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लापरवाही हुई तो सीए भी जवाबदेह

06:36 AM Apr 02, 2024 IST
लापरवाही हुई तो सीए भी जवाबदेह
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श्रीगोपाल नारसन
यूं तो चार्टर्ड अकाउंटेंट समाज में एक बहुत ही सम्मानजनक व जिम्मेदारी का व्यवसाय है। जिनपर आम व्यक्ति ही नहीं बल्कि सरकार भी भरोसा करती है। लेकिन अगर एक चार्टर्ड अकाउंटेंट अपने क्लाइंट से फीस लेकर भी उसके कार्य को नहीं करता है या फिर क्लाइंट को धोखा देता है तो क्लाइंट एक उपभोक्ता के रूप में चार्टर्ड अकाउंटेंट के विरुद्ध उपभोक्ता अदालत में परिवाद आयोजित कर सकता है। एक उपभोक्ता अदालत ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में माना कि पेशेवर कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही एक अनुचित व्यापार व्यवहार यानि अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस है।

आयकर नोटिस आने पर सीए की सेवाएं

मुंबई में फर्नांडिस नामक एक उपभोक्ता को आयकर विभाग से उसके बैलार्ड एस्टेट कार्यालय में उपस्थित होने के लिए एक नोटिस मिला था। उन्होंने आयकर अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए नल्ला सोपारा के चार्टर्ड अकाउंटेंट की सेवाएं लीं। चार्टर्ड अकाउंटेंट ने बकाया चुकाने के लिए आयकर रिटर्न भी तैयार करने का काम किया। फर्नांडिस जो इस नोटिस के कारण मानसिक तनाव में थे, ने चार्टर्ड अकाउंटेंट पर भरोसा किया ,जिसका फायदा उठाते हुए, चार्टर्ड अकाउंटेंट ने अपने उपभोक्ता फर्नांडीस को सूचित किया कि आयकर अधिकारियों ने अब रिटर्न सीए के माध्यम से ऑनलाइन एकत्र करना शुरू कर दिया है।

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गबन, काम दोयम दर्जा करने का मामला

कर भुगतान की आड़ में, चार्टर्ड अकाउंटेंट ने तीन किस्तों में चेक के माध्यम से कुल 2,32,863 रुपये अपने उक्त क्लाइंट से लिए और सारा पैसा विभाग में जमा करने के बजाय अपनी जेब में डाल लिया। उन्होंने दो साल का रिटर्न तैयार करने के अलावा कोई काम नहीं किया, रिटर्न भी गलत तैयार किया गया था। परेशान फर्नांडिस को अपना काम किसी अन्य सीए से करवाना पड़ा। जिसमे उन्हें वास्तविक खर्च से अधिक खर्च करने के साथ ही परेशानी भी झेलनी पड़ी। फर्नांडीस ने दक्षिण मुंबई के जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट पर अपने पेशेवर कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने और अनुचित व्यापार व्यवहार में शामिल होने का आरोप लगाया गया।

जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत

उपभोक्ता फर्नांडिस ने चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा धोखे से प्राप्त की गई राशि वापस करने की मांग की। अपने बचाव में, चार्टर्ड अकाउंटेंट ने उपभोक्ता आयोग के न्यायिक अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया, क्योंकि वह ठाणे जिले के नालासोपारा में रहते थे। चार्टर्ड अकाउंटेंट ने यह भी दावा किया कि उन्हें भुगतान की गई राशि, देय कर जमा करने के लिए नहीं, बल्कि उनकी फीस के लिए थी। इस तर्क को गलत साबित करने के लिए, उपभोक्ता फर्नांडिस ने चार्टर्ड अकाउंटेंट को अपना खुद का आईटी रिटर्न पेश करने का निर्देश देने के लिए उपभोक्ता आयोग से आवेदन किया, जिससे पता चल सके कि क्या यह राशि उनकी फीस के रूप में दर्शाई गई थी।

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जब रिटर्न पेश करने का आदेश दिया तो...

आयोग द्वारा चार्टर्ड अकाउंटेंट को अपना रिटर्न पेश करने का आदेश दिया गया, जिससे चार्टर्ड अकाउंटेंट घबरा गए हैं और उन्होंने उक्त दस्तावेज आयोग में पेश करने से बचने के लिए आयोग जाना ही बंद कर दिया । जिस पर उपभोक्ता आयोग ने माना कि कार्रवाई का एक हिस्सा उसके अधिकार क्षेत्र के भीतर उत्पन्न हुआ था, क्योंकि चार्टर्ड अकाउंटेंट को दक्षिण मुंबई में बैलार्ड एस्टेट में आईटी कार्यवाही में उपस्थित होना था। इसलिए उपभोक्ता आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि शिकायत उसके समक्ष विचारणीय है।

फीस का औचित्य बताने में विफलता

उपभोक्ता आयोग ने पाया कि योग्यता के आधार पर, चार्टर्ड अकाउंटेंट यह सिद्ध करने में विफल रहे कि उन्होंने उपभोक्ता हित में क्या काम किया व उन्होंने अपनी फीस कैसे ली। चार्टर्ड अकाउंटेंट अपने तर्कों के समर्थन में अपना स्वयं का आईटी रिटर्न प्रस्तुत करने में भी विफल रहे। इसके विपरीत,उपभोक्ता फर्नांडीस ने एक अन्य सीए द्वारा जारी रसीदें पेश करके अपने तर्क को पुष्ट किया था। उपभोक्ता आयोग ने 10 जुलाई, 2015 के अपने आदेश में, चार्टर्ड अकाउंटेंट को दोषपूर्ण सेवाएं प्रदान करने और अनुचित व्यापार प्रथाओं में शामिल होने का दोषी पाया और आदेश दिया कि वह 2,32,863 रुपये की पूरी राशि व उक्त राशि पर 17 जुलाई 2009 से नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ उपभोक्ता को भुगतान करे। उपरोक्त फैसले से स्पष्ट है कि चार्टर्ड अकाउंटेंट भी उपभोक्ता कानून के दायरे में आते हैं।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

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