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सींग का अवैध व्यापार बना अस्तित्व के लिए खतरा

06:39 AM Sep 20, 2024 IST
सींग का अवैध व्यापार बना अस्तित्व के लिए खतरा
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शैलेंद्र सिंह
गैंडों के सींग का अवैध व्यापार दुनिया में मौजूद गैंडों की सभी पांच प्रजातियों के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। वास्तव में, जितने भी गैंडों का अवैध शिकार होता है, उसका मुख्य कारण उनके सींग होते हैं। गैंडों के सींगों की मांग एशिया, खासकर चीन में, अत्यधिक है। चीनी लोग गैंडों के लिए शत्रु बनकर उभरे हैं, क्योंकि वे काम शक्ति बढ़ाने, पारंपरिक बीमारियों से मुक्ति, और धन-संपत्ति के लिए अंधविश्वासों के आधार पर गैंडों के सींग खरीदने को तैयार रहते हैं। इस कारण, चाहे अफ्रीका के गैंडे हों या भारत के, इन पर खतरा हमेशा बना रहता है।
सींग बने खतरा
गैंडों के सींग को चमत्कारिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। लोग इन्हें किसी भी कीमत पर खरीदकर पीसकर बारीक पाउडर बनाते हैं या छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उबालते हैं और उसका उबला हुआ पानी पीते हैं।
विश्व गैंडा दिवस
गैंडों के इकोलॉजिकल महत्व और उनके लुप्त होने की आशंका को उजागर करने के लिए, साल 2010 में अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन वर्ल्ड वाइड फॉर नेचर के दक्षिण अफ्रीकी चैप्टर ने हर साल 22 सितंबर को विश्व गैंडा दिवस मनाने की घोषणा की। यह दिन गैंडों को बचाने और उनके लिए किए जा रहे बचाव कार्यों का जश्न मनाने का है। इस दिन पूरी दुनिया में गैंडों के अस्तित्व के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन, स्कूलों और कॉलेजों में कक्षा परियोजनाएं, धन उगाहने वाले रात्रिभोज, नीलामी और पोस्टर प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
पांच प्रजातियां
दुनिया में गैंडों की पांच प्रजातियां हैं : काला गैंडा, सफेद गैंडा, एक बड़े सींग वाला गैंडा, सुमात्रा गैंडा और जावन गैंडा। इनमें सबसे महत्वपूर्ण एक सींग वाला भारतीय गैंडा है, जो अपनी सींगों की उच्च मांग के कारण अवैध शिकारियों के खतरे में है।
अंधविश्वास और मान्यताएं
चीन में गैंडों के सींग का उपयोग केवल कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि पारंपरिक चिकित्सा में भी किया जाता है। बुखार, गठिया, सिरदर्द, भोजन की विषाक्तता, टाइफाइड जैसी बीमारियों, और उल्टियों के इलाज में गैंडों के सींग का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, गैंडे के सींग को धन और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। जबकि साल 1993 से गैंडे के सींग का चिकित्सीय उपयोग अवैध है।
सत्तर फीसदी भारत में
22 सितंबर को गैंडा दिवस मनाना भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान में दुनिया के सभी गैंडों में से 70 प्रतिशत केवल भारतीय गैंडे हैं। भारत में गैंडे मुख्य रूप से असम, पश्चिम बंगाल आदि में पाए जाते हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में है। भारतीय गैंडे को वैज्ञानिक रूप से राइनोसेरस यूनिकॉर्निस कहा जाता है।
प्रजनन और व्यवहार
भारतीय गैंडे शाकाहारी होते हैं और ये घास, पत्तियां, फल और पेड़ों की शाखाएं खाते हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि भारतीय गैंडे औसतन 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। 20वीं सदी की शुरुआत में, जब भारत में केवल 200 गैंडे बचे थे, संरक्षण के प्रयास किए गए, और अब उनकी संख्या 2000 प्रतिशत बढ़ चुकी है। वर्तमान में भारत में लगभग 3,800 गैंडे हैं, जिनमें से वयस्क गैंडों की संख्या 2,400 से 2,600 के बीच है।
दृष्टि कमजोर
भारतीय गैंडे की प्रजनन दर धीमी है, और मादा गैंडा 15 से 16 महीने गर्भधारण करने के बाद दो या तीन बच्चों को जन्म देती है। भारतीय गैंडों की दृष्टि कमजोर होती है, जिससे वे अपनी दैनिक गतिविधियों के लिए सुनने और सूंघने पर निर्भर होते हैं। कुल मिलाकर, इंसानी लालच की तलवार गैंडों पर लटक रही है, और हर साल गैंडा दिवस मनाना आवश्यक है ताकि पूरी दुनिया में गैंडों के प्रति जागरूकता बढ़ सके। -इ.रि.सें.

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