मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

रणनीतिक साझेदारी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

10:35 AM Sep 03, 2024 IST

डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव

Advertisement

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का अमेरिकी दौरा रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण रहा। उनकी यह यात्रा भारत और अमेरिका के रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने के इरादे से ही थी। वहां पहुंचकर उन्होंने अमेरिकी रक्षा कंपनियों को भारत के साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया। यदि अमेरिकी रक्षा कंपनियां भारत आती हैं तो दोनों देश मिलकर जिन रक्षा उत्पादों का निर्माण करेंगे वे आधुनिक किस्म के होंगे। इस प्रयास में सफलता मिलने पर भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में बढ़ते हुए मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे बढ़ा सकेगा। वहीं भारत रक्षा निर्यात में तेजी से अग्रसर होगा। उक्त यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापक वैश्िवक रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने के लिए थी।
रक्षा मंत्री की यात्रा के दौरान वाशिंगटन में दो महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों पक्षों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने सुरक्षा आपूर्ति समझौता (एसओएसए) और संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। अमेरिकी रक्षा विभाग के मुताबिक, एसओएसए के जरिये अमेरिका और भारत, राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली वस्तुओं व सेवाओं के लिए पारस्परिक समर्थन प्रदान करने पर सहमत हैं। दोनों देश राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतोंं को पूरा करने के मद्देनजर अप्रत्याशित आपूर्ति शृंखला व्यवधान हल करने के लिए एक-दूसरे से आवश्यक औद्योगिक संसाधन प्राप्त कर सकेंगे। गौरतलब है, यह समझौता ऐसे समय हुआ है जब भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के लिए अमेरिकी फर्म जनरल इलेक्ट्रिक से इंजन मिलने में देरी हो रही है।
संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में जो समझौता हुआ है, उसके तहत दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने को अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। भारत इंडो-पैसिफिक कमांड फ्लोरिडा में विशेष ऑपरेशन कमांड व बहरीन में अमेरिकी नेतृत्व वाली बहुराष्ट्रीय संयुक्त समुद्री सेना में तीन कर्नल स्तर के अधिकारियों को नियुक्त करेगा। वैसे इस समझौते की औपचारिकता से पहले ही ऐसे अफसरोंं की तैनाती की जा चुकी है।
हालिया दौरे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन से मुलाकात की। इस मुलाकात में भारत-अमेरिका के बीच चल रहे रक्षा औद्योगिक सहयोग प्रोजेक्ट्स,उभरती भू-राजनीतिक स्थिति एवं अन्य प्रमुख क्षेत्रीय सुरक्षात्मक मसलों पर चर्चा हुई। इससे पहले रक्षा मंत्री अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात कर चुके थे। इस चर्चा में राजनाथ सिंह ने बीते वर्ष भारत-अमेरिका रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप में पहचाने गए क्षेत्रों में भारत में सह-विकास और सह-उत्पादन के अवसरों के संबंध में अधिक जोर दिया। पेंटागन के मुताबिक, वे रक्षा औद्योगिक सहयोग के रोडमैप के तहत जेट इंजन, युद्ध सामग्री, ग्राउंड मोबिलिटी सिस्टम तथा मानव रहित प्लेटफॉर्म सहित भारत की प्राथमिकता वाली सह-उत्पादन परियोजनाएं आगे बढ़ाने को तैयार हैं।
जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन से मुलाकात कर रहे थे उसी दिन अमेरिका की बाइडेन सरकार ने वहां की संसद को एक नोटिफिकेशन के जरिये 443 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों के डील की अनुमति प्रदान कर दी है। जिसके बाद एंटी-सबमरीन वॉरफेयर सोनोबॉय और संबंधित उपकरण भारत को बेचने में परेशानी नहीं होगी। बाद में रक्षा मंत्री राजनाथ व लॉयड ऑस्टिन के बीच पेंटागन में हुई व्यापक वार्ता के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस सौदे पर मुहर लगा दी। इस पनडुब्बीरोधी सामग्री से समुद्र में भारत की ताकत बढ़ेगी और चीन की साजिशों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। सोनोबॉय से भारत की एमएच-60 आर हेलीकॉप्टरों से पनडुब्बीरोधी युद्ध संचालन की क्षमता बढ़ेगी।
भारत ने नौसैनिक हेलीकॉप्टर बेड़े को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से साल 2020 में अमेरिका से 24 लॉकहीड मार्टिन-सिकोरस्की एमएच-60 आर बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टरों की खरीद का आर्डर दिया था। अमेरिका भारत को एएन-एसएसक्यू-53जी, एएन-एसएसक्यू-62एफ तथा एएन-एसएसक्यू-36 सोनाबॉय देगा। सोनोबॉय तकनीक की खासियत यह है कि शत्रु की नजर में नहीं आता है और लक्ष्य को शीघ्र पता कर लेता है-लक्ष्य चाहे जितनी अधिक ऊंचाई पर हो या चाहे जितना नीचे हो। एंटी-सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय एक प्रकार के सोनार उपकरण होते हैं जो समुद्र में पानी के अंदर शत्रु की पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। इन्हें हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर से समुद्र में गिराया जाता है। पानी में नीचे पहुंचने के बाद ये ध्वनि तरंगों का उपयोग करके पनडुब्बियों की स्थिति जान लेते हैं। इनका उपयोग नौसैनिक अभियानों में शत्रु की पनडुब्बियों को खोजने और उन्हें नष्ट करने के लिए किया जाएगा। इन विशेषताओं के कारण एंटी-सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय नौसेना के लिए काफी महत्वपूर्ण उपकरण है। इनसे समुद्र में पनडुब्बियों की सुरक्षा मजबूत होगी।
भारत ने अमेरिका से असॉल्ट राइफलें खरीदने का निर्णय लिया है जिसके तहत वहां की हथियार निर्माता कंपनी सिग सॉयर को 73000 सिग-716 असॉल्ट राइफलों का आर्डर दिया है। सिग-716 असॉल्ट राइफल की मारक क्षमता 500 मीटर है। यह प्रत्येक मिनट में 685 राउंंड फायर करती है। इन राइफलों को चीन व पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। इस तैनाती से सीमाओं पर भारतीय सेना और मजबूत हो जाएगी।

Advertisement
Advertisement