सही पोस्चर से बेहतर बनाएं नींद
विवेक कुमार
स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है कि सोते समय हमारे शरीर की मुद्रा यानी स्लीपिंग पोस्चर सही हो। अगर ऐसा न हो तो हमें कई तरह की शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। तो जानिये कौन-कौन सी सोने की मुद्राएं गलत स्लीपिंग पोस्चर मानी जाती हैं और किन मुद्राओं को सही माना गया है।
गर्दन को गुड़ीमुड़ी बनाकर सोना
सोते समय यदि हमारी गर्दन बहुत ज्यादा मुड़ी होती है तो इस मुद्रा में सोने से गर्दन के आसपास की नसों पर बहुत ज्यादा तनाव बनता है, इससे गर्दन में अकड़न आ सकती है, जिसे गर्दन की मोच भी कहते हैं। इससे गर्दन में दर्द तो रहता ही है, कई बार इस मुद्रा में सोने पर गर्दन में चोट लगने की भी आशंका रहती है। कई छोटे बच्चे जब ऐसी मुद्रा में सोते हैं तो उनकी मांएं उनकी मुद्रा सुधारती रहती हैं।
आधे झुके हुए सोना
आधे झुके हुए सोने की मुद्रा यानी जिसमें व्यक्ति पूरी तरह लेटा नहीं होता, बहुत खतरनाक है। अगर सोते समय आपकी मुद्रा ऐसी रहती है तो आपकी गर्दन और पीठ को पूरी तरह से सपोर्ट नहीं मिलता। इस मुद्रा में हमेशा सोने से रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ जाता और लगातार दर्द रहने लगता है। ऐसी मुद्रा में सोने से सांस लेने में भी कठिनाई होती है। छाती और फेफड़ों पर दबाव बढ़ जाता है। अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए यह मुद्रा खास तौर पर नुकसानदायक हो सकती है। साथ ही यह मुद्रा पाचन संबंधी समस्या भी बढ़ा सकती है क्योंकि इसमें पेट दबा रहता है या झुकी हुई स्थिति में होता है,जिससे गैस्ट्रिक एसिड का रिसाव बढ़ सकता है। नतीजतन एसिडिटी या पेट में जलन की समस्या हो सकती है।
उल्टे हाथ-पैर फैलाकर सोना
उल्टे हाथ-पैर फैलाकर सोना यानी ‘स्टारफिश पोजिशन’ में सोना भी एक खराब स्लीपिंग पोस्चर है। अगर यह पोस्चर लंबे समय तक अपनाया जाए तो इससे कंधों पर दबाव बनता है जिससे कंधे की नसें प्रभावित होती हैं और दर्द के साथ साथ सुन्नपन भी महसूस हो सकता है। इस मुद्रा में सोने से गर्दन और पीठ में दर्द बना रहता है। यदि सिर और गर्दन के लिए सही तकिया न हो, तो इससे रीढ़ की हड्डी की प्राकृतिक संरेखण बिगड़ सकती है। इससे गर्दन और पीठ के ऊपरी हिस्से में अकड़न और दर्द भी हो सकता है।
ये है सही स्लीपिंग पोस्चर
जब हम यह जान गए हैं कि सोते समय शरीर की मुद्राएं हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हैं तो यह जान लेना भी जरूरी है कि सोते समय कौन-कौन सी शारीरिक मुद्राएं सही हैं-
करवट लेकर सोना
अनुभवी लोग मानते हैं कि आंतरिक अंगों के लिए करवट लेकर सोना यानी साइड स्लीपिंग पोस्चर सबसे अच्छी मुद्रा है। ऐस सोने से रीढ़ और गर्दन को सपोर्ट मिलती है जिससे रीढ़ सीधी रहती है वहीं कमर और गर्दन पर कम दबाव पड़ता है। यह मुद्रा रीढ़ को प्राकृतिक स्थिति में रखने में मददगार है। वहीं इस मुद्रा में सोने से शरीर के वायुमार्ग खुले रहते हैं जिससे खर्राटों में कमी आती है।
पीठ के बल सोना
पीठ के बल सोना यानी बैक स्लीपिंग पोस्चर भी सोने की सही मुद्रा है। इस मुद्रा में सोने से गर्दन व पीठ को सपोर्ट मिलती है। एसिड रिफ्लक्स की समस्या में भी यह मुद्रा फायदेमंद होती है। अगर सिर के साथ साथ घुटनों के नीचे भी एक छोटा तकिया रखकर सोयें तो रीढ़ की सही स्थिति बनी रहती है।
पेट के बल
पेट के बल सोना यानी स्टमक स्लीपिंग पोस्चर भी कुछ मायनों में फायदेमंद है। इस मुद्रा में सोने से खर्राटों में कमी आ सकती है। लेकिन यह मुद्रा गर्दन और रीढ़ के लिए हानिकारक हो सकती है ; क्योंकि इस मुद्रा में सोने पर सिर को एक तरफ घुमाना पड़ता है, जिससे गर्दन में तनाव हो सकता है। जानकार सुझाव देते हैं कि यदि आप पेट के बल सोते हैं तो तकिया न लगाएं या फिर बहुत पतले तकिये का प्रयोग करें ताकि गर्दन पर दबाव न पड़े।
अन्य जरूरी बातें
सही मुद्रा के साथ साथ सोते समय कुछ और बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है मसलन गर्दन और सिर की सही स्थिति रहे। बहुत ऊंचा या बहुत नीचा तकिया लगाने से बचें। यह भी सुनिश्चित करें कि मेट्रेस और तकिया आपके लिए आरामदायक और आपकी बॉडी के अनुकूल हो। वहीं किसी भी एक पोज़िशन में हमेशा सोना सही नहीं होता। कुछ-कुछ दिनों या महीनों में हमें सोने की पोजीशन बदलते रहना चाहिए। यह भी कि पूरी रात किसी भी एक मुद्रा में न सोएं, हल्की-फुल्की स्थिति बदलते रहें।
इ.रि.सें.