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6 महीने के भीतर पर्यावरण स्वीकृति न लाने पर दोबारा होगी नीलामी

07:21 AM Jul 11, 2024 IST

शिमला, 10 जुलाई (हप्र)
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार राज्य के तीन नदी बेसिन की सरकारी भूमि पर स्थित 232 माइनिंग इकाइयों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। इन माइनिंग धारकों को 6 माह के भीतर पर्यावरणीय स्वीकृतियां लानी होंगी, अन्यथा शर्तों के तहत उद्योग विभाग का खनन विंग इन खनन इकाइयों को पुन: नीलाम करेगा। ऐसे में खनन इकाइयों के संचालकों को नए सिरे से 25 फीसदी धरोहर राशि विभाग को देनी होगी।
जानकारी के अनुसार सरकार खनिजों का वैज्ञानिक ढंग से खनन कर सालाना 103 करोड़ कमाना चाहती है। इसके लिए प्रदेश के यमुना, सतलुज और ब्यास बेसिन पर खनन इकाइयां आवंटित की गई हैं। सभी खनन इकाइयों की नीलामी के बाद कंपनियों या फिर लीजधारकों को आशय पत्र दिए गए हैं। यदि कोई भी लीजधारक निर्धारित समयावधि के दौरान पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं लेकर आता है तो अग्रिम धनराशि से हाथ धोना पड़ेगा।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के अनुसार उद्योग विभाग के खनन विंग की ओर से आवंटित खनन इकाइयों में 2016 से लेकर 2023 तक की अवधि में केवल एक व्यक्ति पर्यावरण स्वीकृति लेकर आया। उद्योग विभाग को करीब 40 करोड़ की धनराशि खनन इकाइयों से प्राप्त हुई है।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष कुल्लू में बाढ़ के कारण बहकर आए खनिज रेत, बजरी, पत्थरों को हटाने और विक्रय का कार्य अब उद्योग विभाग का खनन विंग नहीं करेगा। उद्योग विभाग ने नदियों से खनिजों को निकाल कर बेचने का काम वन निगम को सौंपा है।

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