पराली जलाई तो भू-दस्तावेजों में ‘रेड एंट्री’, हथियार होंगे जब्त
अमन सूद/ट्रिन्यू
पटियाला, 22 सितंबर
पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों के जमीन दस्तावेजों पर ‘रेड एंट्री’ की जाएगी। इसके चलते प्रतिष्ठा का प्रतीक माने जाने वाले हथियार जब्त होंगे। पंचायत चुनावों से पहले पंजाब सरकार का यह निर्णय बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है, क्योंकि किसान संघ किसानों द्वारा खेतों में आग लगाने के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा की जाने वाली किसी भी कार्रवाई का विरोध करते रहे हैं।
गौर हो कि पंजाब में धान की कटाई के मौसम के एक सप्ताह के भीतर पांच दर्जन से अधिक खेतों में आग लगने की घटनाओं की सूचना मिलने के बाद, पंजाब सरकार ने रविवार को यह चेतावनी दी। ऐसे में अगर भू दस्तावेजों में ‘रेड एंट्री’ हो गयी तो संबंधित किसान नए हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन भी नहीं कर पाएंगे और न ही उनके मौजूदा हथियार लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में राज्य में जिला प्रशासन औपचारिक आदेश जारी करेगा, जबकि कुछ जिलों में आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
पटियाला के अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर सह अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट कंचन ने आदेश दिया है कि कोई भी व्यक्ति नए हथियार लाइसेंस के लिए या मौजूदा लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन करता है तो उसे भूमि रिकॉर्ड सत्यापित होने के बाद ही मंजूरी मिलेगी। आदेश में कहा गया है, ‘किसी भी हथियार लाइसेंस आवेदक के रेड एंट्री रिकॉर्ड को भूमि राजस्व विभाग से क्रॉस चेक किया जाएगा। खेत में आग लगाने वालों को कोई नवीनीकरण या नया लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा।’ आगे के आदेशों में कहा गया है कि ऐसे आवेदकों का लाइसेंस आर्म्स एक्ट 1959 और 2016 की धारा 14 (1) (बी) (1) (3) के तहत खारिज कर दिया जाएगा।
एक दिन में 11 खेतों में दिखी आग
पंजाब में रविवार को 11 खेतों में आग लगने की घटनाएं देखी गईं, जो इस सीजन में एक दिन में सबसे ज्यादा हैं, जबकि वर्ष 2022 में इसी दिन (22 सितंबर) आग की 30 घटनाएं दर्ज की गईं थी और वर्ष 2023 में पंजाब में इस दिन खेतों में कुछ नहीं जलाया गया था।
किसान यूनियनों ने बताई मजबूरी
किसान यूनियनों की मांग है कि उन्हें पर्याप्त मुआवजे के साथ ही पराली प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा वित्तीय सहायता दी जाये। यूनियनों ने कहा, ‘किसान पराली जलाने के लिए मजबूर हैं क्योंकि पंजाब सरकार अवशेष प्रबंधन को कम करने के लिए पर्याप्त सहायता प्रदान करने में विफल रही है। हम किसानों के खिलाफ अधिकारियों द्वारा की जा रही कार्रवाई का कड़ा विरोध करेंगे।’ बताया गया कि इस सीजन में, 32.5 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया था, जिससे 22.5 मिलियन टन पराली उत्पन्न हो सकती है। वर्ष 2013 में एनजीटी ने पराली जलाने पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हो पाया।