पास जाता है। निगम में हुए इस कथित घोटाले में शायद ही कोई ऐसा मामला होगा, जिसे फाइनेंस कमेटी के पास भेजा गया हो। यानी निगम अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी से ही बार-बार वर्क आॅर्डर की राशि में बढ़ोतरी की। एक और बड़ा सवाल यह है कि 3 दिसंबर, 2018 को जिन 33 विकास कार्यों के लिए वर्क आॅर्डर जारी हुए, उनमें भी 20 के करीब कार्य ऐसे हैं, जिनकी लागत 1 करोड़ 7 लाख से लेकर 2 करोड़ 61 लाख रुपये तक है।
115 करोड़ में होना था स्टेडियम का सुधार
3 दिसंबर के ही डिस्पैच नंबर – एमसीएफ/पीए/2018/1134 में राजा नाहर सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम का हाईब्रिड टेक्नोलॉजी से नवीनीकरण होना था। इसके लिए 1134 डिस्पैच नंबर से ही 115 करोड़ 29 लाख 18 हजार 357 रुपये का वर्क आॅर्डर रणजीत बिल्टकॉम लिमिटेड को जारी किया गया। इस पर काम भी शुरू हुआ, लेकिन अब अधर में लटका हुआ है। इसके पीछे भी राजनीतिक कारण बताए जा रहे हैं। इसी तरह से साढ़े 6 करोड़ रुपये की लागत से सीही गांव में बनने वाले शीतला माता पार्क का काम भी अधूरा है।
विजिलेंस ने माना-नियमों का उल्लंघन हुआ
गौरतलब है कि नगर निगम में एक करोड़ से ढाई करोड़ रुपये तक के कार्यों के लिए मेयर की अध्यक्षता वाली फाइनेंस कमेटी की परमिशन जरूरी है। इससे अधिक राशि के कार्यों की मंजूरी सरकार से लेनी होती है। हालांकि फरीदाबाद नगर निगम में इन नियमों को पूरी तरह से अनदेखा करते हुए 5 लाख के काम को करीब दो करोड़ तक पहुंचा दिया। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने भी यह स्वीकार किया है कि वर्क आॅर्डर को रिवाइज व रि-रिवाइज करने में नियमों का उल्लंघन हुआ है और इसमें गबन से भी इनकार नहीं किया जा सकता।