illegal Indian immigrants : बेहतर जिंदगी का टूटा सपना...जमा पूंजी और दोस्तों से उधार ले एजेंट को दिए पैसे, खतरनाक यात्रा का एक और किस्सा
होशियारपुर, छह फरवरी (भाषा)
illegal Indian immigrants : बेहतर जिंदगी का सपना लेकर अपने घर बार छोड़ अमेरिका जाने वाले भारतीय प्रवासी अपने सपनों के टूटने, भारी कर्ज और ट्रैवल एजेंटों द्वारा ठगे जाने की कहानियों के साथ हथकड़ी में बंधे बुधवार को वहां से वापस लौटे। अमेरिकी सैन्य विमान से बुधवार को भारत लौटने के बाद ये निर्वासित अपना भविष्य अंधेरे में देख रहे हैं।
अमेरिका से अवैध प्रवासी के तौर पर जिन 104 लोगों को निर्वासित कर भारत भेजा गया है उनमें पंजाब के 30 लोग शामिल हैं। होशियारपुर के दरापुर गांव के सुखपाल सिंह ने एक साल तक इटली में शेफ के रूप में काम करने के बाद अमेरिका जाने का फैसला किया था। सुखपाल ने बताया कि इटली में उन्हें और उनके दो दोस्तों को एक ट्रैवल एजेंट ने अमेरिका पहुंचाने का वादा किया और इसके लिए 30 लाख रुपये मांगे। उसने अपनी जमा पूंजी और दोस्तों से उधार लेकर एजेंट को पैसे दिए।
अमेरिका ले जाने के बजाय हमारे समूह को निकारागुआ ले जाया गया। वहां पहुंचते ही एजेंट के लोगों ने सभी के पासपोर्ट जब्त कर लिए। फिर हमारी खतरनाक यात्रा होंडुरास, ग्वाटेमाला और मैक्सिको होते हुए शुरू हुई। इस सफर में हमें 12 घंटे तक एक छोटी नौका में समुद्र पार कर मैक्सिको से अमेरिका की सीमा तक पहुंचाया गया। इस दौरान मेरे एक साथी की डूबने से मौत हो गई। उन्होंने अपने परिवार को इस यात्रा के बारे में कुछ नहीं बताया था, और अमेरिका पहुंचकर उन्हें सरप्राइज देना चाहते थे।
हिरासत केंद्र में हमें बुरा व्यवहार सहना पड़ा
जैसे ही हम अमेरिका की सीमा पर पहुंचे, हमें अमेरिकी अधिकारियों ने पकड़ लिया और 12 दिनों तक एक हिरासत केंद्र में रखा। हिरासत केंद्र में हमें बुरा व्यवहार सहना पड़ा। हमें न तो कानूनी सहायता दी गई और न ही इमिग्रेशन अधिकारियों से मिलने का मौका मिला। खाने के नाम पर सिर्फ स्नैक्स और बीफ दिया जाता था। चूंकि मैं बीफ नहीं खाता, इसलिए स्नैक्स खाकर जिंदा रहा। इसके बाद कैदियों को हथकड़ी और बेड़ियों में बांधकर विमान में बिठाया गया और अमृतसर लाया गया।
फ्लाइट में हमें अपनी सीट से हिलने तक की इजाजत नहीं थी। वॉशरूम जाने पर भी सख्त पाबंदी थी। मैंने मुश्किल से कुछ खाया या पिया। अमृतसर में फ्लाइट उतरने के बाद हमारी बेड़ियां खोली गईं और तब जाकर मुझे खाना मिला। अमृतसर के लालरू गांव के 22 वर्षीय प्रदीप सिंह को छह महीने तक कई देशों की यात्रा करने के बाद अमेरिका पहुंचते ही गिरफ्तार कर लिया गया। प्रदीप के माता-पिता ने उसे अमेरिका भेजने के लिए 41 लाख रुपये का कर्ज लिया था। अब उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वह इसे कैसे चुकाएंगे।