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सुक्खू सरकार पर भारी पड़ सकती है कर्मचारियों की देनदारियों की अनदेखी

07:48 AM Aug 18, 2024 IST
सुक्खू सरकार पर भारी पड़ सकती है कर्मचारियों की देनदारियों की अनदेखी

शिमला, 17 अगस्त (हप्र)
भारी आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को राज्य के लगभग अढाई लाख सेवारत कर्मचारियों और लगभग 2 लाख पेंशनरों की देनदारियों की अनदेखी महंगी पड़ सकती है। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सरकार से 4 प्रतिशत महंगाई भत्ते की उम्मीद लगाए बैठे कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी है। यही नहीं कर्मचारियों की महंगाई भत्ते की पिछली देनदारी और छठे वेतन आयोग के भुगतान संबंधी देनदारियां भी सालों से लंबित पड़ी है। इसके बावजूद सरकार ने अभी तक इन पर कोई फैसला नहीं लिया है। ऐसे में अब प्रदेश के कर्मचारी संगठन सरकार के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। इसकी शुरुआत प्रदेश सचिवालय से हो गई है। शनिवार को सचिवालय के पांचों कर्मचारी संगठनों की संयुक्त बैैठक हुई। बैठक में कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर चर्चा की गई। बैठक में हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ, ऑफिसर एसोसिएशन, प्राइवेट सेक्रेटरी एसोसिएशन, ड्राइवर एसोसिएशन एवं क्लास फोर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भाग लिया। हिमाचल सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ के प्रधान संजीव शर्मा ने पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी।
संजीव शर्मा ने कहा कि बैठक में 21 अगस्त को जनरल हाऊस बुलाने का निर्णय लिया गया है। इसके बाद यदि सरकार उनको वार्ता के लिए नहीं बुलाती है तो फिर से 23 अगस्त को जनरल हाऊस बुलाकर आगामी रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सचिवालय के कर्मचारी 27 अगस्त से 9 सितम्बर तक चलने वाले विधानसभा के मौनसून सत्र में कोई व्यवधान नहीं डालना चाहते। ऐसे में यदि सरकार उनकी मांगों को अनदेखा करती है तो 9 सितम्बर के बाद आंदोलन को तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महंगाई के दौर में कर्मचारियों को 4 फीसदी डीए नहीं मिलना निराशाजनक है।
उन्होंने कहा कि सचिवालय कर्मचारियों की मांगों को लेकर उनकी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना एवं प्रधान सचिव सचिवालय प्रशासन से पहले भी चर्चा हो चुकी है। इसके बावजूद उनकी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को 12 फीसदी डीए बीते साल पहली जनवरी से लंबित है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें 4 फीसदी डीए भी जारी नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सचिवालय में इस समय तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के 350 पद, लॉ ऑफिसर के 18 पद, प्राइवेट सेक्रेटरी के 70 पद और चतुर्थ श्रेणी के 250 पद खाली पड़े हैं। खाली पदों के कारण एक-एक कर्मचारी को 3-3 सीटों पर काम देखना पड़ रहा है। इसके अलावा छोटे-छोटे कमरों में सचिवालय सेवा के 2-2 अधिकारियों को बैठना पड़ा रहा है। हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ के प्रधान संजीव शर्मा ने कहा कि जिन मांगों को सचिवालय कर्मचारी उठा रहे हैं वह काम हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का था। उन्होंने कहा कि आज महासंघ 2 धड़ों में बंटा है तथा दोनों अपनी मान्यता के चक्कर में कर्मचारियों की मांगों को सरकार से नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों धड़ों को आपस में समझौता करके साझा महासंघ बनाना चाहिए ताकि कर्मचारियों की लंबित मांगों को सरकार से मनवाया जा सके।

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