इलाहाबाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, आपसी सहमति से बने संबंध दुष्कर्म नहीं
प्रयागराज, 15 अक्तूबर (भाषा)
Harassment case verdict: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि आपसी सहमति से लंबे समय तक चले व्यभिचार जिसमें प्रारंभ से धोखाधड़ी का कोई तत्व न हो, उसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक ऐसे मामले में की, जिसमें शादी का वादा कर महिला से शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज था।
न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने मुरादाबाद की निचली अदालत में चल रहे श्रेय गुप्ता नामक व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म के मुकदमे को रद्द करते हुए स्पष्ट किया कि जब तक यह सिद्ध न हो कि आरोपी ने शुरू से ही महिला को धोखे में रखा, तब तक शादी का वादा कर बनाए गए संबंधों को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता।
महिला का ये था आरोप
गौरतलब है कि शिकायतकर्ता महिला ने आरोप लगाया था कि गुप्ता ने उसके पति की मृत्यु के बाद उससे शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन बाद में वह वादा तोड़कर किसी और महिला से संबंध बनाने लगा। महिला ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी ने यौन संबंध का वीडियो सार्वजनिक न करने के बदले 50 लाख रुपये की मांग की थी।
पति के जीवित रहते भी थे महिला के संबंध
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि महिला और आरोपी के बीच लगभग 12-13 साल तक शारीरिक संबंध बने रहे थे, और यह संबंध तब से थे जब महिला का पति जीवित था। अदालत ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता महिला ने अपनी उम्र से काफी छोटे व्यक्ति, जो उसके पति की कंपनी में काम करता था, पर अनुचित प्रभाव डाला।
धोखाधड़ी जैसी बात नहीं आई सामने
कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के नईम अहमद बनाम हरियाणा सरकार के मामले का हवाला देते हुए कहा कि हर शादी के वादे को झूठा मानकर दुष्कर्म का आरोप लगाना और व्यक्ति पर मुकदमा चलाना सही नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में धोखाधड़ी के किसी ठोस सबूत की कमी के चलते आरोपी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमा रद्द कर दिया।