गांव में बाल विवाह हुआ तो पंच-सरपंच माने जाएंगे दोषी
जयपुर, 2 मई (एजेंसी)
राजस्थान में अक्षय तृतीया से पहले हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राज्य में कोई बाल विवाह नहीं हो। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि बाल विवाह होने पर सरपंच और पंच को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। बाल विवाह की कई घटनाएं मुख्य रूप से अक्षय तृतीया पर होती हैं। अक्षय तृतीया इस बार 10 मई को है।
न्यायालय की एक खंडपीठ ने बाल विवाह को रोकने के लिए हस्तक्षेप की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को अपने आदेश में कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू होने के बावजूद, राज्य में बाल विवाह अब भी हो रहे हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील आरपी सिंह ने कहा कि अदालत को एक सूची भी उपलब्ध कराई गई जिसमें बाल विवाह और उनकी निर्धारित तिथियों का विवरण था। आदेश में कहा गया है, ‘उत्तरदाताओं को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य में कोई बाल विवाह नहीं हो। सरपंच और पंच को संवेदनशील बनाया जाना चाहिए और उन्हें सूचित किया जाना चाहिए कि यदि वे बाल विवाह को रोकने में विफल रहते हैं, तो बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 11 के तहत उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा।’