प्रकृति की संगत में रहेंगे तो नहीं होगी कोई व्याधि : डॉ. धर्मेंद्र वशिष्ठ
वृंदावन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में मनाया गया 7वां प्राकृतिक चिकित्सा दिवस
योगराज भाटिया/निस
बीबीएन, 18 नवंबर
प्रकृति हमारी मां है जिसका कर्ज हम कभी भी नहीं चुका सकते। हम यदि प्रकृति की संगत में रहेंगे तो हमें कोई व्याधि नहीं होगी। ये बातें प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. धर्मेंद्र वशिष्ठ ने कहीं। डॉ. वशिष्ठ सोमवार को बद्दी में वृंदावन आयुर्वेदिक चिकित्सालय प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में 7वें प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर अपने विचार रख रहे थे। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल मौजूद रहे। अध्यक्षता 1974 के आईआईटी टॉपर रहे रविंद्र गुप्ता ने की।
दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल ने इस अवसर पर पानी, हवा, पेड़-पौधों और धरती जैसी प्राकृतिक संपदाओं के संरक्षण पर बल देते हुए कहा कि हमारे सभी पर्व, तीज-त्योहार ऋतु-चक्र से और प्राकृतिक तत्वों से जुड़े हैं। मानव का जीवन, स्वास्थ्य और स्वभाव इन्हीं तत्वों पर निर्भर है। इसी संदर्भ में उन्होंने महापुरुषों और पौराणिक ग्रंथों के उपदेश-संदेशों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘गुरुनानक देव की बाणी में पवन को गुरु, पानी को पिता और धरती को माता कहा गया है।’ कौशल ने कहा, ‘अगर सियासतदान अपनी वोटों की खातिर पर्यावरण की उपेक्षा करते रहे तो यह हमारी भावी पीढ़ी के साथ अन्याय और अपराध माना जाना चाहिए।’ उन्होंने आज के हालात में टीएन शेषन जैसे मुख्य चुनाव आयुक्त की जरूरत जताते हुए चुनाव घोषणापत्रों में पेयजल और पर्यावरण के संरक्षण को अनिवार्य रूप से शामिल किए जाने पर बल दिया। श्री कौशल ने प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में कुरुक्षेत्र के श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के एग्जिक्यूटिव काउंसिल मेंबर डॉ. धर्मेंद्र वशिष्ठ के योगदान को सराहा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष रविंद्र गुप्ता ने कहा कि भारत देश में सभी ऋतुएं देखने को मिलती हैं और कहीं भी ऐसा वातावरण नहीं होता। हमें अपनी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। कार्यक्रम में डॉ. सुरेंद्र सिंह तंवर व डॉ. राधा बघेल ने भी अपने विचार रखे।
‘पहले से ही सतर्क रहेंगे तो बीमारी नहीं घेरेगी’
डॉ. धर्मेंद्र वशिष्ठ ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में आहार, विहार और आचार सिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति को शुगर हो जाती है तो उसके बाद वह आठ किलोमीटर सैर करने जाता है, परंतु यदि हम पहले से ही व्यायाम और सैर करें तो हमें शुगर नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में फैटी लिवर के रोगियों की सुनामी आई हुई है। उसके लिए उन्होंने मूली के सेवन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज के तनाव व दबाव वाले युग में प्राकृतिक चिकित्सा एक सुरक्षित पद्धति है।
‘बचानी होगी प्राकृतिक धरोहर’
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल ने यह भी कहा कि प्रकृति के बगैर हमारा कोई अस्तित्व नहीं। उन्होंने कहा, ‘हम प्रकृति को जिस प्रकार विकृत कर रहे हैं, वह हमारे जीवन के लिए काल साबित होती नजर आ रही है। जिस तरह मनुष्य पानी, पेड़ और पहाड़ को बर्बाद करने में लगे हैं, वह शुभ सूचक नहीं है। हमें अपनी धरोहर को बचाने के लिए अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। अन्यथा आने वाली पीढ़ियों के लिए यह अभिशाप साबित होगा।’