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Illegal Immigrants: अमेरिका से डिपोर्ट कर लाए गए भारतीयों से यह कैसा सलूक, हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां

09:37 AM Feb 06, 2025 IST
पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल अमेरिका से भारत लाए गए प्रवासियों से बातचीत करते हुए। पीटीआई फोटो

चंडीगढ़, 6 जनवरी (एजेंसी)

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Illegal Immigrants: अमेरिकी विमान से बुधवार को लाए गए 104 निर्वासितों में शामिल जसपाल सिंह ने दावा किया कि पूरी यात्रा के दौरान उन्हें (निर्वासित प्रवासियों के) हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां बांधी गईं तथा अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उन्हें हटाया गया।

गुरदासपुर जिले के हरदोरवाल गांव के रहने वाले 36 वर्षीय सिंह ने बताया कि 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार करने के बाद उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था। विभिन्न राज्यों से 104 अवैध प्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को यहां उतरा।

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अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा वापस भेजा गया यह भारतीयों का पहला जत्था है। सूत्रों ने बताया कि इनमें से 33-33 हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तथा दो चंडीगढ़ से हैं।

उन्होंने बताया कि निर्वासित लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल हैं, जिनमें एक चार वर्षीय लड़का और पांच व सात वर्ष की दो लड़कियां शामिल हैं। पंजाब के निर्वासित लोगों को अमृतसर हवाई अड्डे से पुलिस वाहनों में उनके मूल स्थानों तक ले जाया गया।

बुधवार रात अपने गृह नगर पहुंचने के बाद जसपाल ने बताया कि एक ट्रैवल एजेंट ने उनके साथ धोखाधड़ी की है, क्योंकि उनसे वादा किया गया था कि उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजा जाएगा। जसपाल ने कहा, "मैंने एजेंट से कहा था कि वह मुझे उचित वीजा (अमेरिका के लिए) के साथ भेजे। लेकिन उसने मुझे धोखा दिया।" उन्होंने बताया कि सौदा 30 लाख रुपए में हुआ था।

जसपाल ने दावा किया कि वह पिछले साल जुलाई में हवाई जहाज से ब्राजील पहुंचा था। उसने कहा कि वादा किया गया था कि अमेरिका की अगली यात्रा भी हवाई जहाज से ही होगी। हालांकि उसके एजेंट ने उसे "धोखा" दिया, जिसने उसे अवैध रूप से सीमा पार करने के लिए मजबूर किया। ब्राजील में छह महीने रहने के बाद वह सीमा पार कर अमेरिका चला गया, लेकिन अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

जसपाल ने बताया कि उसे वहां 11 दिनों तक हिरासत में रखा गया और फिर वापस घर भेज दिया गया। जसपाल ने कहा कि उसे नहीं पता था कि भारत भेजा जा रहा है।

उसने दावा किया, “हमने सोचा कि हमें किसी दूसरे शिविर में ले जाया जा रहा है। फिर एक पुलिस अधिकारी ने हमें बताया कि भारत ले जाया जा रहा है। हमें हथकड़ी लगाई गई और पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं। इन्हें अमृतसर हवाई अड्डे पर खोला गया।” जसपाल ने कहा कि निर्वासन से वह टूट गए हैं। "बड़ी रकम खर्च हुई। पैसे उधार लिए गए थे।"

बुधवार रात को होशियारपुर स्थित अपने गृह नगर पहुंचे दो अन्य निर्वासितों ने भी अमेरिका पहुंचने के दौरान उन्हें हुई कठिनाइयों के बारे में बताया। होशियारपुर के टाहली गांव के रहने वाले हरविंदर सिंह ने बताया कि वह पिछले साल अगस्त में अमेरिका के लिए रवाना हुए थे। उन्हें कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और फिर मैक्सिको ले जाया गया।

उन्होंने बताया कि मैक्सिको से उन्हें अन्य लोगों के साथ अमेरिका ले जाया गया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "हमने पहाड़ियां पार कीं। एक नाव, जो उन्हें अन्य व्यक्तियों के साथ ले जा रही थी, समुद्र में डूबने वाली थी, लेकिन हम बच गए।" सिंह ने कहा कि उन्होंने एक व्यक्ति को पनामा के जंगल में मरते हुए तथा एक को समुद्र में डूबते हुए देखा। सिंह ने बताया कि उनके ट्रैवल एजेंट ने वादा किया था कि उन्हें पहले यूरोप और फिर मैक्सिको ले जाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अमेरिका की अपनी यात्रा के लिए उन्होंने 42 लाख रुपए खर्च किए। उन्होंने कहा, "कभी-कभी हमें चावल मिल जाता था। कभी-कभी हमें खाने को कुछ नहीं मिलता था। हमें बिस्कुट मिलते थे।" पंजाब से निर्वासित एक अन्य व्यक्ति ने अमेरिका जाने के लिए इस्तेमाल किए गए 'डंकी रूट' के बारे में बताया।

उन्होंने कहा, "रास्ते में हमारे 30,000-35,000 रुपये के कपड़े चोरी हो गए।" निर्वासित व्यक्ति ने बताया कि उसे पहले इटली और फिर लैटिन अमेरिका ले जाया गया। उन्होंने बताया कि नाव से 15 घंटे लंबी यात्रा करनी पड़ी और 40-45 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।

उन्होंने कहा, "हमने 17-18 पहाड़ियां पार कीं। अगर कोई फिसल जाता तो उसके बचने की कोई संभावना नहीं होती... हमने बहुत कुछ देखा है। अगर कोई घायल हो जाता तो उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता था। हमने लाशें देखीं।" इससे पहले दिन में अमेरिकी वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान अवैध प्रवासियों को लेकर अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा था।

भारतीय नागरिकों को हथकड़ी लगाकर निर्वासित किए जाने की तस्वीरें दुखद: कांग्रेस

कांग्रेस ने अमेरिका से 205 अवैध प्रवासियों वापस भेजे जाने की खबरों को लेकर बुधवार को कहा कि भारतीय नागरिकों को हथकड़ी लगाकर और अपमानित करके निर्वासित किए जाने की तस्वीरें दुखद हैं।

पिछले माह डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने के बाद देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘अमेरिका से भारतीयों को हथकड़ी लगाकर और अपमानित करके निर्वासित किए जाने की तस्वीरें देखकर, एक भारतीय होने के नाते मुझे दुख होता है। मुझे दिसंबर 2013 की वह घटना याद है जब भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को अमेरिका में हथकड़ी लगाई गई थी और ‘स्ट्रिप सर्च' किया गया था।''

उनके मुताबिक, ‘‘उस समय तत्कालीन विदेश सचिव सुजाता सिंह ने अमेरिका की राजदूत नैन्सी पॉवेल के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया था। सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। मीरा कुमार, सुशील कुमार शिंदे और राहुल गांधी जैसे नेताओं ने भारत दौरे पर आए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल (जॉर्ज होल्डिंग, पीट ओल्सन, डेविड श्वाइकर्ट, रॉब वुडऑल और मैडेलिन बोर्डालो) से मिलने से इनकार कर दिया था।'' खेड़ा ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अमेरिका की इस कार्रवाई को ‘निंदनीय' बताया था।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अमेरिकी दूतावास को दी जाने वाली कई सुविधाएं वापस ले लीं थी, जिनमें दूतावास कर्मियों के लिए खाद्य पदार्थों और शराब के रियायती आयात की अनुमति भी शामिल थी और आयकर विभाग ने अमेरिकन दूतावास के स्कूल की जांच शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने देवयानी खोबरागड़े के साथ किए गए व्यवहार पर खेद व्यक्त किया था। अमेरिकी प्रशासन ने विदेश सचिव सुजाता सिंह को कॉल कर अमेरिका की ओर से खेद प्रकट किया था।''

 

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