पेपर लीक विवाद के बीच परीक्षा कानून का लागू करना डैमेज कंट्रोल की कोशिश : कांग्रेस
नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा)
Paper Leak Controversy: केंद्र सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से शुक्रवार को एक कड़ा कानून लागू किया। इस पर कांग्रेस का कहना है कि परीक्षा कानून का लागू किया जाना ‘डैमेज कंट्रोल' की कोशिश है।
कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि नीट-स्नातक, यूजीसी-नेट परीक्षाओं को लेकर विवाद के बीच, केंद्र सरकार द्वारा लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 अधिसूचित किया जाना ''डैमेज कंट्रोल'' (स्थिति को संभालने) की कोशिश है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि इस कानून की जरूरत थी, लेकिन यह पेपर लीक के बाद की स्थिति से निपटता है जबकि यह सुनिश्चित करने के लिए कानून और प्रक्रियाओं की आवश्यकता है कि पेपर लीक ही न हो।
नीट, यूजीसी-नेट परीक्षाओं को लेकर विवाद के बीच, केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 अधिसूचित किया, जिसका उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं पर अंकुश लगाना है।
इस अधिनियम के तहत अपराधियों के लिए अधिकतम 10 साल की जेल की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "13 फरवरी 2024 को राष्ट्रपति ने लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम), विधेयक, 2024 को अपनी स्वीकृति दी थी। अंततः, आज सुबह ही देश को बताया गया है कि यह अधिनियम कल, यानी 21 जून, 2024 से लागू हो गया है।"
उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से यह नीट, यूजीसी-नेट, सीएसआईआर-यूजीसी-नेट और अन्य घोटालों से पैदा हुई स्थिति को संभालने की कोशिश है। रमेश ने यह भी कहा, "इस कानून की जरूरत थी, लेकिन यह लीक होने के बाद मामले से निपटता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कानून, प्रणालियां और प्रक्रियाएं अधिक महत्वपूर्ण हैं कि पेपर लीक ही न हो।
चार माह पहले दी थी राष्ट्रपति ने मंजूरी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लगभग चार महीने पहले, लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक 2024 को मंजूरी दी थी। कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार रात एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया है कि इस कानून के प्रावधान 21 जून से लागू हो जाएंगे।
आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन टाला जाए ताकि संसद की स्थायी समिति इनकी समीक्षा कर सके
कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन टाला जाना चाहिए ताकि इन तीनों कानूनों की गृह मामलों से संबंधित संसद की पुनर्गठित स्थायी समिति द्वारा गहन समीक्षा की जा सके।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार से यह आग्रह उस वक्त किया है जब पिछले दिनों कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर लाए गए भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू किए जाएंगे।
रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अपनी सहमति दी थी। इन तीन दूरगामी विधेयकों को बिना उचित बहस और चर्चा के संसद से मनमाने ढंग से पारित कर दिया गया था।''
उन्होंने कहा कि जब ये विधेयक पारित किए गए जा रहे थे तब 146 सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था।
रमेश ने दावा किया, "इससे पहले इन विधेयकों को देश भर के पक्षकारों के साथ विस्तार से बातचीत के बिना और कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के कई सांसदों (जो समिति के सदस्य थे) के लिखित और बड़े पैमाने पर असहमति से भरे नोट को नजरअंदाज करते हुए गृह मामलों पर स्थायी समिति के माध्यम से जबरन अनुमोदित कर दिया गया था।"
उन्होंने कहा, " तीन नए कानून एक जुलाई 2024 से लागू होने हैं। कांग्रेस की यह स्पष्ट राय है कि इन तीन कानूनों के कार्यान्वयन को टाला जाना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि इन तीनों कानूनों की गृह मामलों पर पुनर्गठित स्थायी समिति द्वारा गहन समीक्षा और फ़िर से जांच की जा सके।"
रमेश का यह भी कहना है, "समिति उन सभी कानूनी विशेषज्ञों और संगठनों के साथ व्यापक एवं सार्थक ढंग से विचार-विमर्श करे जिन्हें तीन कानूनों को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। उसके बाद 18वीं लोकसभा और राज्यसभा में भी सदस्यों की चिंताएं सुनी जाएं।"